AVN News Desk New Delhi: तीन राज्यों की 15 राज्यसभा सीटों के लिए 27 फरवरी मंगलवार को मतदान होना है। इनमें उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में 10 सीटों के लिए 11 उम्मीदवार मैदान में हैं। इसी तरह कर्नाटक की चार राज्यसभा सीटों के लिए पांच उम्मीदवार मैदान में हैं। हिमाचल प्रदेश की एक सीट के लिए दो उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं। 12 राज्यों से 41 उम्मीदवार पहले ही राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। इनमें भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी तक शामिल हैं।

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पूर्व अध्यक्ष कांग्रेस सोनिया गांधी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा फाइल फोटो

तीन राज्यों में उत्तर प्रदेश का क्या है गणित

मौजूदा चुनाव में सबसे ज्यादा 10 सीटें उत्तर प्रदेश में ही खाली हो रही हैं। इन सभी 10 सीटों के लिए 11 उम्मीदवार मैदान में हैं। जिन सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है उनमें नौ बीजेपी के हैं। इनके अलावा समाजवादी पार्टी (सपा) की जया बच्चन का कार्यकाल भी पूरा हो रहा है। जया बच्चन को समाजवादी पार्टी ने फिर से टिकट दिया है। जया बच्चन के अलावा सपा ने रामजीलाल सुमन और आलोक रंजन को भी अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, बीजेपी की ओर से चौधरी तेजवीर सिंह, आरपीएन सिंह, अमरपाल मौर्य, संगीता बलवंत, सुधांशु त्रिवेदी, साधना सिंह, नवीन जैन और संजय सेठ मैदान में हैं।

उत्तर प्रदेश के विधानसभा में 403 सदस्यीय है। वर्तमान यानी मौजूदा में चार सीटें खाली होने से कुल 399 विधायक मतदान में हिस्सा ले सकते हैं। एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 37 प्राथमिक वोटों की आवश्यक होगी। समाजवादी पार्टी के पास 108 विधायक हैं। इस समय पार्टी दो उम्मीदवारों को जिताने की स्थिति में है। जबकि तीसरे उम्मीदार को जिताने के लिए तीन प्रथम वरीयता के वोटों की जरूरत है। कांग्रेस पार्टी के दो विधायक भी समर्थन कर सकते हैं। हालांकि, पल्लवी पटेल जैसे विधायकों की बगावत का सामना कर रही पार्टी के लिए परेशानी बढ़ भी सकती है।

वहीं, बीजेपी और उसके सहयोगियों के पास सात सदस्यों को जिताने के लिए मौजूदा समय में पर्याप्त संख्याबल है। राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल ने बीजेपी उम्मीदवारों को वोट करने का एलान किया है। इसे मिलाकर आठवें उम्मीदवार के लिए बीजेपी और सहयोगियों के पास प्रथम वरीयता के 29 वोट ही हैं। ऐसे में आठवें उम्मीदवार को जिताने के लिए प्रथम वरीयता के आठ वोट अभी कम हैं। वहींं, बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा ) के एक सदस्य किसे वोट करेंगे यह अभी तक साफ नहींं है।

हिमाचल प्रदेश की लड़ाई

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। जेपी नड्डा इस बार गुजरात से निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। हिमाचल में इस वक्त कांग्रेस पार्टी सत्ता में है। कांग्रेस पार्टी ने अभिषेक मनु सिंघवी को अपना उम्मीदवार बनाया है। अभिषेक मनु सिंघवी के सामने बीजेपी ने हर्ष महाजन को उतारा है। हर्ष कांग्रेस पार्टी से ही बीजेपी में आए हैं। जीत के 35 प्रथम वरीयता के वोट की जरूरत होगी। कांग्रेस पार्टी के पास 40 विधायक हैं। सरकार को तीन निर्दलियों का भी समर्थन है। ऐसे में संख्याबल में कांग्रेस पार्टी का पलड़ा भारी है।

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अभिषेक मनु सिंघवी फाइल फोटो

इस बीच, बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन ने दावा किया है कि पार्टी लाइन से परे और भी विधायकों के साथ उनके संबंध हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि कांग्रेस पार्टी सदस्य अंतरात्मा की आवाज से वोट देंगे। उधर कांग्रेस ने बीजेपी के दावे को खारिज किया है। कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि पार्टी एकजुट है और उसका उम्मीदवार ही जीतेगा।

