बिलकीस बानो मामला: सर्वोच्च अदालत ने हाल ही में बिलकिस बानो मामले के दोषियों की सजा को रद्द कर दिया था और उन्हें फिर से जेल में डालने का आदेश भी दिया था। अब दोषियों ने आत्मसमर्पण के लिए और समय मांगा है।

आप को बता दें,बिलकिस बानो मामले सात दोषियों ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय से आत्मसमर्पण करने के लिए और समय मांगा है। सर्वोच्च न्यायलय ने हाल ही में गुजरात सरकार द्वारा सजा में दी गई छूट को रद्द कर दिया था। साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उनके परिवार के सात सदस्यों की बेरहमी से हत्या भी कर दी गई थी।

बिलकीस बानो कैस में गुजरात सरकार को लगी थी फटकार

गुजरात सरकार ने इस हाईप्रोफाइल मामले के ग्यारह दोषियों को सजा में छूट दी थी। लेकिन, शीर्ष अदालत ने आठ जनवरी को इसे रद्द कर दिया था। इसके अलावा, अदालत ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि उसकी एक आरोपी के साथ मिलिभगत थी। दोषियों को 2022 के स्वतंत्रता दिवस पर समय से पहले रिहा किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने दो सप्ताह के भीतर दोषियों को फिर से जेल में डालने का आदेश दिया है।

सीजेआई के समक्ष रखें आवेदन: पीठ

दोषियों ने खराब स्वास्थ्य, सर्जरी, बेटे की शादी और पकी फसलों की कटाई का हवाला देते हुए आत्मसमर्पण की समय सीमा बढ़ाने की मांग की है। आवेदन न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ के सामने आया है। जिसने अदालत का स्थायी सचिवालय (रजिस्ट्री) से कहा है कि वे आवेदनों को मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष रखें।

बिलकीस बानो
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति संजय करोल

घरेलू और पारिवारिक समस्याओं का दिया हवाला

पहले गोविंद भाई नाई सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. उसके बाद ही रमेश रूपा भाई चंदना और मितेश चिमन लाल भट्ट ने अर्जियां लगाई हैं. अब विपिन चंद्र कन्हैया लाल जोशी और प्रदीप रमण लाल मोडिया ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इन लोगों ने सेहत, घरेलू और पारिवारिक परिस्थितियां और निजी कारणों से आत्मसमर्पण की समय-सीमा को आगे बढ़ाने की गुहार लगाई है. दोषियों के वकील ने तत्काल सुनवाई की मांग भी की है. सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की अर्जी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध यानी लिस्ट कर लिया है.

अब सरेंडर करने के लिए समय बढ़ाए जाने की मांग

आप को बता दें,दोषी रमेश रूपाभाई चंदना और मितेश चिमनलाल भट ने दो हफ्ते में ही जेल में सरेंडर करने की तारीख को 6 हफ्ते और बढ़ाने की मांग की है.रमेश चंदन ने अपनी दायर अर्जी में बेटे की शादी का हवाला दिया है, तो मितेश भट ने फसल की सीजन का हवाला देते हुए सरेंडर करने के लिए 6 हफ्ते दिए जाने की मांग की है. वही गोविंदभाई नाई ने सरेंडर के लिए दो की बजाय चार हफ्ते की ही मोहलत दिए जाने की गुहार लगाई है. दो दोषियों ने तो अपनी बढ़ती उम्र और खराब सेहत का भी हवाला दिया है.

याचिका में गोविंदभाई ने कहा है कि, वो अपने 88 वर्षीय पिता और 75 वर्षीय मां की देखभाल कर रहे हैं. और घर में माता-पिता की एकमात्र देखभाल करने वाले सदस्य हैं. मितेश चिमनलाल भट ने कहा है कि उनकी सर्दियों की फसल कटाई के लिए तैयार है और वो इसे पूरा करना चाहता है.

क्या पीठ का किया जाएगा पुनर्गठन

पीठ ने कहा है कि, आत्मसमर्पण करने और जेल में भेजने के लिए समय बढ़ाने के आवेदन दायर किए गए हैं। पीठ का पुनर्गठन भी किया जाना है। रजिस्ट्री को पीठ के पुनर्गठन के लिए सीजेआई (CJI)से अनुमति लेने की जरूरत है, क्योंकि (दोषियों का आत्मसमर्पण करने का समय) रविवार को खत्म हो रहा है।

दोषियों के वकील ने किया सुनवाई का अनुरोध

कुछ दोषियों की ओर से वरिष्ठ वकील वी चिंबरेश पेश हुए हैं। उन्होंने 21 जनवरी को आत्मसमर्पण का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत से शुक्रवार को मामले पर सुनवाई का अनुरोध किया है। जिन पांच दोषियों ने उच्चतम न्यायालय ने राहत मांगी है, उनमें गोविंद नाई, प्रदीप मोरधिया, बिपिन चंद्र जोशी, रमेश चंदना और मितेश भट्ट शामिल हैं।

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