AVN News Desk, MP Harda Factory Blast: एक शहर जो रोजाना की तरह ही सुबह सुबह अपने अपने काम काज में लगा हुआ हुए था। उसकी फिजा में भी खुश्यिओ का बसंत था। दिल में से गुजरती सर्दी के जाने की गर्माहट भी महसूस किया जा रहा है। उसके आसमां पर भी मौसम अपनी करवट के साथ बादलों में घूम रहा था। लेकिन मध्य प्रदेश के हरदा में एक पटाखा फैक्ट्री में भीषण विस्फोट हुआ. इस हादसे में अब तक 11 लोगों को अपने जान से हाथ धोना पड़ा है, जबकि 74 लोग बूरी तरह से झुलस गए हैं. इनमें से 11 को रेफर किया गया है. बाकी 63 को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया हैं.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से तकरबीन 150 किलोमीटर दूर हरदा के बैरागढ़ में मंगलवार को एक पटाखा फैक्ट्री में भीषण विस्फोट हुआ है. यह धमाका इतना जबरदस्त था कि इसकी आवाज बीस किलोमीटर दूर तक सुनाई दी गई. इस भयानक विस्फोट में अब तक 11 लोगों की मौत की खबर है जबकि 74 से ज्यादा लोग बूरी तरह से झुलस गए हैं.
हरदा जिले की पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट होने से 50 से ज्यादा घरों में भी भीषण आग लग गई है. विस्फोट के बाद लोग यहां-वहां भागते हुए नजर आए हैं अफरा तफरी का मंजर था . ब्लास्ट इतना तेज था कि उसकी आवाज सुनकर ही से लोग घबरा गए थे .पटाखा फैक्ट्री में बड़ी मात्रा में बारूद रखा हुआ था. विस्फोट की भयावहता को देखते हुए पचास से भी ज्यादा एंबुलेंस घटनास्थल पर भेजी गई हैं. बचावकार्य लगातार जारी हैं. लेकिन इस घटना से कई सारे सवाल भी खड़े हुए हैं.
पहला सवाल यह है कि रिहाइशी इलाके में पटाखा फैक्ट्री क्यों और कैसे चलती रही? हरदा में जहां धमाका हुआ है, वहां साठ से भी ज्यादा घरों में आग लगने का दावा किया जा रहा है. आखिर मौतों के बाद ही अक्सर सरकार और सरकारी व्यवस्था की नींद क्यों टूटती है.
रिहायशी इलाके में फैक्ट्री से उठे कई सवाल
हरदा की जिस पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट हुआ है. वह फैक्ट्री रिहायशी इलाके में ही स्थित है. एक ऐसी फैक्ट्री जिसमें सैकड़ों टन बारूद भरा हुआ है, उसे रिहायशी इलाके के बीच में चलने की अनुमति कैसे दी गई? वहा के प्रशासन ने इस पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की? कहा जा रहा है कि अगर प्रशासन समय रहते कार्रवाई करता तो ये हादसा आज नहीं होता.
आग से बचाव का पर्याप्त इंतजाम क्यों नहीं थे?
एक अहम सवाल ये भी उठता है कि किसी भी तरह की स्थिति में इतनी भीषण आग लगने पर प्रशासन ने बचाव का पर्याप्त इंतजाम क्यों नहीं किया गया. भयानक आग लगने की वजह से घटनास्थल पर अफरा-तफरी मच गई थी. इस भगदड़ की वजह से स्थिति और ज्यादा खराब हो सकती थी.
पटाखा फैक्ट्री थी अवैध लेकिन प्रशासन को खबर नहीं
हरदा की जिस पटाखा फैक्ट्री में धमाका हुआ है. कहा जा रहा है कि वह फैक्ट्री पूरी तरह से ही अवैध थी. सरकार की नाक के नीचे जिले में एक अवैध फैक्ट्री इतने सालों से चल रही थी लेकिन प्रशासन को इसकी खबर तक नहीं थी या सरकार के लोगो की थी.पटाखा फैक्ट्री के वैध या अवैध होने के सवाल पर डीएम साहब से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा है कि हम चेक करके बताएंगे कि फैक्ट्री के पास लाइसेंस था या नहीं.
शहर के बीच था सैकड़ों क्विंटल बारूद
हरदा की इस पटाखा फैक्ट्री में सैकड़ों क्विंटल बारूद रखा हुआ था. तो एक बड़ा सवाल ये भी उठता है कि क्या इतना बारूद रखना नियमों के मुताबिक था? पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट बारूद की वजह से ही हुआ था.

सुरक्षा मानकों को भी नजरअंदाज किया गया
हरदा की पटाखा फैक्ट्री में लगी आग से यह साफ हो गया है कि सुरक्षा मानकों को बड़े पैमाने पर नजरअंदाज किया गया है. फैक्ट्री के पास लाइसेंस नहीं था, जिस वजह से यह फैक्ट्री बिना लाइसेंस ही चल रही थी. इसके अलावा आग लगने की स्थिति में सुरक्षा के कोई भी इंतजाम नहीं थे.
अधिकारियों की सबसे बड़ी लापरवाही वजह
फैक्ट्री में आग लगने से इलाके में ही नहीं बल्कि पूरे देशभर में हड़कंप मचा हुआ है. ऐसे में एक सवाल ये भी उठ रहा है कि जिन्होंने यहां फैक्ट्री को चलने की इजाजात दी, उन्होंन अपनी जवाबदेही ठीक तरह से कभी नहीं निभाई.
आखिर पुराने धमाकों से सबक क्यों नहीं?
मध्य प्रदेश में किसी भी पटाखा फैक्ट्री में धमाका कोई नया नहीं है. इससे पहले भी यहां कई धमाके हुए हैं लेकिन प्रशासन ने इसे लेकर कोई कार्रवाई कभी नहीं की. ऐसे में एक सवाल ये भी खड़ा होता है कि पुराने धमाकों के बाद कार्रवाई की जो बात होती रही है, क्या वो सिर्फ दिखावा ही है? इस तरह हरदा की फैक्ट्री में लगी आग ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. लेकिन इन सभी सवालों के बीच रेस्क्यू ऑपरेशन अभी भी जारी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आग से मरने वाले परिवार वालों के लिए दो-दो लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान भी किया है जबकि घायलों को पचास-पचास हजार रुपये की सहायता राशि दी जाएगी.