क्या है कर्नाटक की सियासत

कांग्रेस पार्टी के तीन और बीजेपी के एक सदस्य का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इनमें कांग्रेस पार्टी के डॉ. एल. हनुमंथैया, सैयद नासिर हुसैन और जीसी चंद्रशेखर और बीजेपी के राजीव चंद्रशेखर शामिल हैं। इस बार यहां कांग्रेस पार्टी ने अजय माकन, सैयद नासिर हुसैन और जीसी चंद्रशेखर को टिकट दिया है। वहीं, बीजेपी और जेडीएस गठबंधन ने नारायणा कृष्णासा भांडगे और कुपेंद्र रेड्डी को टिकट दिया है। चार सीटों के लिए पांच उम्मीदवार मैदान में होने से यहां चुनाव रोमांचक हो गया हैं।

224 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के 135 विधायक हैं। बीजेपी के 66 और जेडीएस के 19 विधायक हैं। अन्य विधायकों की संख्या भी चार है। चार सीटों के लिए हो रहे चुनाव के लिए एक सदस्य को जीतने के लिए 45 प्राथमिक वोट की जरूरत होगी। ऐसे में कांग्रेस पार्टी अपने तीनों उम्मीदवारों को जिता सकती है। वहीं, बीजेपी-जेडीएस गठबंधन को अपने दोनों उम्मीदवारों को जिताने के लिए पांच अतरिक्त वोट की जरूरत है। चार अन्य विधायक अगर बीजेपी जेडीएस गठबंधन के उम्मीदवारों को वोट करते हैं तो केवल एक वोट के इधर से उधर होने पर मामला बिलकुल पलट सकता है।

इस बीच क्रॉस वोटिंग की आशंकाएं भी खूब जताई जा रही हैं। कांग्रेस पार्टी ने अपने सभी विधायकों को राज्यसभा की वोटिंग तक एक होटल में रखने का फैसला किया है। इससे पहले उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा था कि हमारे विधायकों ने हमें उन प्रस्तावों के बारे में बताया है जो कि उन्हें मिल रहे हैं। हम जानते हैं कि बीजेपी और जेडीएस क्या योजना बना रहे हैं। हमारी अपनी भी रणनीति है। हालांकि, बीजेपी ने कांग्रेस पार्टी के दावों का खंडन किया है।

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कर्नाटक डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार

राज्यसभा सदस्यों का चुनाव आखिर कौन करता है?

आप को बता दें कि राज्यसभा में किस राज्य से कितने सांसद होंगे यह उस राज्य की जनसंख्या के हिसाब से तय होता है। राज्यसभा के सदस्य का चुनाव उस राज्य की विधानसभा के चुने हुए विधायक ही करते हैं, जिस राज्य से वह उम्मीदवार है। राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया लोकसभा और विधानसभा चुनाव से बिलकुल ही अलग है, क्योंकि इस सदन के लिए मतदान सीधे जनता नहीं करती, बल्कि जनता के द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि करते हैं। चूंकि राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल छह साल का होता है। राज्यसभा चुनावों के नतीजों के लिए एक अहम फॉर्मूला भी तय किया गया है।

चुनाव नतीजों का ये फॉर्मूला क्या है?

आप को बता दें कि जिस राज्य की राज्यसभा सीट के लिए चुनाव हो रहे हैं, उस राज्य के विधायक (MLA) इसमें वोट डालते हैं। इन चुनाव में लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तरह वोट नहीं पड़ते हैं। यहां पर विधायकों को वरीयता के आधार पर ही वोट डालना होता है।

विधायकों को चुनाव आयोग की ओर से एक विशेष पेन यानी कलम दी जाती है। उसी कलम (पेन ) से उम्मीदवारों के आगे वोटर को नंबर लिखने होते हैं। एक नंबर उसे सबसे पसंदीदा उम्मीदवार के नाम के आगे ही डालना होता है। ऐसे दूसरी पसंद वाले उम्मीदवार के आगे दो लिखना होता है। इसी तरह विधायक चाहे तो सभी उम्मीदावारों को वरीयता क्रम दे सकता है। अगर आयोग द्वारा दी गई विशेष कलम (PEN) का इस्तेमाल नहीं होता तो वह वोट अमान्य हो जाता है। इसके बाद विधानसभा के विधायकों की संख्या और राज्यसभा के लिए खाली सीटों के आधार पर ही जीत के लिए आवश्यक वोट तय होते हैं। जो उम्मीदवार उस आवश्यक संख्या से अधिक वोट पाता है वह विजयी घोषित होता है।

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