AVN News Desk Patna: राजधानी दिल्ली में आयोजित INDIA गठबंधन की चौथी बैठक के बाद बिहार में सियासी अटकलें बहुत तेज हो गई हैं . सूत्रों द्वारा कहा जा रहा है कि राज्य में अगले कुछ दिनों में सियासी उथल-पुथल शुरू हो सकता है. दरअसल सीएम नीतीश कुमार जब दिल्ली से लौटे तो उसके बाद जेडीयू (Janata Dal United) ने 29 दिसंबर अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक एक साथ बुलाने का ऐलान कर दिया है. कहा जा रहा है कि बैठक में राजीव रंजन सिंह उर्फ ​​ललन सिंह को जेडीयू पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा सकती है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जिनके पास वर्तमान में कोई संगठनात्मक पद नहीं है वह जेडीयू के अध्यक्ष का पदभार फिर से संभाल सकते हैं.

सीएम नीतीश खुद संभालेंगे कमान!

हाल के दिनों में ललन सिंह की लालू यादव के साथ नज़दीक बढ़ी है. फिलहाल जेडीयू में 2 संभावनाएं बन रही हैं जिसमें से एक यह है कि पार्टी में किसी भी तरह की टूट से बचने के लिए या तो सीएम नीतीश खुद पार्टी अध्यक्ष बन सकते हैं, जो नीतीश के करीबी वरिष्ठ नेता भी चाहते हैं. दूसरी संभावना ये है कि नीतीश किसी ऐसे अन्य नेता को भी पार्टी अध्यक्ष नियुक्त कर सकते हैं जो उनकी हां में हां मिलाने वाला हो.लेकिन इससे पार्टी में असंतोष का माहौल पैदा हो सकता है.

सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ललन सिंह के कामकाज के तरीके और खासकर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से उनकी बढ़ती नजदीकियों से काफ़ी नाराज हैं. बिहार के राजनीतिक गलियारों में चर्चा खूब है कि ललन सिंह 2024 का लोकसभा चुनाव फिर से मुंगेर लोक सभा से लड़ने के इच्छुक थे, जहां से वह वर्तमान में जेडीयू सांसद हैं और वह राजद (Rashtriya Janata Dal) के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं.

सियासी बाजार में ऐसी अटकलें हैं कि नीतीश कुमार, ललन सिंह सहित पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं से नाराज हैं क्योंकि इन्होंने बैठक के दौरान नीतीश की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं को सही तरीके से इंडिया गठबंधन के नेताओं के समक्ष नहीं रखा है. जब पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने अप्रत्याशित रूप से कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को ब्लॉक के संभावित पीएम चेहरे के रूप में घोषित किया, तो कुछ नेताओं ने कथित तौर पर सोचा कि क्या वह नीतीश कुमार की संभावनाओं को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं.

इस बात की प्रबल संभावना है कि 29 दिसंबर को जब जनता दल यूनाइटेड की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक होगी तो ललन सिंह शायद बाहर हो जाएंगे और नीतीश कुमार 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी अध्यक्ष का पद संभाल लेंगे. समझा जाता है कि नीतीश कुमार को उनके करीबी विश्वासपात्रों ने सलाह दी है कि उन्हें खुद ही पार्टी अध्यक्ष का पद संभाल लेना चाहिए क्योंकि इससे पार्टी के भीतर किसी भी तरह की कलह से बचने में बहुत हद तक मदद मिलेगी.

तो अब क्या इस लिस्ट में शुमार हो जाएंगे ललन सिंह

अगर नीतीश कुमार किसी और को भी पार्टी अध्यक्ष नियुक्त कर सकते हैं जिसमें जनता दल यूनाइटेड के सांसद रामनाथ ठाकुर का नाम भी सामने आ रहा है. जेडीयू का इतिहास रहा है कि जब भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक एक साथ बुलाई गई है तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भी बदल दिया गया है.

अगर 29 दिसंबर को राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को पार्टी अध्यक्ष के रूप में हटा दिया जाता है तो वह जॉर्ज फर्नांडिस, शरद यादव, उपेन्द्र कुशवाह , आरसीपी सिंह और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर जैसे पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की कतार में शामिल हो जाएंगे, जो बेहद वरिष्ठ होने के बावजूद नीतीश कुमार से अलग हो गए हैं.

जब नीतीश कुमार के सामने भिड़ गए थे ललन और अशोक चौधरी

चर्चा ये भी है कि ललन सिंह की अपनी ही पार्टी के नेताओं के साथ भी तनातनी चल रही है. कुछ दिन पहले ही राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह और मंत्री अशोक चौधरी के बीच खूब नोकझोंक हुई थी. खास बात ये रही कि ये सब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आंखों के सामने होता रहा. इस लड़ाई के बाद सीएम नीतीश कुमार की खूब किरकिरी हो रही है. बिहार में अब इस लड़ाई की चर्चा जोर सौर से हो रही है.

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