AVN News Desk New Delhi: लोकसभा चुनावों का दौर जारी है अभी पहला फेस यानी चरण हो चुका है, ऐसे मैं दूसरे चरण के लिए राजनितिक सर गर्मी बहुत तेज है. वही राजद नेता बीमा भारती हाल में जदयू (JDU) से इस्तीफा देकर आरजेडी पार्टी में शामिल हुई हैं। इनके पति अवधेश मंडल पर कई आपराधिक केस भी चल रहे हैं। मंडल की छवि एक डॉन की है। वहीं, बीमा को जानवरों से प्यार है। वह अपने कुत्ते की अंतिम यात्रा निकालकर चर्चा में आई थीं।

वही राष्ट्रीय राजमार्ग-57 पर मुजफ्फरपुर से पूर्णिया की ओर बढ़ते हैं, सड़क के दोनों तरफ हरियाली ज्यादा दिखने लगती है, बांस के झुरमुट, केले और धान के लहलहाते खेत, कोसी और महानंदा नदी का विशाल पाट और बदलता राजनीतिक परिदृश्य भी है। पश्चिमांचल के नाम से विख्यात इस इलाके में चार लोकसभा सीटें आती हैं, अररिया, पूर्णिया, किशनगंज और कटिहार। सभी के नतीजों पर मुस्लिम मतदाताओं का बहुत असर रहता है। एक तरफ नेपाल है तो दूसरी तरफ बांग्लादेश। कुछ ऐसी ही भिन्नता लिए है यहां की राजनीति का मिजाज बदलता ही रहता।

इस बार यहां तीन मुख्य प्रत्याशी ताल ठोक रहे हैं। राजद (RJD) से पांच बार की विधायक बीमा भारती, जनता दल (यूनाइटेड) से दो बार से लगातार जीत रहे संतोष कुशवाहा और यहां से तीन बार सांसद रहे राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव निर्दलीय के रूप में मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं। दिलचस्प बात यह कि कांग्रेस से टिकट पाने के लिए पप्पू ने अपनी पार्टी का विलय कर दिया, लेकिन टिकट में पेच फंस गया। पप्पू यादव के लाख कहने के बाद भी महागठबंधन ने उन्हें पूर्णिया से टिकट नहीं दिया और राजद से बीमा भारती उम्मीदवार बन गईं। लेकिन पप्पू यादव हर हाल में पूर्णिया से लड़ना चाहते थे। राजद नेता लालू यादव से भी उन्होंने खूब गुहार लगाई पर बात नहीं बनी। आखिर भावुक बयानबाजी के बाद पप्पू यादव ने निर्दलीय के तौर पर चुनावी मैदान में ताल ठोक दी। इसी से खेल हो गया जिसे भोजपुरी में खेला हो जाना कहते हैं। उनके इस कदम से जदयू (JDU ) और राजद (RJD) की यहां राह मुश्किल हो गई है। यहां दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होगा।

लोकसभा
पूर्णिया तीन मुख्य उम्मीदवार

पूर्णिया नाम क्यों पड़ा…

वही इस बारे में दो बातें बहुत कही जाती हैं। एक तो शहर की पहचान मां पूरन देवी के मंदिर से है, जो बाहरी इलाके में स्थित है। तो इसी से पूर्णिया लोकसभा का नाम पड़ा है। आप को बताते हैं कि मुस्लिम शासक नवाब शौकत अली ने मंदिर के लिए यहां जमीन दान में दी थी। दूसरी ओर यह भी है कि पूर्ण अरण्य यानी जंगलों के क्षेत्र का अपभ्रंश ही पूर्णिया है। यहां सौरा नदी के किनारे कालीबाड़ी सती मंदिर है जिसकी काफी मान्यता भी है।

जदयू छोड़कर आईं बीमा भारती

राजद (RJD) नेता बीमा भारती हाल में जदयू से इस्तीफा देकर पार्टी में शामिल हुई हैं। इनके पति अवधेश मंडल पर कई सारे आपराधिक केस भी चल रहे हैं। बीमा मंडल की छवि एक डॉन की है। वहीं, बीमा भारती को जानवरों से बहुत प्यार है। वह अपने कुत्ते की अंतिम यात्रा निकालकर खूब चर्चा में आई थीं।

मतदाता और मुद्दे

पूर्णिया शहर में पोस्टर और प्रचार में जदयू नेता संतोष कुशवाहा आगे नजर आते हैं। उनकी प्रचार गाड़ियों का काफिला शहर की धूल भरी सड़कों पर सबसे ज्यादा नजर आता है। प्रत्याशियों के बारे में जनता की राय अलग-अलग है। मक्का, आलू, धान, तंबाकू की फसल के लिए बाजार चाहिए, वहीं रंगीन दरियों का व्यापार गिरता जा रहा है। लोगों को सरकार से मदद की ही आस है। मां पूरन देवी मंदिर में फूल विक्रेता अनिल कुमार कहते हैं, मुकाबला जोरदार होगा। पप्पू यादव को बाहर के लोग अपराधी समझते हैं, पर उन्होंने गरीबों की बहुत मदद की है। वहीं, मनोज पासवान कहते हैं, लालू की पार्टी को कम मत समझिये, बीमा पुरानी नेता हैं। काली बाड़ी सती मंदिर में दर्शन करने आए प्रकाश कुमार दुबे कहते हैं, पप्पू जीत गए तो उनके चेले बहुत उत्पात मचाएंगे, पार्टी तो बीजेपी ही ठीक है, पर उसने प्रत्याशी ही नहीं उतारा है। जदयू (JDU) को यह सीट नहीं देनी चाहिए थी।

पूर्णिया में जातीय समीकरण

पूर्णिया में 21,94,980 मतदाता हैं। करीब 55 फीसदी हिंदू और 30 फीसदी मुस्लिम हैं। यादव मतदाता करीब डेढ़ लाख हैं। पूर्णिया में छह विधानसभा सीटें हैं।

पूर्णिया : दो लोकसभा चुनावों का हाल 2019

संतोष कुमार जदयू 6.33 लाख 54.85
उदय सिंह कांग्रेस 3.69 लाख 32.02
2014

संतोष कुमार जदयू 4.19 लाख 41.15
उदय सिंह भाजपा 3.02 लाख 29.69

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