Deputy Speaker: संसद का मानसून सत्र इन दिनों चल रहा है। और इस लोकसभा सत्र में केंद्रीय एजेंसियों के कथित दुरुपयोग, नीट और अग्निपथ जैसे मुद्दों को लेकर विपक्ष और पक्ष आमने-सामने हैं। इससे पहले जब सत्र शुरू हुआ था तब डिप्टी स्पीकर के पद को लेकर पक्ष और विपक्ष में तनातनी मची थी। भारतीय जनता पार्टी के सांसद ओम बिरला को ध्वनिमत से लोकसभा अध्यक्ष चुन लिया गया है। वह दूसरी बार इस उत्तरदायित्व को संभाल रहे हैं।

स्पीकर के चुनाव के बाद सबकी निगाहें डिप्टी स्पीकर के पद पर है। इन सबके बीच खबरें आईं कि तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी सपा के अवधेश प्रसाद का नाम इस पद के लिए आगे किया है। सोमवार को टीएमसी के प्रस्ताव का आम आदमी पार्टी ने समर्थन किया। आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि अवधेश प्रसाद को डिप्टी स्पीकर बनाना चाहिए और TMC की मांग जायज है।

लोकसभा अध्यक्ष यानी स्पीकर के चुनाव के समय से ही विपक्ष लगातार सरकार से मांग कर रहा है कि डिप्टी स्पीकर का पद उसे मिलना चाहिए। विरोधी दलों का तर्क है कि परंपरागत रूप से यह पद विपक्ष से पास ही जाता रहा है। पिछली बार यानी 17वीं लोकसभा में उपाध्यक्ष का पद खाली रहा है। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार डिप्टी स्पीकर के पद के लिए चुनाव होगा या नहीं?

लोकसभा उपाध्यक्ष के पद के बारे में

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 93 में लोकसभा के उपाध्यक्ष के चुनाव का जिक्र किया गया है। अनुच्छेद 93 के अनुसार, लोकसभा को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की भूमिका के लिए 2 सदस्यों को चुनने का अधिकार भी है, जब भी ये पद खाली होते हैं।

अनुच्छेद 95(1) में जिक्र भी है कि यदि अध्यक्ष का पद रिक्त यानी खाली है, तो अध्यक्ष के पद के कर्तव्यों का निर्वहन उपसभापति द्वारा किया जाएगा।

लोकसभा उपाध्यक्ष का चुनाव कैसे होता है?

संविधान का अनुच्छेद 93 कहता है कि लोकसभा जितनी जल्दी हो सके, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में दो सदस्यों का चयन करेगा, जब भी कार्यालय खाली हो। हालांकि, संविधान किसी विशेष समय सीमा का प्रावधान नहीं करता है। एक जवाबदेह लोकतांत्रिक संसद चलाने के लिए सत्तारूढ़ दल के अलावा किसी अन्य पार्टी से लोकसभा के उपाध्यक्ष का चुनाव करना संसदीय परंपरा रही है।

आम चुनावों के बाद लोकसभा की पहली बैठक में लोकसभा के सदस्यों में से पांच वर्ष की अवधि के लिए उपाध्यक्ष का चुनाव किया जाता है। वह तब तक पद पर बने रहते हैं जब तक कि वे लोकसभा के सदस्य नहीं रहते या इस्तीफा नहीं दे देते।

लोकसभा उपाध्यक्ष की भूमिका क्या होती है?

लोकसभा का उपाध्यक्ष संसद के निचले सदन, लोकसभा का दूसरे सबसे बड़े रैंकिंग अधिकारी होते हैं। पद और वरीयता के संबंध में 10वें स्थान पर राज्यसभा के उपसभापति, राज्यों के उपमुख्यमंत्री, योजना आयोग (अब नीति आयोग) के सदस्य, रक्षा मामलों के लिए केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री और रक्षा मंत्रालय में कोई अन्य मंत्री के साथ ही लोकसभा उपाध्यक्ष का पद भी आता है। वह लोकसभा के अध्यक्ष की अनुपस्थिति में पीठासीन अधिकारी के रूप में कार्य भी करते हैं।

अब तक किस-किसने डिप्टी स्पीकर का पोस्ट संभाला?

