महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव के लिए वोटिंग हो रही है. सीएम देवेंद्र फडणवीस के लिए चुनावी अग्निपरीक्षा ही नहीं है बल्कि महायुति में दोस्ती का टेस्ट होना है. निकाय चुनाव में कहीं पर महायुति बनाम महाविकास अघाड़ी की लड़ाई है तो कहीं पर फ्रेंडली फाइट्स है. यह चुनाव महाराष्ट्र की सियासत में काफी कुछ तय करने वाला है.
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव का पहला चरण यानी फर्स्ट फेस में 264 नगर परिषदों और नगर पंचायतों के लिए चुनाव हो रहे हैं. इस बार निकाय चुनाव में दोनों गठबंधन बिखर गए हैं. वही एकनाथ शिंदे की शिव सेना कहीं बीजेपी के साथ मिलकर लड़ रही है तो कहीं बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस से हाथ मिला रखा है. यही नहीं किसी सीट पर एनसीपी-शिवसेना के साथ हैं तो किसी सीट पर खिलाफ हैं.

1. महाराष्ट्र में 246 नगर परिषद और 42 नगर पंचायत यानि 288 स्थानीय निकायों के चुनाव के लिए दो दिसंबर को मतदान होना था. हालांकि, 24 स्थानीय निकायों में मतदान 20 दिसंबर के लिए स्थगित कर दिए गए हैं. इस वजह से ही 264 शहरी निकाय सीटों पर वोटिंग हो रही है.
2. चुनाव आयोग ने 24 स्थानीय निकाय टाल हैं. इसमें ठाणे (अंबरनाथ), बारामती, अमरावती, अहिल्यानगर, नांदेड़, सोलापुर, यवतमाल, धाराशिव, चंद्रपुर, अकोला, पुणे समेत इन इलाकों में चल रही चुनाव प्रक्रिया को रोक दिया है.
3.राज्य के स्थानीय निकायों (नगर परिषद और नगर पंचायत) के 6705 सदस्यों और 264 अध्यक्षों के भाग्य का फैसला होगा.
4. निकाय चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाला महायुति पूरी तरह से बिखर गया है. बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी के बीच क्रेडिट वार चल रहा है, क्योंकि कई सीटों पर महायुति आपस में ही लड़ रहे हैं.
5. पुणे जिले की चाकण नगर परिषद में एकनाथ शिंदे की शिवसेना की उम्मीदवार मनीषा सुरेश गोर ने अध्यक्ष पद के लिए मैदान में हैं. वही शिंदे सेना के विधायक शरद सोनवाने और शिवसेना (UBT) के विधायक बबाजी काले उनके साथ हैं. इसके पीछे वजह यह है कि चाकण पालिका सीट पर बीजेपी मैदान में है. भाजपा को हराने के लिए दोनों ही शिवसेना खेमा एक साथ आ गए हैं.
6. सिंधुदुर्ग जिले की कंकावली नगर परिषद सीट पर एकनाथ शिंदे की शिवसेना और उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने आपस में हाथ मिला लिया है. वही कंकावली नगर परिषद सीट पर उद्धव की शिवसेना (यूबीटी) से संदेश पारकर अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ रहे हैं. वही शिवसेना (यूबीटी) का मुकाबला बीजेपी से हैं. भाजपा को हराने के लिए शिंदे और उद्धव के नेता आपस में हाथ मिला रखे हैं.
7. धाराशिव जिले की ओमेगा नगर परिषद में शिंदे की शिवसेना ने कांग्रेस के साथ हाथ मिला रखा है.वही पूर्व शिवसेना सांसद रविंद्र गायकवाड़ ने कांग्रेस के साथ गठबंधन की नई केमिस्ट्री बना रखी. वही ओमेगा सीट पर अध्यक्ष पद पर बीजेपी के हर्षवर्धन चालुक्या से भिड़ रहे हैं.
8. जलगांव के चोपड़ा में एकनाथ शिंदे की शिवसेना से चंद्रकांत सोनवाने अध्यक्ष पद के लिए मैदान में है, लेकिन बीजेपी के मैदान में होने से उन्होंने कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया.
9.नासिक जिले की येओला नगर परिषद सीट पर एकनाथ शिंदे की शिवसेना के रुपेश दराडे ने एनसीपी (एसपी) के माणिकराव शिंदे के साथ मिलकर बीजेपी-एनसीपी (अजित पवार) गठबंधन को चुनौती दे रहे हैं.
10. वही पालघर के दहानू नगरपरिषद सीट पर एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने अजित पवार और शरद पवार दोनों की एनसीपी के साथ गठबंधन कर रखा, यहां पर उनका मुकाबला भाजपा से है.
11. कोल्हापुर जिले की कागल सीट पर दोनों ही एनसीपी आपस में हाथ मिलाकर शिंदे की शिवसेना के खिलाफ मैदान में है.
12. कोल्हापुर की जयसिंगपुर नगर परिषद में बीजेपी, कांग्रेस और किसान-केंद्रित स्वाभिमानी शेतकारी संघटना (SSS) ने शिंदे की शिवसेना समर्थित राजर्षि शाहू अघाड़ी के खिलाफ मैदान में एक साथ हैं.
13. नासिक की भगुर नगर परिषद सीट पर शिंदे के खिलाफ सभी दल एक साथ हैं. बीजेपी, एनसीपी के दोनों धड़े , शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस, एमएनएस एक हो गए हैं. ये सभी मिलकर शिंदे की शिव सेना की उम्मीदवार अनिता विजय करंजकर को मात देना चाहते हैं.
14. महाराष्ट्र के निकाय चुनाव से भविष्य की सियासी तस्वीर बदल सकती है. बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की NCP में जिस तरह से निकाय चुनाव में क्रेडिट वॉर हो रहा है, उसके कई सियासी मायने भी हैं.
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव में अलग-अलग गुट के नेता
निकाय चुनाव में सिर्फ पार्टियों के नेता और अलग-अलग गुट के मंत्री ही नहीं बल्कि बड़े नेता भी आमने-सामने हैं. इनमें एक तरफ हैं खुद फडणवीस तो दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे. इस तरह यह मुकाबला विधानसभा चुनाव के एक वर्ष बाद मित्रवत टकरावों, गठबंधन में तनाव और कानूनी उलझनों के बीच हो रहा है.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि स्थानीय निकाय के नतीजे का सियासी मायने भी होंगे. वही जमीनी स्तर पर शासन में परिवर्तित होगी या विपक्षी एकजुटता नगरपालिका स्तर पर सत्तारूढ़ गठबंधन के प्रभुत्व को चुनौती दे सकेगी. भाजपा ने 100 सदस्यों और तीन अध्यक्ष पद पर निर्विरोध जीत हासिल की है. ये स्थानीय निकाय चुनाव सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत कराए जा रहे हैं.
