AVN News Desk New Delhi: केन्द्र की मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार का यह बहुत बड़ा कदम है. इसके तहत अब तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता आसानी से मिल सकेगी. इसके लिए उन्हें केन्द्र सरकार द्वारा तैयार किए गए ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना होगा.
दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ही भाजपा ने सीएए ( CAA) को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था. इसे पार्टी ने बहुत बड़ा मुद्दा बनाया था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही के अपने चुनावी भाषणों में कई बार नागरिकता संशोधन कानून या CAA (सीएए ) को लागू करने की बात कर चुके थे. उन्होंने यह ऐलान किया था कि लोकसभा चुनाव से पहले ही इसे लागू कर दिया जाएगा. अब केन्द्र सरकार ने इसके लिए नोटिफिकेशन जारी करते हुए इसे अब लागू कर दिया है.

सीएए के तहत सभी मुस्लिम समुदाय को छोड़कर तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले बाकी धर्मों के लोगों को नागरिकता देने का एक प्रावधान है. केन्द्र सरकार ने सीएए (CAA) से संबंधित एक वेब पोर्टल को भी तैयार कर लिया गया है, जिसे नोटिफिकेशन के बाद ही लॉन्च भी किया जाएगा. तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले वहां के अल्पसंख्यकों को इस पोर्टल पर सबसे पहले अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा और सरकारी जांच पड़ताल के बाद उन्हें कानून के तहत नागरिकता दे दी जाएगी. इसके लिए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए विस्थापित अल्पसंख्यकों को कोई भी दस्तावेज देने की कोई जरूरत नहीं होगी.
2019 में केन्द्र सरकार ने कानून में किया था संशोधन
साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केन्द्र सरकार ने नागरिकता कानून में संशोधन किया था. इसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 से पहले आने वाले छह अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी) को भारत की नागरिकता देने को लेकर एक प्रावधान किया गया था. नियमों के मुताबिक, नागरिकता देने का अधिकार सिर्फ केन्द्र सरकार के हाथों में ही होगा.
किन किन लोगों को मिलेगी नागरिकता?
उन सभी को नागरिकता देने का अधिकार पूरी तरह से केन्द्र सरकार के पास ही है. पड़ोसी देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई समुदायों से आने वाले प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने के लिए 1955 के नागरिकता अधिनियम के अधिकार में संशोधन किया गया है. ऐसे सभी प्रवासी नागरिक, जो अपने देशों में धार्मिक उत्पीड़न से तंग आकर 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आकर शरण ले चुके हैं. इस कानून के तहत उन सभी लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है, जो भारत में वैध यात्रा दस्तावेज (पासपोर्ट और वीजा) के बगैर घुस आए हैं या फिर वैध दस्तावेज के साथ तो भारत में आए हैं, लेकिन तय अवधि से ज्यादा समय तक यहां यानी भारत में रुक गए हों.
नागरिकता के लिए करना होगा ये सभी काम
केन्द्र सरकार ने पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन बनाया है. इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल को भी तैयार किया गया है. सभी आवेदक अपने मोबाइल फोन से भी एप्लाई कर सकता है. आवेदकों को वह साल बताना होगा, जब उन्होंने दस्तावेजों के बिना ही भारत में प्रवेश किया था. आवेदकों से कोई भी दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा. नागरिकता से जुड़े जितने भी ऐसे मामले पेंडिंग हैं वे सब को ऑनलाइन कन्वर्ट किए जाएंगे. पात्र विस्थापितों को सिर्फ पोर्टल पर ही ऑनलाइन आवेदन करना होगा. उसके बाद ही गृह मंत्रालय जांच करेगा और फिर नागरिकता जारी कर दिया जाएगा.
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