न्यू दिल्ली: साउथ दिल्ली से बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी के खिलाफ जांच कमेटी भी बनायी गयी है, और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने नोटिस देकर जवाब भी मांगा था. अब जांच भी हो ही जाएगी, और नोटिस का जवाब भी वो दे ही देंगे – लेकिन छोटा सा ही सही पार्टी की तरफ से पुरस्कार मिल जाने के बाद वो बाइज्जत बरी भी कर दिये गये ये तो लगते ही हैं.

रमेश बिधूड़ी को भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान में अभी तो टोंक जिले का प्रभारी बनाया है. क्या मालूम आगे कौन कौन सी जिम्मेदारी सौंप दी जाये. वैसे भी दिल्ली से सांसदों को भाजपा विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में भेज ही रही है. विधानसभा का चुनाव भी लड़ा ही रही है.

रमेश बिधूड़ी को टोंक भेजे जाने के पीछे दो कारण हो सकता हैं. एक तो ऐसा करने से वो कुछ दिन के लिए दिल्ली और दिल्ली की राजनीति से दूर हो जाएंगे. फिर धीरे धीरे लोग बात भूल भी जाएंगे. बेचारे दानिश अली कर भी क्या लेंगे, मन मसोस कर बैठ जाने के अलावा वो कर भी क्या सकते है. जब बीएसपी सुप्रीमो मायावती को इस वाकये से कोई खास फर्क नहीं पड़ता तो अकेले दानिश अली कहां तक लड़ पाएंगे. एक कारण ये भी है कि रमेश बिधूड़ी भी भाजपा का गुर्जर चेहरा हैं, और टोंग जिला में अच्छे खासे गुर्जर वोटर हैं.

एमपी और राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी अपनों से भी जूझ रही है. मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान में वसुंधरा राजे भाजपा नेतृत्व के आंख की किरकिरी बनी हुई हैं. लगे हाथ कांग्रेस नेताओं की भी घैरेबंदी तो करनी ही थी, सबसे पहले निशाने पर कांग्रेस के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट आये हैं. टोंक विधान सभा को सचिन पायलट का गढ़ माना जाता है, और वो उसी इलाके से चुनाव भी लड़ते हैं.

अब तो रमेश बिधूड़ी के मन में अपराध का भाव भी नहीं बचा होगा. जाहिर है, बीजेपी आला कमान ने मन से भी माफ कर ही दिया गया होगा. रमेश बिधूड़ी के कोपभाजन के शिकार हुए बीएसपी सांसद दानिश अली ने कहा है – भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा यही है.

कैसे नहीं कार्यकर्ताओं के साथ भेदभाव होता है

नूपुर शर्मा को लेकर एक बार मीडिया के पूछने पर अजय मिश्रा टेनी ने कहा था, भाजपा (BJP ) अपने कार्यकर्ताओं को यूं ही नहीं छोड़ देती. अजय मिश्रा टेनी की ये बात खुद उनके मामले में और रमेश बिधूड़ी केस में भी यही लगता है, लेकिन नूपुर शर्मा के मामले में तो भेदभाव और पक्षपात साफ साफ दिखाई पड़ता है.

लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर निशाने पर आने के बावजूद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको कैबिनेट में बनाये रखा. अजय मिश्रा टेनी के बॉस और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तो लोगों की नजरें बचा कर उनको यूपी के चुनाव कार्यक्रमों में भी साथ ले गये. ये बात अलग है कि एक बार उनकी तस्वीर मीडिया में हाईलाइट हो जाने के बाद फ्रंट से हटा लिया गया था. लेकिन सरकारी बैठकों में या दफ्तर में बा दस्तूर आना जाना तो उनका कभी भी बंद नहीं हुआ.

पहले भी बीजेपी नेता भड़काऊ भाषण दे चूके

दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान भी रमेश बिधूड़ी, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के कंधे से कंधा मिला कर चल रहे थे जब भी इन सब नेताओ ने भड़काऊ भाषण दिया था. और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कठघरे में खड़ा करने के लिए आतंकवादियों से रिश्ता साबित करने की होड़ मची रही. बड़े बोले नेताओं में साक्षी महाराज और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से लेकर गिरिराज सिंह तक धमाल मचाने के मामले में होड़ मची रही है, लेकिन सबके सब अपनी जगह काबिज़ हैं.

अब सवाल ये है कि आखिर नूपुर शर्मा ने कौन सा गुनाह किया है? टीवी डिबेट में संघ और भाजपा यानी बीजेपी की पार्टी लाइन पर ही तो बहस की थी? अब क्या बीजेपी धर्म और राजनीति में फर्क करने लगी है? जो नेता राजनीतिक बयान देगा, भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ अनाप शनाप बोलेगा उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी. हो सकता है, इनाम भी मिल जाये और मंत्रीमंडल मैं जगह भी मिल जाए. रमेश बिधूड़ी को जो मिला है, वो बहुत बड़ा तो नहीं है, लेकिन जिन हालात में मिला है तो उसे कम भी नहीं कहेंगे.

अगर सांसद रमेश बिधूड़ी इनाम के हकदार हैं तो नूपुर शर्मा सजा के लायक कैसे हो गयीं? नूपुर शर्मा ये तो पूछ ही सकती हैं बीजेपी आलाकमान से. बात तो सही है कि नहीं?
बीजेपी अब बदल चुकी है भ्रष्टाचार सिर्फ विरोधी खेमे मैं दिखाई देता है और कोई हक की बात करें गलत का विरोध करे तो उसे सजा दी जाती है , कांग्रेस नेता राहुल गांधी आप को याद हो होंगे अडानी मुद्दे पर उनकी सांसदी चली गई थी,मगर यहां तो एक धर्म कब टारगेट किया गया है लोकतंत्र के मंदिर मैं.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *