Valmiki Jayanti : वाल्मीकि जयंती हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस साल यह पर्व 17 अक्टूबर को है। ऋषि वाल्मीकि ने रामायण महाकाव्य की रचना की, जो भारतीय साहित्य की महान कृति है। इस दिन जगह-जगह झांकी निकाली जाती हैं।
वाल्मीकि जयंती
वाल्मीकि जी की कहानी काफी रोचक है। पहले वे एक डाकू थे, जो जंगल में आकर लोगों को लूटते थे। बाद में उन्होंने अपने पापों की क्षमा के लिए कठोर तप किया। उनकी तपस्या इतनी गहरी थी कि उन्हें यह भी नहीं पता चला कि उनके शरीर पर दीमक की मोटी परत जम गई है। इस पर दृष्टि डालकर भगवान ब्रह्मा ने उन्हें “वाल्मीकि” नाम दिया।
महर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में कई किंवदंतियां प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, उनका जन्म महर्षि कश्यप और देवी अदिति के पुत्र के रूप में हुआ। एक अन्य कथा में, वे प्रचेता नामक ब्राह्मण के पुत्र थे, जिनका नाम पहले रत्नाकर था। नारद मुनि से मिलने के बाद वे भक्ति और साधना के मार्ग पर चले गए। उनकी तपस्या से उन्हें “वाल्मीकि” की उपाधि प्राप्त हुई, जिसका अर्थ है “चींटियों के टीले से जन्मा”।
इस प्रकार, वाल्मीकि जी का जीवन और उनकी जयंती हमें सिखाती है कि सच्ची साधना और आत्मा की शुद्धि से किसी भी व्यक्ति का जीवन बदल सकता है।