23 सितंबर को हर साल अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा (international sign language) दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि लोगों को सांकेतिक भाषा के महत्व के बारे में जानकारी और जागुरूकता प्रदान करना। बधिर लोगों के लिए सांकेतिक भाषा काफी मायने रखता है। इसमें वह अपनी बातो को किसी को बताने के लिए उंगलियों या हाथ के इशारों के जरिए बातचीत की जाती है।

 

क्या है सांकेतिक भाषा : जब हम शरीर के अंगों के जरिए किसी दूसरे को अपनी बात कहते हैं, तो यह सांकेतिक भाषा कहलाता है। जैसे कोई सुन नहीं पाता है, तो उसे उंगलियों या हाथ के इशारों के माध्यम से अपनी बात समझाते हैं। दिव्यांग लोगों के लिए सांकेतिक भाषा का काफी महत्व है।

अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा का इतिहास : 23 सितंबर, 2018 को संयुक्त राष्ट्र महासभा यानी यूनाइटेड नेशन ने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा मनाने की घोषणा की थी। अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस पहली बार 2018 में मनाया गया था। यह दिन बधिर व्यक्तियों के विकास के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा 2023 का थीम : लोग सांकेतिक भाषा को लेकर जागरूक रहें और इसके महत्व को समझें, इसी उद्देश्य को समझते हुए हर साल 23 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस मनाया जाता है। इस दिन कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिससे बधिर को नई बातों की जानकारी मिल सके।

इस साल अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस की थीम एक ऐसी दुनिया जहां सुनने में असमर्थ लोग ‘”A World Where Deaf People Everywhere Can Sign Anywhere“(deaf people) संकेतों की मदद से किसी से भी और कहीं भी अपनी बात कह सकें।

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