आप को बता दें कि, एम. अनन्तशयनम अय्यंगार लोकसभा के पहले उपाध्यक्ष बने थे। तिरुपति से सांसद चुने गई कांग्रेस नेता अय्यंगार का कार्यकाल मई 1952 से मार्च 1956 तक का हुआ था। अय्यंगार देश के दूसरे लोकसभा अध्यक्ष भी वही बने थे।

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एम. अनन्तशयनम अय्यंगार लोकसभा के पहले उपाध्यक्ष

वही सरदार हुकम सिंह लोकसभा के दूसरे डिप्टी स्पीकर थे। हुकम सिंह के दो कार्यकाल रहे, जिसमें 1st मार्च 1956 से अप्रैल 1957 तक और दूसरा मई 1957 से मार्च 1962 तक रहा था। सरदार हुकम सिंह अप्रैल 1962 से मार्च 1967 के बीच लोकसभा के तीसरे स्पीकर भी रहे थे। पहली लोकसभा में हुकम सिंह अकाली पार्टी के उम्मीदवार के रूप में तो दूसरी लोकसभा में बतौर कांग्रेस प्रत्याशी कपूरथला-भटिंडा निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए थे।

एस.वी. कृष्णामूर्ति राव अप्रैल 1962 से मार्च 1967 के बीच लोकसभा के तीसरे डिप्टी स्पीकर थे। 1962 के चुनाव में राव कांग्रेस के टिकट पर शिमोगा से सांसद बने थे। रघुनाथ केशव खाडिलकर चौथी लोकसभा के उपाध्यक्ष बने। कांग्रेस के टिकट पर खेड से सांसद बने खाडिलकर का कार्यकाल मार्च 1967 से नवंबर 1969 तक रहा।

वही मेघालय की पार्टी के नेता स्वेल बने डिप्टी स्पीकर
जॉर्ज गिल्बर्ट स्वेल मार्च 1971 और जनवरी 1977 तक लोकसभा के उपाध्यक्ष थे। और पांचवीं लोकसभा में स्वेल ऑल पार्टी हिल लीडर्स कॉन्फ्रेंस के टिकट पर मेघालय के ऑटोनोमस डिस्ट्रिक्स (एसटी) से जीते थे।

गोदे मुरहारी अप्रैल 1977 से अगस्त 1979 तक लोकसभा के उपाध्यक्ष थे। छठी लोकसभा में मुरहारी विजयवाड़ा से कांग्रेस के सांसद बने थे।

सातवीं लोकसभा में जी. लक्ष्मणन ने दिसम्बर 1980 से दिसम्बर 1984 डिप्टी स्पीकर की जिम्मेदारी संभाली। इस चुनाव में लक्ष्मणन मद्रास उत्तर से डीएमके के टिकट पर चुनाव जीते थे।

थम्बी दुरई पहले भी रहे हैं लोकसभा में उपाध्यक्ष

आठवीं लोकसभा में उपाध्यक्ष का पद डॉ. एम. थम्बी दुरई के नाम रहा था। वह जनवरी 1985 से नवंबर 1989 तक इस पद पर रहे थे। दुरई आठवीं लोकसभा में अन्ना द्रमुक के टिकट पर धर्मापुरी सीट से सांसद चुने गए थे।

आप को बता दें कि,इसके बाद ही शिवराज वी. पाटिल (Shivraj B Patil) मार्च 1990 से मार्च 1991 तक लोकसभा के उपाध्यक्ष भी रहे थे। नौवीं लोकसभा में पाटिल लातूर सीट से कांग्रेस के सांसद चुने गए थे।

अगस्त 1991 से मई 1996 तक एस. मल्लिकार्जुनैया लोकसभा के उपाध्यक्ष रहे। 10वीं लोकसभा में मल्लिकार्जुनैया भाजपा के टिकट पर तुमकुर से चुनाव जीते थे।

