AVN News Desk: कांग्रेस ने शनिवार को मध्यप्रदेश संगठन में बहुत बड़ा उलटफेर करते हुए पिछड़ा वर्ग, आदिवासी जनजाति और सामान्य वर्ग को साधने का पुरा प्रयास किया है। पार्टी हाईकमान ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की छुट्टी करते हुए उनके स्थान पर पूर्व मंत्री और ओबीसी वर्ग से आने वाले जीतू पटवारी को पार्टी की कमान सौप दी है। वहीं, आदिवासी चेहरे उमंग सिंघार को 16वीं विधान सभा के लिए नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही दूसरी बार के विधायक हेमंत कटारे को उप नेता प्रतिपक्ष (Deputy Leader Of Opposition) बनाया गया है।

अटेर से विधायक कटारे ब्राह्मण जाति से आते हैं और सामान्य वर्ग से आते हैं। ये तीनों ही राहुल गांधी की पसंद माने जाते हैं। पार्टी के इस बड़े बदलाव के पीछे भी राहुल गांधी की ही सोच बताई जा रही है। इस निर्णय में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की भी भूमिका छिपी नहीं है। आप को बता दें, मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से ही कांग्रेस पार्टी में बदलाव की मांग उठ रही थी। पार्टी हाईकमान ने भी इसके संकेत दे चुका था।

कमलनाथ से नहीं बैठ रही थी पटरी

बताया जा रहा है कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और ऑल इंडिया कांग्रेस में लंबे समय से पटरी यानी ताल मेल नहीं बैठ पा रही थी। इसी का नतीजा रहा है कि पार्टी को विधानसभा चुनाव में मुंह की खानी पड़ी है। कमलनाथ और दिल्ली में तालमेल न होने की झलक कई बार पार्टी फैसलों में भी साफ तौर पर दिखाई देती थी। ऐसे में पार्टी ने अब फाइनली कमलनाथ के हाथ से प्रदेश की कमान लेते हुए युवा चेहरे जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी सौंपी दी है। हालांकि, जीतू पटवारी खुद इस बार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पाए है, वह राऊ विधानसभा से अपना चुनाव हार गए थे।

कमलनाथ करते रहे है दावा

इधर, चुनाव में मिली करारी हार के बाद भी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ यह दावा करते रहे कि वे दिल्ली नहीं जाएंगे और न ही वे रिटायरमेंट लेंगे। इतना ही नहीं उनका कहना था कि दिल्ली से लौटकर वे लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटेंगे। इसके लिए उन्होंने प्रदेश का दौरा करने की बात भी कही थी। लेकिन पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर अब ये बिल्कुल साफ कर दिया है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी वो गलतियां दोहराने के मूड में बिलकुल नहीं है, जो विधानसभा चुनाव में हुई हैं। लोकसभा चुनाव अब युवा नेतृत्व में लड़ा जाएगा।

पूरी तरह से अफवाह निकली थी इस्तीफे की खबर

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद दिल्ली में समीक्षा बैठक रखी गई थी। इसमें कमलनाथ के शामिल होने के बाद से ही उनके इस्तीफे को लेकर खबरों का बाजार खूब गर्म हो गया था। इतना ही नहीं खबरें यहां तक सामने आ गई थीं कि कमलनाथ से पार्टी हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा मांग लिया है और उन्होंने इस्तीफा दे भी दिया है। हालांकि, सोशल मीडिया पर वायरल हो रही कमलनाथ के इस्तीफे की खबर का उनके मीडिया समन्वयक पीयूष बबेले ने खंडन भी किया था।

कमलनाथ के बयान रहे चर्चा में

विधानसभा चुनाव के दौरान सामने आए कमलनाथ के कई बयान भी उनके इस्तीफे के लिए जिम्मेदार माने जा रहे हैं। इनमें इंडिया गठबंधन की भोपाल में होने वाली रैली को लेकर भी दिया गया बयान। इसके बाद दिग्विजय सिंह और उनके बेटे जयवर्धन सिंह को लेकर कार्यकर्ताओं के सामने दिया गया कपड़े फाड़ने वाला बयान। सपा नेता अखिलेश यादव को लेकर दिया गया बयान बहुत भारी पड़ गया।

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