एवीएन न्यूज डेस्क नई दिल्ली: राजधानी में मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच झगड़ा थमने का नाम ही नहीं ले रही है। सुप्रीम कोर्ट में मामले को लेकर सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, दिल्ली के उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री इसको लेकर चर्चा क्यों नहीं कर सकतें है।

दिल्ली में नए मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार आमने-सामने हैं। इस मुद्दे को लेकर सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि दिल्ली के उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री मुख्य सचिव की नियुक्ति के लिए नामों पर चर्चा करने के लिए क्यों नहीं मिल सकते हैं।

मुख्य न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा है कि दिल्ली के उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री इस मुद्दे को लेकर आपस में क्यों नहीं मिलते हैं। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि, हमेशा से मुख्य सचिव की नियुक्ति केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा ही की जाती है। सीजेआई (Chief Justice of India) ने कहा है कि, हमारे पास एक तरीका होना चाहिए, जिसके तहत सरकार काम करती है। मुझे यकीन है कि आप दोनों मिल कर हमें कोई रास्ता दे सकते हैं।

उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से वकील हरीश साल्वे ने कहा है कि, मुख्य सचिव की नियुक्ति के मुद्दे पर अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा है, जो कि दुखद है। इस मामले में अब पीठ 28 नवंबर को सुनवाई करेगा।

आप को बता दें कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र द्वारा बिना किसी परमार्श के नए मुख्य सचिव की नियुक्ति या कार्यकाल बढ़ाने के खिलाफ दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही है। आप को बता दें वर्तमान मुख्य सचिव नरेश कुमार 30 नवंबर को अपने पद से सेवानिवृत्त (Retired) हो रहे हैं। दिल्ली सरकार ने सवाल उठाया है कि केंद्र सरकार बिना किसी परामर्श के मुख्य सचिव की नियुक्ति कैसे आगे बढ़ा सकता है।

अगस्त माह में अधिसूचित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम, केंद्र को राष्ट्रीय राजधानी में नौकरशाही पर नियंत्रण देता है और समूह-ए अधिकारियों के स्थानांतरण (Transfer) और पोस्टिंग (Posting) के लिए इसके तहत एक प्राधिकरण बनाया गया था। इसके खिलाफ दिल्ली सरकार ने याचिका दायर की है। आरोप लगाया गया है कि 2023 संशोधन अधिनियम 2023 की संविधान पीठ के फैसले का उल्लंघन है।

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