अरावली पर्वत न हो तो क्या होगा

 

 यदि अरावली पर्वत न हो तो क्या होगा?..

अरावली पर्वत भारत की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला है और यह उत्तर-पश्चिम भारत के पर्यावरण की रीढ़ मानी जाती है। राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और गुजरात के पर्यावरण संतुलन में अरावली पर्वत की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। लेकिन यदि कल्पना की जाए कि अरावली पर्वत का अस्तित्व ही न हो, तो इसके परिणाम अत्यंत भयावह और दूरगामी होंगे।

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अरावली पर्वत न हो तो क्या होगा

1. थार मरुस्थल का तेज़ी से विस्तार

अरावली पर्वत थार मरुस्थल और उपजाऊ मैदानी क्षेत्रों के बीच प्राकृतिक दीवार का कार्य करता है।

यदि अरावली पर्वत न हो:

  • थार मरुस्थल दिल्ली, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक फैल सकता है
  • कृषि योग्य भूमि धीरे-धीरे रेतीले क्षेत्र में बदल जाएगी
  • खेती और ग्रामीण जीवन पर गहरा संकट आ जाएगा

2. वर्षा प्रणाली पर बुरा प्रभाव

अरावली पर्वत मानसून की दिशा और वर्षा को प्रभावित करता है।

इसके न होने पर:

  • दक्षिण-पश्चिम मानसून की हवाएँ बिना बाधा के आगे निकल जाएँगी
  • राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में वर्षा और कम हो जाएगी
  • सूखा और जल संकट आम हो जाएगा

3. जल संकट और भू-जल स्तर में गिरावट

अरावली पर्वत वर्षा जल को रोककर:

  • भूमिगत जल को रिचार्ज करता है
  • नदियों और झीलों को जीवन देता है

इसके बिना:

  • भू-जल स्तर बहुत नीचे चला जाएगा
  • कुएँ, तालाब और झीलें सूख जाएँगी
  • पीने के पानी का गंभीर संकट उत्पन्न होगा

4. तापमान में अत्यधिक वृद्धि

अरावली पर्वत हरियाली और वनस्पति के कारण तापमान को संतुलित रखता है।

यदि यह न हो:

  • क्षेत्र में अत्यधिक गर्मी पड़ेगी
  • हीट वेव (लू) की घटनाएँ बढ़ जाएँगी
  • दिल्ली और आसपास के क्षेत्र रेगिस्तानी जलवायु जैसे हो सकते हैं

5. वन्यजीव और जैव विविधता का विनाश

अरावली पर्वत अनेक वन्यजीवों और वनस्पतियों का घर है।

इसके न होने से:

  • कई पशु-पक्षी प्रजातियाँ विलुप्त हो जाएँगी
  • जैव विविधता नष्ट होगी
  • प्राकृतिक खाद्य श्रृंखला टूट जाएगी

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6. प्रदूषण और पर्यावरण असंतुलन

अरावली पर्वत दिल्ली-एनसीआर के लिए:

  • प्रदूषण रोकने वाली ग्रीन वॉल (Green Wall) की तरह काम करता है

यदि यह न हो:

  • धूल और प्रदूषण सीधे शहरों में पहुँचेगा
  • वायु गुणवत्ता अत्यंत खराब हो जाएगी
  • सांस संबंधी बीमारियाँ बढ़ेंगी

7. कृषि और खाद्य सुरक्षा पर असर

अरावली पर्वत की अनुपस्थिति में:

  • वर्षा की कमी से खेती प्रभावित होगी
  • भूमि की उर्वरता घटेगी
  • खाद्यान्न उत्पादन कम होगा
  • किसानों की आजीविका खतरे में पड़ जाएगी

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8. मानव जीवन पर गंभीर प्रभाव

इन सभी कारणों का सीधा असर मानव जीवन पर पड़ेगा:

  • पलायन (Migration) बढ़ेगा
  • बेरोज़गारी और गरीबी में वृद्धि होगी
  • प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ जाएगा

वर्तमान स्थिति से चेतावनी

आज अवैध खनन, वनों की कटाई और शहरीकरण के कारण अरावली पर्वत धीरे-धीरे नष्ट हो रहा है। यदि समय रहते इसे नहीं बचाया गया, तो भविष्य में इसके न होने जैसे हालात बन सकते हैं।

संरक्षण ही समाधान है

अरावली पर्वत को बचाने के लिए:

  • अवैध खनन पर सख्त रोक
  • बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण
  • पर्यावरण कानूनों का पालन
  • जन-जागरूकता अत्यंत आवश्यक है

निष्कर्ष

यदि अरावली पर्वत न हो, तो उत्तर-पश्चिम भारत रेगिस्तान, सूखा, जल संकट, भीषण गर्मी और पर्यावरणीय तबाही की चपेट में आ जाएगा। अरावली पर्वत केवल पहाड़ नहीं, बल्कि जीवन रक्षक ढाल है। इसका संरक्षण करना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।

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Note :-

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By: KP
Edited  by: KP

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