पूर्वांचल

AVN News Desk Noida Utter Pradesh : पूर्वांचल में कभी जिस मुख्तार अंसारी के इशारे पर सरकारें अपना निर्णय बदल लेती थीं, आज उसी मुख्तार अंसारी का बांदा में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। कहते हैं एक ना एक दिन वक्त जरूर बदलता है। ये वक्त ही है कि किसी को अर्श तो किसी को फर्श पर ला पटकता है। हम बात कर रहे हैं बाहुबली मुख्तार अंसारी की। पूर्वांचल में कभी जिस मुख्तार अंसारी के इशारे पर सरकारें अपना निर्णय बदल लेती थीं, आज उसी मुख्तार का बांदा में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। परिवार को इस बात की जानकारी दे दी गई है। देर रात परिवार यहां पहुंचेगा, फिर पांच डॉक्टरों का पैनल पोस्टमार्टम करेगा। इसके बाद मुख्तार का शव परिवार सौंप दिया जाएगा।

अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को पहली बार उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इससे पहले उसे अधिकतम 10 साल की सजा मिली थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पंजाब की रोपड़ जेल से वापस यूपी आने के बाद मुख्तार पर कानून का शिकंजा कसता चला गया। उसे डेढ़ साल के भीतर आठ बार अलग-अलग अदालतों ने सजा सुनाई, जिससे दो बार आजीवन कारावास की सजा भी शामिल थी। इससे उसका जिंदा जेल से बाहर आना नामुमकिन हो गया था।

मुख्तार अंसारी और उसका परिवार मुश्किल में

मुख्तार अंसारी की सबसे बड़ी बेबसी के पीछे की मैन वजह पारिवारिक सदस्यों का जेल में या फिर अलग-अलग मामलों में फरार होना है। मऊ से विधायक बेटा अब्बास अंसारी अभी चित्रकूट जेल में है। उसकी पत्नी निखत अंसारी भी जेल में ही है। पत्नी आफ्शा अंसारी फिलहाल फरार चल रही है। उस पर इनाम घोषित किया जा चुका है। छोटा बेटा उमर अंसारी फिलहाल जमानत पर है।

 

आप को बता दें गाजीपुर जिले के यूसुफपुर निवासी माफिया मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया में पहली बार नाम वर्ष 1988 में हरिहरपुर के सच्चिदानंद राय हत्याकांड से सामने आया था। कुछ ही वर्षों में पूर्वांचल की तमाम हत्याओं और ठेकेदारी में मुख्तार अंसारी का नाम खुलेआम लिया जाने लगा। सत्ता और प्रशासन का संरक्षण मिलने से मुहम्मदाबाद से निकलकर मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया में बहुत बड़ा नाम हो गया। करीब 40 साल पहले राजनीति में कदम रखने वाला मुख्तार अंसारी देखते ही देखते प्रभावशाली नेता बन गया। विधानसभा में पूर्वांचल की मऊ सीट से लगातार लोगों की पहली पसंद बनकर पांच बार विधायक बना था।

पूर्वांचल में अपराध की दुनिया में ऐसे आया माफिया मुख्तार अंसारी

माफिया मुख्तार अंसारी का जन्म 30 जून 1963 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के युसुफपुर में हुआ था। वह कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष मुख्तार अहमद अंसारी का पोता था। मुख्तार अंसारी मूल रूप से मखनू सिंह गिरोह का सदस्य था, जो 1980 के दशक में काफी सक्रिय था। मुख्तार अंसारी का यह गिरोह कोयला खनन, रेलवे निर्माण, स्क्रैप निपटान, सार्वजनिक कार्यों और शराब व्यवसाय जैसे क्षेत्रों में लगा हुआ था। अपहरण, हत्या व लूट सहित अन्य आपराधिक गतिविधियों को अंजाम भी देता था। जबरन वसूली का गिरोह भी चलाता था।

पूर्वांचल
मुख्तार अंसारी फाइल फोटो

गाजीपुर, मऊ, वाराणसी और जौनपुर में सक्रियता ज्यादा थी। 20 से भी कम की उम्र में मखनू सिंह गिरोह में शामिल होकर मुख्तार अंसारी अपराध की सीढ़ियां चढ़ता रहा। जमीन पर कब्जा, अवैध निर्माण, लूट, हत्या, सहित अपराध की दुनिया के कुछ शायद ही ऐसे काम होंगे, जिनसे मुख्तार अंसारी का नाम न जुड़ा हो।

करीब 18 साल जेल में रहा मुख्तार अंसारी

वही माफिया मुख्तार अंसारी करीब 18 साल तक जेल के सलाखों के पीछे ही रहा। मऊ में दंगे के बाद मुख्तार अंसारी ने 25 अक्तूबर 2005 को गाजीपुर में आत्म समर्पण किया था और वहीं की जिला जेल में दाखिल हुआ था। मुहम्मदाबाद के फाटक निवासी मुफ्तार अंसारी चार दशक तक जुर्म की दुनिया में रहा। वही इस दौरान कई चर्चित आपराधिक घटनाओं में माफिया मुख्तार अंसारी का नाम आया और जुड़ा। पूर्वांचल में कभी जिस मुख्तार अंसारी के इशारे पर सरकारें अपना निर्णय को बदल लेती थी, आज उसी मुख्तार का अंत भी हो गया।

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