जुलाई 1996 से दिसंबर 1997 तक सूरज भान ने डिप्टी स्पीकर का पद संभाला। 11वीं लोकसभा में सूरज भान भाजपा के टिकट पर अंबाला लोकसभा क्षेत्र से चुने गए थे।

13वीं लोकसभा में पी.एम. सईद डिप्टी स्पीकर बने थे। सईद अक्तूबर 1999 से फरवरी 2004 तक इस पद पर बने रहे। 13वीं लोकसभा में पीएम सईद लक्षद्वीप सीट से कांग्रेस के सांसद चुने गए थे।

14वीं लोकसभा में चरनजीत सिंह अटवाल लोकसभा के उपाध्यक्ष के पद पर आसीन हुए। अटवाल का कार्यकाल जून 2004 से मई 2009 तक रहा। 2004 में अटवाल फिल्लौर सीट से शिरोमणि अकाली दल के सांसद बने थे।

वही करिया मुंडा 15वीं लोकसभा में उपाध्यक्ष के पद पर भी रहे थे। मुंडा जून 2009 मई से 2014 तक इस पद पर रहे थे। 2009 के लोकसभा चुनाव में वह खूंटी से बीजेपी के सांसद बने थे।

दुरई दूसरी बार लोकसभा उपाध्यक्ष बने

डॉ. एम. थम्बी दुरई दूसरी बार लोकसभा उपाध्यक्ष बने
8वीं के बाद 16वीं लोकसभा में उपाध्यक्ष का पद भी डॉ. एम. थम्बी दुरई के नाम ही रहा था। वह अगस्त 2014 से मई 2019 तक इस पद पर रहे थे। दुरई 2014 में अन्ना द्रमुक के टिकट पर क्रूर सीट से सांसद बने थे। हालांकि, इसके बाद 17वीं लोकसभा यानी 2019 से 2024 के बीच उपाध्यक्ष का पद खाली ही रहा था।

अवधेश प्रसाद को डिप्टी स्पीकर बनाने की कोशिश कर रहा विपक्ष?

18वीं लोकसभा में अभी तक सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच लोकसभा उपाध्यक्ष के पद पर सहमति नहीं बन पाई है। वही विपक्षी गठबंधन में शामिल दल लोकसभा स्पीकर पद के बाद अब डिप्टी स्पीकर के पद के लिए मोदी सरकार से दो-दो हाथ करने की फुल तैयारी में हैं। स्पीकर पद के चुनाव में हालांकि अंतिम समय में विपक्ष ने मत विभाजन की मांग से अपनी दूरी बना ली थी, मगर इस पद के लिए उसकी तैयारी मत विभाजन की मांग कर शक्ति परीक्षण कराने की भी है। वही खबरों के मुताबिक, चुनाव लड़ने पर कांग्रेस (INC) , सपा (SP) और टीएमसी (TMC) में सहमति बन चुकी है।

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फैजाबाद लोकसभा सीट से जीते समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद

जुलाई महीने के अंतिम सप्ताह में बजट का सत्र होगा
जिसमें डिप्टी स्पीकर का नाम भी तय किया जा सकता है। टीएमसी सूत्रों के मुताबिक पार्टी की मुखिया ममता बनर्जी ने इस पद के लिए फैजाबाद (अयोध्या) के सांसद अवधेश प्रसाद को उम्मीदवार बनाने की सलाह दी है। उनका मानना है कि इससे ‘इंडिया’ न सिर्फ दलित बिरादरी को बेहतर संदेश देगा, बल्कि बीजेपी को भी असमंजस में डालने में कामयाब रहेगा। दरअसल, फैजाबाद में अवधेश की जीत की पूरे देश में खूब चर्चा हुई थी।

इस बीच रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बीते सोमवार को उन बातों को नकारा है कि उन्होंने ममता बनर्जी से इस मसले पर फोन पर बात की है। रक्षा मंत्री ने कहा है कि डिप्टी स्पीकर के पद को लेकर किसी भी दल या नेता से उनकी कोई भी बातचीत नहीं हुई है।

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