Farrukhabad, Uttar Pradesh: कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने यूपी (उत्तर प्रदेश) के फर्रूखाबाद की घटना को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार में ‘न्याय की उम्मीद’ करना भी गुनाह है. और उन्होंने कहा है कि कमजोरों और वंचितों के खिलाफ गंभीर से गंभीर घटनाओं में भी जिनकी प्राथमिकता न्याय नहीं अपराध छिपाना हो, उनसे कोई भी क्या ही उम्मीद करे?
कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी फर्रूखाबाद की घटना को लेकर कहा
वही कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि फर्रुख़ाबाद में हुई घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, पीड़ित परिवार के साथ प्रशासन का ऐसा रवैया किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. और आखिर यह सब कब तक सहन किया जा सकता है? एक समाज के रूप में हमारे सामने ये एक बहुत बड़ा सवाल है. सुरक्षा भारत की हर बेटी का अधिकार है और न्याय हर पीड़ित परिवार का हक़ है.
आप को बता दें कि 27 अगस्त को फर्रूखाबाद के कायमगंज इलाके में दलित समाज की 2 युवतियों के शव पेड़ से लटके मिले थे. दोनों ही सहेलियां जन्माष्टमी पर मेले का कार्यक्रम देखने निकली थीं, लेकिन घर वापस नहीं पहुंचीं और उनके शव एक ही दुपट्टे से लटकते हुए मिले थे. और इनमें से एक युवती के पिता ने अपनी बेटी की हत्या की आशंका जताई है, वहीं, पुलिस ने रेप और हत्या की आशंका से साफ इनकार किया है और इस मामले को वह आत्महत्या से जोड़कर देख रही है. वही इनमें से एक युवती के पिता ने बताया है कि मेरी बेटी और पड़ोस में रहने वाली उसकी दोस्त कल रात जन्माष्टमी पर लगी झांकी देखने गई थी. वही देर रात नहीं लौटी तो हमने सोचा कि गांव में बुआ के घर पर रुक गई होगी. वही सुबह होने पर जानकारी मिली कि 2 युवतियों ने फांसी लगा ली है.
इससे पहले सामाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है. अखिलेश यादव ने कहा है कि यूपी के फर्रूखाबाद में जन्माष्टमी उत्सव देखने निकली दो बच्चियों की लाशें पेड़ पर लटकी मिलना, एक बेहद संवेदनशील घटना है. भाजपा (बीजेपी) सरकार इस मामले में तत्काल निष्पक्ष जांच करे और हत्या के इस संदिग्ध मामले में अपनी आख्या प्रस्तुत करे.
अखिलेश यादव ने कहा है कि ऐसी घटनाओं से समाज में एक भयावह वातावरण बनता है, जो नारी समाज को मानसिक रूप से बहुत ही गहरा आघात पहुंचाता है. और ‘महिला सुरक्षा’ को राजनीति से ऊपर उठकर एक गंभीर मुद्दे के रूप में उठाने का अपरिहार्य समय अब आ गया है.
