Unemployed Youth 2024 :बेरोजगार युवा की बेरोजगारी एक ऐसा मुद्दा है, जिसने देश के लाखों युवाओं को हताशा और असमंजस की स्थिति में डाल दिया है। हर साल लाखों छात्र अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं, लेकिन नौकरी की तलाश में दर-दर भटकते रहते हैं। सवाल यह है कि आखिर सरकार इन युवाओं की पुकार क्यों नहीं सुनती?
बेरोजगारी की जड़ें
शिक्षा और कौशल का अभाव: आज की शिक्षा प्रणाली में युवाओं को किताबों का ज्ञान तो मिलता है, लेकिन उद्योगों की मांग के अनुसार कौशल का विकास नहीं हो पाता।
नौकरी के अवसरों की कमी: हर साल नौकरियों की संख्या युवाओं की संख्या से कम होती जा रही है। सरकारी नौकरियों की तो हालत और भी बदतर है।
नीतियों का अभाव: रोजगार सृजन के लिए ठोस नीतियों का न होना युवाओं को प्राइवेट सेक्टर या फिर विदेश जाने के लिए मजबूर कर देता है।
सरकार की भूमिका
सरकारें अपने घोषणापत्र में रोजगार के बड़े-बड़े वादे करती हैं, लेकिन चुनाव के बाद यह मुद्दा प्राथमिकता से हट जाता है। युवा रोजगार के लिए धरने-प्रदर्शन करते हैं, लेकिन उनकी आवाज अक्सर अनसुनी रह जाती है।
सुधार की जरूरत: सरकार को चाहिए कि वह शिक्षा प्रणाली को रोजगारोन्मुख बनाए।
नए उद्योगों को बढ़ावा: मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं का सही अमल (Implementation) होना चाहिए।
रोजगार मेले और ट्रेनिंग कार्यक्रम: युवाओं को नौकरी के लिए तैयार करने के लिए सरकार को कौशल विकास के कार्यक्रमों पर ध्यान देना होगा।
युवाओं की उम्मीदें
युवा केवल सरकारी नौकरी के भरोसे नहीं बैठे हैं। वे खुद को और अपने देश को आगे ले जाने का जज्बा रखते हैं, लेकिन उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन और सहयोग की आवश्यकता है।
सरकार और समाज दोनों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि युवाओं को उनके कौशल के अनुसार रोजगार मिले। तभी भारत एक सशक्त और विकसित देश बन सकेगा।
सरकारी आंकड़े
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labour Force Survey) 2022-23: राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) द्वारा जारी इस रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2022 से जून 2023 के बीच 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी दर 3.2% रही, जो पिछले छह वर्षों में सबसे कम है।
श्रम बल भागीदारी दर (LFPR): उसी अवधि में LFPR 60.1% दर्ज की गई, जो पिछले वर्ष के 57.9% से अधिक है।
निजी रिपोर्टें
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE): CMIE के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में बेरोजगारी दर 7.6% थी, जो सरकारी आंकड़ों से अधिक है।
इंडिया इम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट (IHD) द्वारा तैयार इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुल बेरोजगारों में 80% युवा हैं, और 2000 से 2022 के बीच युवाओं में बेरोजगारी दर 35.2% से बढ़कर 65.7% हो गई है।
इसका निष्कर्ष
बेरोजगारी केवल युवाओं का नहीं, बल्कि पूरे देश का मुद्दा है। यह समय है जब सरकार को युवाओं की पुकार सुननी चाहिए और ठोस कदम उठाने चाहिए। आखिरकार, युवा ही देश का भविष्य हैं।
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