एवीएन न्यूज रूम: कतर से गुरुवार को एक हैरान और परेशान कर देने वाली खबर सामने आई है। दरअसल, यहां की एक अदालत ने भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को मौत की सजा यानी फाशी सुनाई है। इस फैसले पर भारत सरकार ने भी हैरानी जताई है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि मौत की सजा के फैसले से हम गहरे सदमे में हैं और विस्तृत जानकारी और फैसले का इंतजार कर रहे हैं।
जिस मामले में पूर्व नौसैनिकों को सजा-ए-मौत सुनाई गई है वो करीब एक साल पुराना है। जहां इस खबर के बाद भारत सरकार ने कानूनी विकल्प तलाशने भी शुरू कर दिए गए हैं, तो वहीं दूसरी ओर पूर्व नौसैनिकों के परिजन ने भी सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं।
आइये समझते हैं कि आखिर किस मामले में पूर्व नौसैनिकों को मृत्युदंड यानी मौत की सजा सुनाई गई है? कौन हैं ये पूर्व नौसेनिक? यह मामला कितना पुराना है? अब तक क्या-क्या हुआ? आगे क्या हो सकता है? आइए समझते है पूरी रिपोर्ट में
पूर्व भारतीय नौसैनिकों को मृत्युदंड की सजा क्यू सुनाई गई है?
ये वाकया हुआ है कतर की राजधानी दोहा में अल दहरा कंपनी के आठ सेवानिवृत्त भारतीय कर्मचारियों को मौत की सजा सुनाई गई है। यह फैसला कतर के कोर्ट ऑफ फर्स्ट इंस्टांस (Court of First Instance) द्वारा सुनाया गया है। इन सभी पर नौसैनिको पर पनडुब्बी कार्यक्रम में कथित रूप से जासूसी करने का आरोप लगाया गया था। हालांकि, कतर ने कभी इस बारे में सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेवानिवृत होने के बाद भी ये सभी नौसैनिक कतर की निजी कंपनी दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एवं कंसल्टेंसीज सर्विसेज में काम कर रहे थे। यह कंपनी कतरी एमिरी नौसेना को ट्रेनिंग और अन्य सेवाएं प्रदान करती है। कंपनी खुद को कतर रक्षा, सुरक्षा एवं अन्य सरकारी एजेंसी की स्थानीय भागीदार बताती है।
कौन हैं ये पूर्व भारतीय नौसेनिक?
जिन नौसेनिक के खिलाफ फैसला आया है, उनमें सेवानिवृत्त कमांडर पूर्णेंदु तिवारी हैं। पूर्णेंदु एक भारतीय प्रवासी हैं जिन्हें 2019 में प्रवासी भारती सम्मान पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इंटरनेट पर दहरा कंपनी की वेबसाइट (अब मौजूद नहीं) पर दर्ज जानकारी के अनुसार, पूर्णंदू तिवारी भारतीय नौसेना में कई बड़े जहाजों की कमान संभाल चुके हैं।
एक अन्य कमांडर सुगुणाकर पकाला का भारतीय नौसेना में शानदार सफर रहा है जो कि अपने सामाजिक काम के लिए भी जाने जाते हैं। यही कारण है उनके परिजनों और दोस्तों का इस फैसले पर यकीन नहीं हो पा रहा है। सुगुणाकर ने विजयनगरम के कोरुकोंडा सैनिक स्कूल और फिर विशाखापत्तनम स्टील प्लांट में केंद्रीय विद्यालय में अपनी स्कूली पढ़ाई की है। सुगुणाकर 18 साल की उम्र में ही नौसेना में शामिल हुए थे। करियर के दौरान उन्होंने विभिन्न इकाइयों और जहाजों पर सेवा के साथ नौसेना इंजीनियरिंग कोर में काम भी किया है। नौसैनिक के रूप में सुगुणाकर ने मुंबई, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और विशाखापत्तनम में अपनी सेवाएं दीं है। सुगुणाकर 2013 में नौसेना से सेवानिवृत्त हुए और बाद में अलदहरा कंपनी से जुड़ गए थे। पिछले साल अपनी गिरफ्तारी के समय सुगुणाकर कंपनी के निदेशक के रूप में कार्यरत थे।
अमित नागपाल नौसेना में कमांडर रहे हैं। अमित अपनी सेवा के दौरान संचार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध कौशल के लिए जाने जाते रहे हैं। नौसेना में कमांडर रहे संजीव गुप्ता की तोपखाना से जुड़े मामलों में महारत हासिल था .
