Avn News Facts : अयोध्या राम मंदिर, भगवान श्रीराम की जन्मभूमि, मूलरूप से मंदिरों का शहर है। यह नगरी विवस्वान (सूर्य) के पुत्र, वैवस्वत मनु द्वारा स्थापित की गई थी और महाभारत काल तक सूर्यवंशी राजाओं का राज बनी रही। दशरथ महल में ही भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था, जिसे वाल्मीकि रामायण में सुन्दरता से भरी छटा और रत्न-आभूषणों से सजीव तस्वीर से चित्रित किया गया है। महर्षि वाल्मीकि ने इस नगरी को अपने महाकाव्य में दूसरा इंद्रलोक कहा है, जिससे यहाँ की शोभा का विशेष रूप से वर्णन होता है।

भगवान श्रीराम के जल समाधि लेने के बाद, अयोध्या थोड़ी देर के लिए उजाड़ हो गई थी। रामजी के पुत्र कुश ने फिर से नगरी का निर्माण कराया और सूर्यवंश को 44 पीढ़ियों तक चलने का अवसर दिया, लेकिन महाभारत के युद्ध के बाद भी यह फिर से उजाड़ हो गई।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्रीराम के जल समाधि लेने के बाद और महाभारत युद्ध के बाद, अयोध्या का उजाड़ होने और पुनः बसने का वर्णन मिलता है। मुगलों ने अयोध्या पर कई अभियान चलाए, मंदिर को बाबरी मस्जिद ढांचा बना दिया, लेकिन श्रीराम की जन्मभूमि को कभी नष्ट नहीं किया जा सका। यहां के इतिहास में विवाद, नाश, निर्माण, और उद्घाटन की कहानी लगभग 500 सालों तक बनी रही है।

 

राम जन्म भूमि अयोध्या का इतिहास 

अयोध्या राम जन्मभूमि देश के सबसे लंबे चलने वाले केस में से है।1528 से लेकर 2023 तक श्रीराम जन्मभूमि के 495 वर्षों के इतिहास में कई मोड़ आए। 9 नवंबर 2019 को, 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया।

1528 में, मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने विवादित जगह पर मस्जिद का निर्माण कराया। इस स्थान को लेकर हिंदू समुदाय के लोगों ने यह दावा किया कि यहां भगवान राम की जन्मभूमि है और इस स्थान पर एक प्राचीन मंदिर भी था। हिंदू पक्ष के लोगों ने, मस्जिद में बने तीन गुंबदों में एक गुंबद के नीचे भगवान राम का जन्मस्थान बताया।

1853 में श्रीराम जन्म भूमि पर जहां मस्जिद का निर्माण हुआ, वहां के आसपास 1853 में पहले दंगे हुए, और 1859 में अंग्रेजी प्रशासन ने विवादित स्थान के पास बाड़ लगा दी, मुसलमानों को ढांचे के अंदर और हिंदुओं को बाहर चबूतरे के पास पूजा करने की इजाजत दी।

1949 में, अयोध्या श्रीराम जन्म भूमि का असली विवाद 23 सितंबर को हुआ, जब मस्जिद में भगवान राम की मूर्तियां मिलीं। हिन्दू समुदाय के लोगों ने कहा कि यहां साक्षात भगवान राम प्रकट हुए हैं, जबकि मुस्लिम समुदाय ने आरोप लगाया कि किसी ने चुपके से मूर्तियां रखीं। यूपी सरकार ने मूर्तियों को हटाने के आदेश दिए, लेकिन जिला मैजिस्ट्रेट केके नायर ने धार्मिक भावना को ठेस पहुंचने के डर से इस आदेश में असमर्थता जताई और सरकार ने इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगा दिया।

1950: 1950 में फैजाबाद के सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल हुई, जिसमें एक में विवादित भूमि पर रामलला की पूजा की इजाजत और दूसरी में मूर्ति रखे जाने की इजाजत पर थी।

1961: यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने एक अर्जी दाखिल की और विवादित भूमि पर पजेशन और मूर्तियों को हटाने की मांग की.

1984 में, 1 फरवरी 1986 को यूसी पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज केएम पांडे ने हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दी और ढांचे पर लगे ताले को हटाने का आदेश दिया।

 

राम मंदिर

1992: यह दंगा एतिहासिक रहा  6 दिसंबर 1992 को कार सेवको, VHP (Vishva Hindu Parishad) और शिवसेना समेत कई हिंदू संगठन के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया. इससे देशभर में सांप्रदायिक दंगे हुए और हजारों की तादाद में लोग मारे गए.

2002 में, गोधरा ट्रेन जो हिंदू कार्यकर्ताओं को लेकर जा रही थी, उसमें आग लगा दी गई और करीब 58 लोग मारे गए। इस घटना ने गुजरात में दंगों की आग भड़काई, और इस दंगे में दो हजार से अधिक लोगों की मौके पर मौत हो गई।

राम मंदिर

 

2010 में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान, और निर्मोही अखाड़ा के बीच तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।

2011 में, अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी।

2017 में, सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया और भाजपा के कई नेताओं पर आपराधिक साजिश आरोप बहाल किए गए।

2019 में, 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या  राम मंदिर मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा और 8 सप्ताह के भीतर कार्यवाही को खत्म करने के आदेश दिए। 1 अगस्त को मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट पेश की और 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता पैनल मामले में समाधान निकालने कामयाब नहीं रहें। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या राम मंदिर मामले की प्रतिदिन सुनवाई होती रही, और 16 अगस्त 2019 को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया।

 

राम मंदिर

2019, 09 नवंबर: सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने श्रीराम जन्म भूमि के पक्ष में फैसला सुनाया। फैसले में 2.77 एकड़ विवादित भूमि हिंदू पक्ष को मिली और मस्जिद के लिए अलग से मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश दिया गया।

2020 में, 25 मार्च को पूरे 28 साल बाद रामलला टेंट से निकलकर फाइबर मंदिर में शिफ्ट हुए, और इसके बाद 5 अगस्त को भूमि पूजन किया गया।

2023 में, श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो चुका है. 22 जनवरी 2024 को रामलला के भव्य मंदिर का अभिषेक होगा। इस तरह से सालों साल चले इस विवाद का अंत होगा और रामलला की पूजा-अराधना की जाएगी।

 

22 जनवरी 2024 को भव्य राम मंदिर का अभिषेक

राम मंदिर

22 जनवरी 2024 को श्रीराम जन्म भूमि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का अभिषेक समारोह होगा, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 24 जनवरी 2024 को उद्घाटन किया जाएगा। इस अद्भुत समारोह के बाद, सभी भक्तगण मंदिर में रामलला के दर्शन कर पाएंगे।

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