एवीएन न्यूज़ डेस्क नई दिल्ली: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को निजी क्षेत्र की नौकरियों में हरियाणा में स्थानीय लोगों के लिए 75 प्रतिशत अधिवास आरक्षण (Domicile Reservation) को “असंवैधानिक” घोषित कर दिया। अदालत की एक खंडपीठ ने माना है कि हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों (Local Candidates) का रोजगार अधिनियम, 2020 संविधान के भाग-III का उल्लंघन है।
2021 में पारित अधिनियम, 30,000 रुपये से कम वेतन वाली निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत रिक्तियां (Vacancies) उन उम्मीदवारों के लिए आरक्षित करना अनिवार्य करता है जो राज्य के निवासी हैं।
जस्टिस जीएस संधावालिया और हरप्रीत कौर जीवन ने कहा कि यह कानून संविधान के भाग-III का उल्लंघन है। निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने इस कानून को रद्द कर दिया।
विवादास्पद मुद्दे
अदालत ने याचिकाओं की सुनवाई के दौरान चार महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श किया: रिट याचिकाओं की स्थिरता, कानून पारित करने के लिए राज्य की विधायी क्षमता, निजी क्षेत्र में आरक्षण नीति का कार्यान्वयन, और क्या कानून उचित प्रतिबंध के बराबर है।
सभी चार मुद्दों पर याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाया गया।
हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों का रोजगार अधिनियम, (Employment Act) 2020
हरियाणा सरकार ने हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों का रोजगार अधिनियम, 2020 पारित किया था, जो कम वेतन वाली नौकरियों में स्थानीय उम्मीदवारों को प्राथमिकता देने पर केंद्रित था। मार्च 2021 में पारित कानून को राज्य श्रम विभाग द्वारा 6 नवंबर, 2021 को अधिसूचित किया गया था।
इस कानून का उद्देश्य कम वेतन वाली नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाले बड़ी संख्या में प्रवासियों द्वारा स्थानीय बुनियादी ढांचे को प्रभावित करने वाली चुनौतियों का समाधान करना था। इसने सुझाव दिया कि इन भूमिकाओं में स्थानीय उम्मीदवारों को प्राथमिकता देना राज्य के निवासियों के बड़े हितों के लिए सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से वांछनीय था।
हालाँकि, फ़रीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने कानून को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि यह अनुच्छेद 19 के तहत निजी नियोक्ताओं के मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप करता है। उन्होंने तर्क दिया कि कानून द्वारा लगाए गए प्रतिबंध मनमाने और अत्यधिक थे।