Bihar News: बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मोदी सरकार के कैबिनेट मंत्री चिराग पासवान क्या बीजेपी के लिए ‘सिरदर्द’ बनते जा रहे हैं? कम से कम उनके दिए हालिया बयानों से तो यही झलक रहा है. वही पिछले कुछ दिनों से चिराग पासवान बीजेपी, एनडीए और मोदी सरकार के लाइन से बिल्कुल ही अलग राय रख रहे हैं. आपको बता दें कि मोदी कैबिनेट में शामिल होने के बाद से सबसे पहले उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी के कोटे के अंदर कोटा के फैसले का विरोध किया, फिर यूपीएससी के लेटरल एंट्री के विज्ञापन का विरोध किया, इसके बाद अब विपक्ष के भारत बंद का समर्थन कर दिया है. अब रांची में पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जाति जनगणना के मुद्दे पर राहुल गांधी और अखिलेश यादव के मांग के अब समर्थन में खड़े हो गए.
रविवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में चिराग पासवान ने कहा, ‘मेरी पार्टी जाति जनगणना के समर्थन में हमेशा से ही रही है. और हम भी चाहते हैं कि जाति जनगणना हो. वही इसकी वजह यह है कि राज्य या केंद्र की जो भी योजनाएं बनती हैं वह जाति को ध्यान में रखकर ही बनाई जाती हैं. और ऐसे में सरकार के पास उस जाति की जनसंख्या की जानकारी होनी चाहिए ताकि उस जाति को मुख्यधारा में जोड़ने या संबंधित योजना के धन वितरण उचित मात्रा में उस जाति के लिए हो सके.’
क्या अलग राह की तलाश में हैं बिहार एलजेपी चिराग पासवान?
लेकिन, राजनीतिक जानकारों की मानें तो एलजेपी (रामविलास) का राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक रांची में आयोजित करना एक रणनीति का हिस्सा है. राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं, ‘एलजीपी झारखंड विधानसभा के आगामी चुनाव में कम से कम 20 से 22 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्लान बना रही है. पीएम नरेंद्र मोदी का हनुमान कहने वाले चिराग पासवान अब अलग राह पर चल पड़े हैं. चिराग पासवान के हालिया बयानों से बीजेपी और एनडीए काफी असहज महसूस कर रही है. पिता की तरह ही वह भी बड़े मौसम वैज्ञानिक बनना चाहते हैं. बीजेपी के लिए भी मजबूरी है कि वह अभी कुछ कर भी नहीं सकती. वही जेडीयू जैसी पार्टियां 12 सांसद जीतकर भी जहां गंभीर नजर आ रही है. और वहीं बीजेपी की वैशाखी पर 5 सीट जीतने वाले एलजेपी (आर) के चिराग पासवान अब आंखें दिखाने लगे हैं.’
वही कहा जा रहै है कि चिराग पासवान के एक के बाद एक बयान से मोदी सरकार भी काफी असहज महसूस कर रही है. वही क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला हो या फिर भारत बंद या फिर लेटरल एंट्री या अब जाति आधारित जनगणना पर दिए बयानों से विपक्षी पार्टियां काफी खुश होंगी. और खासकर, आने वाले झारखंड विधानसभा चुनाव में ये बहुत बड़ा मुद्दा बन सकता है. तो ऐसे में झारखंड में चिराग पासवान बीजीपी के लिए विलन की भूमिका निभा सकते हैं?