Makar Sankranti Facts : मकर संक्रांति एक ऐसा त्योहार है, जब पूरी प्रकृति सूर्यदेव को नमन करती है। इस दिन का महत्व शास्त्रों में विशेष रूप से बताया गया है, और इसे भगवान सूर्य के स्वागत का दिन माना जाता है। इस दिन का खास प्रभाव जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने और पुण्य प्राप्त करने पर पड़ता है। आइए जानते हैं मकर संक्रांति से जुड़े कुछ रोचक तथ्य और जानकारी।
मकर संक्रांति
1. पहली पतंग उड़ाने की परंपरा
मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा का आरंभ भगवान श्रीराम ने किया था। कहा जाता है कि भगवान राम ने पहली बार पतंग उड़ाकर उसे स्वर्गलोक में इंद्र के पास भेजा था। इस दिन पतंग उड़ाने से जीवन के सारे क्लेश समाप्त हो जाते हैं। यह परंपरा आज भी कायम है और लोग इस दिन पतंग उड़ाकर अपनी खुशियाँ और उत्साह जाहिर करते हैं।
2. दान का महत्व
मकर संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व है। इस दिन को पुण्यकाल माना जाता है और यह समय है जब हम गरीबों को यथाशक्ति दान करें। पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद खिचड़ी, तिल, गुड़, रेवड़ी और गजक का दान करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस दिन किए गए दान से जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं।
3. मुहूर्त और पुण्य काल
इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी, मंगलवार को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ होगी। सुबह 8:30 बजे सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे, और इस समय से मकर संक्रांति की शुरुआत मानी जाएगी। दिनभर पुण्यकाल रहेगा, जो शाम 5:46 बजे तक रहेगा। खासकर सुबह का समय अधिक पुण्यदायक माना जाता है, जब स्नान और दान करने से विशेष लाभ मिलता है।
4. मकर संक्रांति पूजा विधि
मकर संक्रांति की पूजा करने के लिए सबसे पहले सुबह गंगाजल, तिल, और औषधियों को मिलाकर स्नान करें। इस दौरान यह मंत्र बोलें:
“गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।”

इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और तिल, गुड़, नमक, हल्दी, फूल, चावल आदि अर्पित करें। फिर सूर्यदेव को तिल और गुड़ मिलाकर अर्घ्य दें। पीपल के पवित्र पेड़ को जल अर्पित करें और इसके बाद जरूरतमंदों को दान दें।
साथ ही, सूर्यपुराण, शनि स्तोत्र, आदित्यहृदय स्तोत्र, और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना भी शुभ माना जाता है।
इस दिन की पूजा और दान से जीवन में सुख-समृद्धि और पुण्य की प्राप्ति होती है, और यह हमारे कर्मों का शुद्धिकरण भी करता है।