सौरभ वशिष्ठ नौसेना में कैप्टन के पद पर रहे हैं। अपनी सेवा के दौरान सौरभ ने बतौर तकनीकी अधिकारी काम किया है। सजा पाने वाले बीरेंद्र कुमार वर्मा नौसेना में कैप्टन रहे हैं। बीरेंद्र कुमार को नेविगेशन और डायरेक्शन का जानकार माना जाता रहा है। कैप्टन नवतेज गिल के पिता भी सेना में अधिकारी रहे हैं। चंडीगढ़ से आने वाले नवतेज को राष्ट्रपति के स्वर्ण पदक से भी सम्मानित किया गया था। यह सम्मान उन्हें सर्वश्रेष्ठ कैडेट के लिए दिया गया था।
वहीं अंतिम सदस्य रागेश गोपाकुमार की बात करें तो उन्होंने नौसेना में बतौर नाविक काम किया था।
यह मामला कितना पुराना है और अब तक क्या-क्या हुआ?
यह मामला 30 अगस्त 2022 को पहली बार सामने आया जब कतर की खुफिया एजेंसी ‘राष्ट्रीय सुरक्षा ब्यूरो’ ने आठ पूर्व नौसेना अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। उन्हें बिना किसी आरोप के हिरासत में लिया गया और एकांत कारावास में भेज दिया गया था। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि उन पर जासूसी का आरोप लगाया गया था।
सितंबर 2022 को जेल में बंद अधिकारियों की ओर से पहली बार जमानत याचिका दाखिल की गई जिसे खारिज कर दिया गया था।
अक्तूबर 2022 को पूर्णेंदु तिवारी की बहन डॉ. मीतू भार्गव द्वारा 27 अक्तूबर को किए गए एक ट्वीट से घटना सार्वजनिक हुई थी। इस पोस्ट में नीतू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्रालय और अन्य कैबिनेट मंत्रियों से मदद की गुहार लगाई थी।
नवंबर 2022 को आठ पूर्व अधिकारियों के परिवारों वालों ने दोहा में स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारियों से मुलाकात की। इसके बाद भारतीय दूतावास ने कहा था कि वे कतर में भारतीय नागरिकों के किसी भी जरूरी कांसुलर (वाणिज्यिदूत संबधी) मुद्दे या शिकायतों का निवारण करने के लिए तैयार हैं।
जनवरी 2023 को कतर में भारतीय राजदूत दीपक मित्तल ने आठ पूर्व भारतीय नौसैनिक अधिकारियों से मुलाकात भी की थी।
मार्च 2023 को भारतीय नौसेना के आठ पूर्व सैनिकों के खिलाफ 25 मार्च को आरोप दर्ज किए गए थे। इसी बीच पहली सुनवाई हुई, जिसमें मामले के लिए नियुक्त बचाव पक्ष के वकील भी शामिल हुए थे।
जून 2023 को मामले में दूसरी बार सुनवाई हुई।
1 अक्तूबर 2023 को इसी साल कतर में राजदूत दीपक मित्तल ने जेल में बंद लोगों से मुलाकात की है। दीपक मित्तल ने यह मुलाकात काउंसलर पहुंच मिलने के बाद की थी। वहीं 26 अक्तूबर को कतर के कोर्ट ऑफ फर्स्ट इंस्टांस द्वारा सभी आठ पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाई है.
अब आगे और क्या होगा?
भारतीय विदेश मंत्रालय ने निर्णय के बाद कहा है कि वह मौत की सजा सुनाए जाने के फैसले से बेहद स्तब्ध यानी चकीत हैं और फैसले के विस्तृत ब्योरे की प्रतीक्षा कर रहा है। मंत्रालय ने और कहा है कि, ‘हम परिवार के सदस्यों और कानूनी दल के संपर्क में हैं। हम सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।’
विदेश मंत्रालय ने आगे कहा है कि वह इस मामले को बहुत महत्व दे रहे हैं और इस पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। वही फैसले को कतर के अधिकारियों के समक्ष भी उठाएंगे।