Bihar Politics : बिहार की राजनीति में पिछले कुछ दिनों से केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान केंद्र सरकार के कई कई महत्वपूर्ण फैसलों पर सवाल खड़ा कर चुके हैं. चिराग पासवान के बयानों को देखते हुए अब बीजेपी (BJP) उन पर लगाम लगाने की तैयारी में है और उनके चाचा पशुपति पारस को अब एक बार फिर से एनडीए ( NDA ) में तरजीह दी जा सकती है.
वही माना जा रहा है कि पशुपति पारस, जो पिछले कुछ महीनो से राजनीति में हाशिए पर पड़े और अलग थलग हैं उन्हें जल्द ही किसी राज्य का राज्यपाल या फिर किसी भी महत्वपूर्ण केंद्रीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया जा सकता है.
भाजपा दे सकती है पशुपति पारस को अहम जिम्मेदारी
बीजेपी अगर पशुपति पारस का कद बढ़ाकर उन्हें किसी राज्य का राज्यपाल या किसी केंद्रीय बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त करती है तो जाहिर सी बात है कि पशुपति पारस का कद बढ़ने से वह चिराग पासवान के एकदम बराबर आ जाएंगे और फिर भाजपा पशुपति पारस के जरिए चिराग पर नियंत्रण रखना चाहती है.
आप को बता दे कि पिछले कुछ दिनों में चिराग पासवान ने केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण फैसले जैसे कि वक्फ बिल और सरकारी नौकरी में लैटरल एंट्री का खुलकर विरोध किया था. साथ ही चिराग पासवान ने सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति और जनजाति कोटा में सब कैटिगरी और क्रीमी लेयर को चिन्हित करने के फैसले का भी खुलकर विरोध किया था.
चिराग पासवान से भाजपा हुई असहज
चिराग पासवान के इन सभी कदम से भाजपा जाहिर तौर पर असहज महसूस कर रही थी. इसी कारण से चिराग पासवान को नियंत्रित करने के लिए उनके चाचा, जिससे उनकी पुरानी अनबन है का राजनीतिक तौर पर एक्टिवेट किया जा रहा है. पशुपति पारस का कद बढ़कर भाजपा चुनाव में चिराग पासवान को स्पष्ट संदेश देना चाहती है कि चिराग पासवान केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण फैसलों में ज्यादा दखलअंदाजी ना करें.
हाशिए पर पड़े हैं पशुपति पारस
आप को बता दें कि, पशुपति पारस पिछले कुछ महीनो से राजनीति में हाशिए पर पड़े हुए हैं. वही 2024 लोकसभा चुनाव में एनडीए में रहते हुए भी भाजपा ने उन्हें बिहार में एक भी सीट लड़ने को नहीं दी जिसको लेकर पशुपति पारस ने अपनी नाराजगी व्यक्त की थी मगर फिर भी वह एनडीए में बने हुए हैं. और अब पिछले कुछ दिनों से पशुपति पारस ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात की थी जिसके बाद से इस बात को बल मिला है कि जल्द ही पशुपति पारस का कद अब बढ़ाया जा सकता है और उन्हें किसी भी राज्य का राज्यपाल या केंद्रीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया जा सकता है.

निष्कर्ष
BJP की यह रणनीति बिहार की राजनीति में स्थिरता और अपने प्रभाव को बनाए रखने के प्रयास का हिस्सा है। पारस की संभावित नियुक्ति राज्यपाल के रूप में एक बड़ा राजनीतिक कदम साबित हो सकता है, जो आने वाले दिनों में भारतीय राजनीति में नए समीकरण बना सकता है। अब देखना होगा कि BJP कब और कैसे इस योजना को अमल में लाती है और इसका बिहार की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।