AVN News Desk पटना: बिहार के 19 में से 16 कांग्रेस पार्टी विधायकों के हैदराबाद पहुंचने की तस्वीरों के साथ एक खबर राजनीति के गलियारों में तैर रही है और बिहार की जिस प्रकार मौजूदा सियासी पारा पल पल में बदल रही है। सूत्रों से मिली जानकारी यह है कि कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता और सांसद राहुल गांधी से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बात की है।
पिछले साल जून में जब सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्षी दलों का महाजुटान होने वाला था, ऐन वक्त पर हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा-सेक्युलर (हम-से) के विधायक और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन ने मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा दे दिया था। तब नीतीश कुमार ने मांझी, उनके बेटे और उनकी पार्टी के बाकी नेताओं से भितरघात की आशंका जताई थी, जबकि जवाब मिला था कि सीएम हम-से का जदयू में विलय चाहते थे। इस बीच, जीतन राम मांझी-नीतीश कुमार के बीच सदन में हुई तू-तू मैं-मैं का वीडियो भी सोसल मीडिया पर खबरों में खूब वायरल हुआ था। अब फिर परिस्थितयां बदलीं और नीतीश कुमार ने खुद वापस 2020 के जनादेश का हवाला देकर बीजेपी के साथ वापसी कर ली। जीतन राम मांझी के बेटे फिर से नीतीश मंत्रिमंडल में हैं। लेकिन, इस बीच वह एक और मंत्री पद की मांग के साथ धमका भी दे चुके हैं। और, अब यह सामने आ रहा है कि जीतन राम मांझी ने कांग्रेस के नंबर वन नेता सांसद राहुल गांधी से बात की है। बाद में माना है कि ऑफर था, उसी तरह कहीं है जीतन राम मांझी ने राज्य में 28 जनवरी को नीतीश कुमार के नेतृत्व में राजद की सरकार बनने तक एक बार भी नहीं स्वीकार किया कि उनके पास कई ऑफर था। वह और उनके बेटे साफ-साफ सीएम नीतीश कुमार के साथ-साथ नजर आए। नए सरकार के दो-तीन दिन भी नहीं गुजरे थे कि जीतन राम मांझी ने दबाव की राजनीति शुरू करते हुए कहा है- “मुझे उधर से मुख्यमंत्री पद का भी ऑफर था, लेकिन मैंने राजग और पीएम नरेंद्र मोदी में आस्था रखी।” मांझी को यह ऑफर था या नहीं, यह बात पहले नहीं आयी थी। हां, यह जरूर आया था कि उनके बेटे को डिप्टी सीएम का ऑफर दिया है। यह ऑफर क्यों हो सकता है, यह सबसे पहले इसकी पुष्टी एक बड़े अख़बार’ ने बताया था कि जिस दिन रोहिणी आचार्या ने मुख्य्मंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणी किया और फिर हटाया, उसी दिन राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव अपने बेटे तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की गणित भाग में लग गए थे। उसी गणित में चार विधायकों वाले हम-से का समर्थन हासिल करने के लिए यह ऑफर दिए जाने की बात सामने आयी थी। अभी न तो जीतन राम मांझी और न उनकी पार्टी का कोई यह स्वीकार कर रहा है कि वह महागठबंधन के संपर्क में है, लेकिन बाद में ऐसा हो तो हैरान मत होना।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी-राहुल गांधी में क्या बात हुई है
कांग्रेस पार्टी के राज्यस्तरीय दो नेताओं ने एक इंटरव्यू में’ बताया- “संभवत: जीतन राम मांझी ने राहुल गांधी को कॉल किया था।” राजनीति गलियारों में चल रही बातों को कांग्रेस पार्टी के नेता सामने आकर पुष्ट तो नहीं कर रहे, लेकिन वह इसे गलत भी नहीं बता रहे है। दूसरी तरफ जीतन राम मांझी ऐसा कुछ नहीं होने की बात भी कह रहे। ऐसे में कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने ही बात आगे बढ़ाते हुए बताया है कि 12 फरवरी को कुछ खेला जरूर होगा, आप इंतजार कीजिए। हम अपने विधायक को अपने साथ रख रहे हैं। तेजस्वी यादव अभी चुप हैं, इसका मतलब तो वह समय पर ही बताएंगे। जहां तक संख्याबल की बात है तो इसी पर राहुल गांधी और जीतन राम मांझी की बात हुई होगी। बताया जा रहा है कि जीतन राम मांझी ने कहा है कि जदयू के कुल लोग नीतीश कुमार के ताजा फैसले से नाखुश हैं और टूट सकते हैं। ऐसा कुछ पक्के तौर पर हो गया तो वह सामने आ ही जाएंगे। लेकिन, सबसे ज्यादा कांग्रेस पार्टी के अंदर चल रही जीतन राम मांझी-राहुल गांधी वार्ता को नकारने की वजह भी है। मांझी के बेटे मंत्री हैं। जीतन राम मांझी को खुद भी राजग से कुछ बड़ा गिफ्ट मिलने का इंतजार है। इंडी एलायंस की हालत ऐसी नहीं दिख रही है कि वह बिहार में चमत्कार करने की स्थिति में है। यानी, परिस्थितयां कम और चर्चा ज्यादा हैं। सच्चाई का पता अब 12 फरवरी को ही चलेगा। कहीं ऐसा न हो कि जिस तरह 28 जनवरी को जुगाड़ नहीं लगा, उसी तरह 12 फरवरी को भी कुछ न हो। बस आप इंतजार कीजिए 12 फ़रवरी तक सब पिक्चर क्लीयर हो जायगा.

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