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AVN News अयोध्या राम मंदिर : राम मंदिर का निर्माण अयोध्या में पूरा हो चुका है, और 22 जनवरी को इसका उद्घाटन होने वाला है। इस शानदार क्षण के इंतजार में राम भक्तों में आतुरता है। लेकिन इस ऐतिहासिक घड़ी के पीछे हो रही सियासत भी कुछ नहीं कम है। सभी गणमान्यों को आमंत्रित करने के साथ ही इस महोत्सव का सम्पूर्ण विवरण प्राप्त करने की बेसब्री है। इस संदर्भ में, आपको राम मंदिर के निर्माण के बारे में एक रोचक तथ्य बताने जा रहे हैं, जो राम भक्तों के बीच उत्सुकता और जागरूकता में इज़ाफा कर सकता है।

 

राम मंदिर का निर्माण

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राम मंदिर का निर्माण वास्तुशास्त्र के अनुसार किया गया है, और इसमें लोहे का एक भी तत्व नहीं है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, लोहा मंदिर की आयु को कम कर सकता है, इसलिए राम मंदिर में इसका प्रयोग नहीं हुआ है। मंदिर का निर्माण परंपरागत नागर शैली में किया गया है, जिससे इसे एक अद्वितीय और सुंदर स्थल बनाया गया है। इससे राम भक्तों में आश्चर्य और गर्व का माहौल है, क्योंकि इस मंदिर ने सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है।

 

किसे कहते हैं नागर शैली ?

प्राचीन काल में, मंदिरों का निर्माण नागर शैली के अंतर्गत किया जाता था, जिसमें चार कक्ष होते थे – गर्भगृह, जगमोहन, नाट्यमंदिर, और भोगमंदिर। राम मंदिर को इसी परंपरागत शैली में बनाया गया है, जिससे इसे एक सुंदर और धार्मिक स्थल बनाया गया है। नागर शैली के मंदिरों में दो मुख्य हिस्से होते हैं, जो हिमालय और विंध्य के साथ जुड़ा होता है। इसी परंपरा में, खजुराहो, सोमनाथ, और कोणार्क के मंदिर भी बनाए गए थे।

 

कितनी होती होगी आयु ?

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राम मंदिर का निर्माण 1000 साल की आयु को ध्यान में रखते हुए किया गया है, और इसमें किसी भी प्रकार के सीमेंट, कंक्रीट, और लोहे का उपयोग नहीं हुआ है। यह एक श्रीराम की भगवान राम के भक्तों के लिए साकार रूप में एक पवित्र स्थल है, जो सौ प्रतिशत प्राकृतिक सामग्रियों से बनाया गया है। इसका निर्माण तकनीकी आदर्शों और धार्मिक मूल्यों का समृद्धि से हुआ है।

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