Onion and Garlic : आपने अक्सर सुना होगा कि व्रत रखने वाले लोग, खासकर ब्राह्मण, लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसके पीछे की असली वजह क्या है? यह सही है कि लहसुन और प्याज सेहत के लिए लाभकारी होते हैं और ये कई रोगों से लड़ने में मददगार साबित होते हैं, फिर भी इनका उपयोग व्रत, पूजा-पाठ, या धार्मिक कार्यों में नहीं किया जाता। इसके पीछे कुछ धार्मिक और आयुर्वेदिक कारण हैं, जिनसे यह जुड़ा हुआ है।
लहसुन और प्याज
धार्मिक दृष्टिकोण से भोजन की तीन श्रेणियाँ
वेदों और शास्त्रों के अनुसार, भोजन को तीन श्रेणियों में बांटा गया है:
1. सात्विक भोजन – इस प्रकार का भोजन व्यक्ति को मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है। इसमें ताजे फल, सब्जियां, दूध, घी, आटा आदि आते हैं। यह भोजन आत्मा को शुद्ध करता है और व्यक्ति के मन में शांति और ज्ञान का संचार करता है।
2. राजसिक भोजन – इस भोजन में मसाले, मिर्च, नमक, केसर, मांसाहार आदि होते हैं, जो व्यक्ति के मन को उत्तेजित करते हैं। यह भोजन दुनिया की मोह-माया में बांधने वाला माना जाता है।
3. तामसिक भोजन – तामसिक भोजन में लहसुन और प्याज आते हैं। यह भोजन व्यक्ति के मन को उदासीन और उग्र बनाता है। माना जाता है कि लहसुन और प्याज से शरीर में रक्त का प्रवाह बढ़ता है, जिससे गुस्सा, अंहकार, और उत्तेजना जैसी भावनाएँ उत्पन्न होती हैं।
लहसुन और प्याज का तामसिक प्रभाव
लहसुन और प्याज का सेवन व्यक्ति को अधिक गुस्सैल, आलसी और अज्ञानी बना सकता है। धार्मिक दृष्टिकोण से, यह दोनों चीजें तामसिक गुणों को बढ़ावा देती हैं, इसलिए पूजा-पाठ और व्रत में इनका सेवन नहीं किया जाता। खासकर वे लोग जो अपनी आत्मा की शुद्धता और मानसिक शांति को महत्व देते हैं, वे इनका त्याग करते हैं।
लहसुन और प्याज की उत्पत्ति की पौराणिक कथा
अब एक पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन से जब अमृत कलश निकला, तो देवता और असुरों के बीच अमृत को लेकर विवाद हुआ। भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर देवताओं को अमृत पान कराया, लेकिन एक राक्षस देवता का रूप धारण कर देवताओं की लाइन में घुस आया। सूर्य और चंद्र देव ने उसे पहचान लिया और भगवान विष्णु को बताया। फिर भगवान विष्णु ने अपने चक्र से उस राक्षस का सिर काट दिया। उस राक्षस के शरीर से कुछ अमृत की बूंदें गिरीं और वही लहसुन और प्याज के रूप में उत्पन्न हुईं। इस राक्षस का सिर राहु और धड़ केतु के रूप में जाना जाता है।
इस कथा के अनुसार, लहसुन और प्याज राक्षसी उत्पत्ति माने जाते हैं, जिससे इन्हें पवित्र और सात्विक कार्यों में शामिल नहीं किया जाता।
निष्कर्ष : धार्मिक और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से, लहसुन और प्याज तामसिक गुणों वाले होते हैं और इनका सेवन मानसिक शांति और आत्मिक शुद्धता को प्रभावित कर सकता है। यही कारण है कि व्रत, पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों में इनका परहेज किया जाता है।