AVN News Desk: संदेशखाली के एक कथित स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो वायरल होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के मंडल अध्यक्ष गंगाधर कयाल, बशीरहाट उम्मीदवार रेखा पात्रा के खिलाफ संदेशखाली पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है. वहीं तृणमूल कांग्रेस ने गुरुवार को बीजेपी के सुवेंदु अधिकारी और अन्य के खिलाफ चुनाव आयोग में भी शिकायत दर्ज कराई है.
शिकायत में टीएमसी ने दावा किया है कि बीजेपी के एक नेता ने कैमरे पर ‘कबूल’ किया है कि संदेशखाली घटना में बलात्कार के आरोप मनगढ़ंत थे. पार्टी ने चुनाव आयोग से आग्रह किया कि संबंधित नेताओं के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू करने के लिए पुलिस को निर्देश जारी करें.
टीएमसी ने बीजेपी पर लगाया आरोप
वही तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सागरिका घोष ने गुरुवार को चुनाव आयोग को एक पत्र सौंपा है. पत्र में ममता बनर्जी की पार्टी ने सुवेंदु अधिकारी और अन्य बीजेपी नेताओं पर शेख शाहजहां, शिबू हाजरा और उत्तम सरदार के खिलाफ “बलात्कार की झूठी शिकायतें दर्ज कराने की साजिश में शामिल होने का आरोप भी लगाया है”.
शिकायत उस वीडियो पर आधारित है जिसमें संदेशखाली से भाजपा के मंडल अध्यक्ष गंगाधर कयाल होने का दावा करने वाला एक व्यक्ति यह कहते हुए दिखाई दे रहा है कि “विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने ही पूरे संदेशखाली कांड की साजिश रची थी”.
भाजपा ने वीडियो को बताया है फर्जी
टीएमसी (TMC) द्वारा शेयर किए गए कथित स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो में कयाल को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि अधिकारी के आदेश पर यौन उत्पीड़न की शिकायतें दर्ज की गई थीं. वही पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने आरोप लगाया है कि ‘स्टिंग ऑपरेशन’ ‘फर्जी’ था. उन्होंने संदेह जताया है कि इसे एआई का इस्तेमाल करके बनाया गया है.
टीएमसी ने सोशल मीडिया पर शेयर किया था वीडियो
टीएमसी ने इस वीडियो का यूट्यूब लिंक सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए कहा था कि कयाल ने अधिकारी और अन्य भाजपा नेताओं के निर्देशों पर संदेशखाली की महिलाओं को झूठी बलात्कार की शिकायतें दर्ज कराने के लिए उकसाने की भी बात खुले तौर पर स्वीकार की है.
वही शिकायत में कहा गया है, ‘ये हरकतें न सिर्फ नैतिक रूप से निंदनीय हैं बल्कि यह अपराध भी हैं. वही इसमें शामिल भाजपा नेताओं को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई भी की जानी चाहिए.’
कब सुर्खियों में आया संदेशखाली का मुद्दा?
ईडी (ED) की टीम पर हमला होने के बाद संदेशखाली उस समय सुर्खियों में आया, जब वहां की महिलाओं ने शाहजहां शेख पर जमीन हड़पने और उसके गुर्गों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. इस मामले को लेकर लेफ्ट और भाजपा पार्टियों ने ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ जमकर विरोध किया था. वही संदेशखाली में धारा 144 लगाकर विपक्ष के नेताओं को वहां जाने से रोका गया था, हालांकि भाजपा के नेताओं ने बंगाल से लेकर दिल्ली तक इस मामले को जोर सौर से उठाया और ममता बनर्जी सरकार पर दबाव बनाया था कि संदेशखाली के सभी आरोपियों की गिरफ्तारी हो. हालांकि बंगाल पुलिस ने उसके गुर्गों को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन वह शाहजहां शेख पर हाथ डालने से पुलिस डर रही थी. फिर कोलकाता हाई कोर्ट ने जब शाहजहां शेख की गिरफ्तारी का आदेश दिया तो पुलिस ने एक्शन लेते हुए फरवरी के अंत में अरेस्ट किया था.
राष्ट्रपति से मिले सभी पीड़ित
और इसके बाद से ही संदेशखाली की 5 महिलाओं समेत हिंसा के शिकार 11 पीड़ितों ने कुछ समय पहले ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की थी. फिर इसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई थी. और इस दौरान सेंटर फॉर एससी/एसटी सपोर्ट एंड रिसर्च के डॉयरेक्टर डॉ. पार्थ बिस्वास ने भी कहा था कि संदेशखाली बांग्लादेश बॉर्डर के साथ लगा हुआ है, और 10 साल में इसी रास्ते से बड़ी घुसपैठ हुई है. वही संदेशखाली की डेमोग्राफी तेज़ी से बदल रही है. उन्होंने यह भी कहा कि ED पर हुए अटैक के पीछे बाहरी ताकत शामिल थी. उन्होंने टीएमसी का नाम लिए बिना कहा था कि शेख शाहजहां के पीछे एक बड़ी पार्टी है. और शाहजहां शेख ने दलितों को उनकी ज़मीन से हटाया गया है, आदिवासी ज़मीन की लीज वापस लेने पर मारपीट भी हुई थी.