एवीएन न्यूज डेस्क पटना: लगातार चर्चा में रहने वाले शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक ने अब एक और बड़ा फैसला लिया है। उनके इस फैसले पर सियासी घमासान शुरू हो गया है। दरअसल, अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक सीपीआई (CPI) के एक एमएलसी (MLC) के वेतन और पेंशन पर रोक लगा दी है। विपक्ष का कहना है कि सीएम नीतीश कुमार के चहेते अफसर ने उनके महागठबंधन की पार्टी के एमएलसी प्रो. संजय सिंह की सैलरी रोक दी है। नीतीश कुमार की सरकार को सीपीआई (CPI ) ने अपना समर्थन दिया है। ऐसे में आशंका है कि शिक्षा विभाग के इस फैसले से कहीं जदयू (JDU) और सीपीआई (CPI ) के बीच कड़वाहट न आ जाए।

दरअसल, उच्च शिक्षा विभाग की ओर से एक पत्र जारी की गई है। इसमें शिक्षक संघ फुटाब के दो पदाधिकारियों पर कार्रवाई की है। इसमें से एक सीपीआई एमएलसी प्रो. संजय सिंह और दूसरे पदाधिकारी प्रो. बहादुर सिन्हा हैं। शिक्षक संघ फुटाब के अध्यक्ष हैं प्रोफ़ेसर कन्हैया बहादुर सिन्हा और महासचिव हैं एमएलसी प्रोफ़ेसर संजय सिंह। उच्च शिक्षा विभाग की निदेशक रेखा कुमारी के हस्ताक्षर से जारी पत्र वीर कुंवर सिंह विवि के कुलसचिव प्रो. रणविजय कुमार को भेजा दिया गया है। इन दोनों पदाधिकारियों का वेतन अगले आदेश तक रोकने का निर्देश दिया गया है।

नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ धरने का एलान

इधर, शिक्षा विभाग के आदेश को एमएलसी प्रो. संजय सिंह ने एक तुलगकी फरमान बताया है और नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ धरने का एलान भी कर दिया है। वहीं उच्च शिक्षा विभाग की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि हर महाविद्यालय में प्रत्येक लेक्चचर, अस्सिटेंट प्रोफेसर और प्रोफेसर को रोजाना पांच कक्षा संचालित करने का निर्देश दिय गया था। इन दोनों शिक्षक नेताओं ने इस निर्देश का विरोध किया था। शिक्षा विभाग का मानना है कि दोनों शिक्षक नेताओं ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के प्रयास का भी विरोध किया है। इसलिए इनकी सैलरी और पेंशन पर रोक लगाई जाती है। शिक्षा विभाग ने यह भी कहा है कि आगे से विद्यालय, महाविद्यालय या विश्वविद्यालय के कोई भी शिक्षक या अन्य कर्मी शिक्षा क्षेत्र के सुधार के प्रयास के विरोध में बयानबाजी करेंगे या विरोध करेंगे तो उनपर शक्त कार्रवाई की जा रही है।

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