AVN News Desk New Delhi: बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी ) ने बिहार की सत्ता में नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद और वापसी के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड का दोबारा साथ स्वीकार करने के बाद सत्ता में दुबारा तो आ गए । यह दरअसल लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी की जरूरत थी। लेकिन, इस जरूरत के लिए फैसला लिए जाने के साथ ही लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे का गणित का पैच फंसा हुआ है। बीजेपी दिग्गजों के सरकार में शामिल होने के बाद से ही संगठन का गणित फंसा। अब बिहार में विधान परिषद् की खाली हो रही सीटों के नाम पर भी बहुत कुछ फंस गया दिख रहा है। कई चीजें एक साथ फंसने के नाम पर इस समय गहरी खामोशी है और कहा जा रहा है कि यह आने वाले भूचाल से पहले की शांति है।
बीजेपी से कौन जाएगा संसद, कौन विधान परिषद् और कई होंगे रिटायर
बिहार बीजेपी के दिग्गज नेता और राज्य के उप मुख्यमंत्री पद का लंबा अनुभव रखने वाले सुशील कुमार मोदी को जिस तरह से राज्यसभा से भी किनारे लगा दिया गया है, उसके बाद से ही पार्टी में कोई कुछ भी कहने-बोलने से बच रहा है। यह चुप्पी बहुत गहरी है और इसका डर उससे भी ज्यादा गहरा है। क्योंकि, लोकसभा चुनाव अब सामने है। बीजेपी की राष्ट्रीय परिषद् की बैठक इस नाम पर हो गई है, लेकिन अब भी इस हिसाब से पार्टी के नेता क्षेत्र में ताकत झोंकते हुए नजर नहीं आ रहे हैं। क्यों? इस सवाल के जवाब में तीन मसले सामने आते हैं, लेकिन उससे पहले आता है राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के दलों के बीच सीट बंटवारा। यह सीट बंटवारा हो जाता है तो बीजेपी कोटे की सीटों के लिए दौड़ लगाने वाले भी कुछ हद तक निश्चिंत हो जाते। फिलहाल तो प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी के लिए भी नया चेहरा तय करना मुश्किल नजर आ रहा है और इसी कारण बिहार विधान परिषद् की सीटों के लिए नामों की घोषणा का मसला भी अटका हुआ है।
विधान परिषद् के तीनों नाम दुविधा में अटके हैं
2024 लोकसभा चुनाव की अधिसूचना अभी जारी नहीं हुई है, लेकिन राज्यसभा के बाद अब बिहार विधान परिषद् की 11 सीटों पर भी चुनाव की तारीखें आ गई हैं। 11 मार्च को विधान परिषद नामांकन का अंतिम तारीख है और बीजेपी के तीन बड़े चेहरे इस इंतजार में हैं कि अब उनका क्या होगा? इनमें सबसे बड़ा नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन का है। वह राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय थे, लेकिन फिर परफॉर्मेंस खराब होने पर राज्य की राजनीति में विधान परिषद् के रास्ते सक्रिय हुए थे। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद बनी सरकार में उन्होंने उद्योग मंत्री का पदभार संभाला तो काम की बदौलत खूब चर्चा में रहे। वह राष्ट्रीय राजनीति में थे और निश्चित तौर पर भागलपुर लोकसभा सीट पर इस बार का उनका दावा है। फिलहाल वह विधान परिषद् के सदस्य हैं और उनकी सदस्यता खत्म होने का समय भी आ गया है तो बड़ा सवाल यह सामने है कि उन्हें लोकसभा का टिकट मिलेगा या विधान परिषद् में ही दोबारा मौका मिलेगा? दूसरा चर्चित नाम राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और बिहार बीजेपी के भूतपूर्व अध्यक्ष मंगल पांडेय का है। मंत्रिमंडल विस्तार में उनका नाम आ जाता तो यह पक्का हो जाता कि उन्हें विधान परिषद् में ही वापस भेजा जाएगा। लेकिन, वह इस नाम पर दुविधा में अटके हैं। एक और नाम बीजेपी से ही केंद्रीय मंत्री रह चुके डॉ. संजय पासवान का है। वह मौजूदा विधान परिषद् के सदस्य हैं, लेकिन यह कार्यकाल भी खत्म होने को है। इनके बेटे गुरु प्रकाश पासवान बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बन गए हैं और संगठन में भी सक्रिय है। ऐसे में डॉ. संजय पासवान के लिए संभव है कि बीजेपी कुछ और सोचे उनके बारे में।
मंत्रिमंडल और सीट शेयरिंग से ही होगा साफ
बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार तत्काल हो जाए तो यह साफ हो जाएगा कि शाहनवाज हुसैन या मंगल पांडेय के साथ क्या होने वाला है? इसके साथ ही राजग के दलों में सीट शेयरिंग की घोषणा हो जाए तो भी पक्का हो जाएगा कि भागलपुर की सीट पर शाहनवाज हुसैन का दावा पक्का है या जदयू के नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल की घोषणा । सीट शेयरिंग के बाद ही बीजेपी खाते की सीटों के लिए दौड़ लगा रहे प्रत्याशियों का नाम भी कुछ हद तक पक्का और साफ मान लिया जाएगा। इन दो बातों के बाद सामने आ जाएगा कि बीजेपी के अंदर शांति है या भूचाल आने वाला है। जदयू के साथ आने के पहले बीजेपी के कई नेता दिल्ली यानी संसद जाने की तैयारी किए बैठे थे, लेकिन अब आधे तो वैसे ही हताश और परेशान हैं। अभी बीजेपी आला कमान से फ़रमान का इंतजार है सभी को है।