Employment for youth in a developing country: भारत जैसे विकासशील देश में युवाओं के लिए रोजगार एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। युवाओं की संख्या किसी भी देश की सबसे बड़ी ताकत हो सकती है, लेकिन बेरोजगारी इसे एक बड़ी चुनौती बना देती है। केंद्र सरकार ने रोजगार को लेकर कई वादे किए, लेकिन यह वादे ज़मीनी स्तर पर कितने पूरे हुए, इस पर सवाल खूब उठते रहे हैं।
युवाओं को रोजगार देने में विफलता के मुख्य कारण
1. शिक्षा प्रणाली और कौशल का अंतर
भारत की शिक्षा प्रणाली में ऐसी खामियां हैं, जो युवाओं को नौकरी के लिए तैयार नहीं करतीं। ज्यादातर छात्र केवल डिग्री हासिल करते हैं, लेकिन नौकरी के लिए आवश्यक कौशल से वंचित रहते हैं। तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण की कमी के कारण, युवा रोजगार के लिए योग्य नहीं बन पाते।
2. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की धीमी गति
‘मेक इन इंडिया‘ और अन्य योजनाओं के बावजूद भी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में अपेक्षित प्रगति नहीं हुई है। फैक्ट्रियों और उत्पादन क्षेत्र में नौकरियां पैदा नहीं हो रही हैं, जिससे रोजगार के अवसर सीमित हो गए हैं।
3. निजी क्षेत्र में रोजगार का गिरता स्तर
निजी क्षेत्र में छंटनी और कॉर्पोरेट नौकरियों में कटौती ने भी बेरोजगारी को खूब बढ़ावा दिया है। नई नौकरियों का सृजन नहीं हो रहा, और पुरानी नौकरियां दिन पर दिन खत्म हो रही हैं।
4. सरकारी नौकरियों में कमी
सरकारी नौकरी पाने के लिए प्रतियोगिता बहुत ही कठिन हो गई है। एक-एक पद के लिए लाखों लाखों उम्मीदवार आवेदन करते हैं। कई बार, भर्तियां धीमी गति से होती हैं या सालों तक लंबित ही रहती हैं या यूं बोले कि सरकारी नौकरियों को सिर्फ चुनावी वादों तक ही सीमित रहती चाहे बड़े नेता हो या छोटे नेता भाषण देकर भाषण तक ही सीमित रहता है।
5. स्वरोजगार में सहयोग की कमी
सरकार की योजनाएं, जैसे मुद्रा योजना, युवाओं को स्वरोजगार की ओर प्रेरित करने में पूरी तरह सफल नहीं हो पाई हैं। बैंक से कर्ज लेना अभी भी बहुत जटिल है, और बिना उचित मार्गदर्शन के युवा स्वरोजगार में असफल हो जाते हैं।
6. अर्थव्यवस्था की धीमी वृद्धि
कोविड-19 महामारी और अन्य आर्थिक कारणों के चलते देश की आर्थिक वृद्धि बहुत धीमी रही है और इसमें कुछ हद तक सरकार के पास नितियों का अभाव भी रहा है। इसका सीधा असर रोजगार पर पड़ा है। निवेश में कमी के कारण नई नौकरियां नहीं बन पाईं।
भारत सरकार की योजनाओं का प्रभाव और खामियां
सरकार ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना, स्टार्टअप इंडिया, और स्किल इंडिया जैसी योजनाएं शुरू कीं। हालांकि, इन योजनाओं का प्रभाव सीमित ही रहा। इन योजनाओं को लागू करने में पारदर्शिता की पूरी कमी और जमीनी स्तर पर सही जानकारी के अभाव के कारण लाभार्थी तक पहुंचना बहुत मुश्किल हो गया।
क्या किया जा सकता है?
शिक्षा में सुधार: शिक्षा प्रणाली को कौशल आधारित बनाया जाए ताकि युवा रोजगार के लिए तैयार हों।
औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा: मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश बढ़ाकर रोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकते हैं।
स्वरोजगार को प्रोत्साहन: कर्ज लेने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए और युवाओं को व्यवसाय शुरू करने के लिए मार्गदर्शन भी दिया जाए।
नौकरियों के डिजिटल प्लेटफॉर्म: रोजगार के अवसरों को डिजिटल माध्यम से युवाओं तक पहुंचाने के लिए प्लेटफॉर्म तैयार किए जाएं।
निवेश आकर्षित करना: विदेशी और घरेलू निवेश बढ़ाकर नई कंपनियां और फैक्ट्रियां खोली जाएं।
इसका निष्कर्ष :
युवाओं को रोजगार देना सरकार की प्राथमिक ही नहीं जिम्मेदारी भी है। यदि रोजगार से जुड़ी नीतियों पर गंभीरता से काम किया जाए और योजनाओं को सही तरीके से लागू किया जाए, तो देश का युवा वर्ग बेरोजगारी की समस्या से बाहर निकल सकता है। भारत को अपनी सबसे बड़ी ताकत, युवाओं को, सही दिशा में इस्तेमाल करना होगा, तभी विकास संभव है और विकाश सिल देश आगे बढ़ कर विकसित भारत बनेगा।