Our Freedom Fighter : हर साल की तरह 2024 में भी स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है जैसा कि आपको पता होगा की भारत की आज़ादी की लड़ाई में अनगिनत सेनानी लोगों ने योगदान दिया। इनमें से कई लोग ऐसे थे जिन्होंने नए प्रतीक या प्रतिमा के रूप में उभर कर देश की आज़ादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन का बलिदान किया और इसलिए हम आज स्वतंत्र देश में रह रहे हैं। उनके लिए देश की आज़ादी परिवार, संबंध और व्यक्तिगत भावनाओं से भी महत्वपूर्ण थी।
इस महान संघर्ष में कई व्यक्तित्व उभरे और अनेक घटनाएं घटीं। अनगिनत लोग मारे गए या घायल हुए। इसीलिए इस लेख में हम उन महानायकों सेनानी के बारे में जानेंगे जिन्होंने आज़ादी दिलाने में प्रमुख भूमिका निभाई।
हमारे स्वतंत्रता सेनानी
मंगल पांडे
जन्म: 19 जुलाई 1827, बलिया, उत्तर प्रदेश
मृत्यु: 8 अप्रैल 1857, बैरकपुर, पश्चिम बंगाल
मंगल पांडे जी का जन्म जो की उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के गांव नगवा में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम दिवाकर पांडे और माता का नाम अभय रानी था। 22 साल की उम्र में, सन 1849 में, वे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हो गए। बैरकपुर की सैनिक छावनी में, वे एक नेटिव इन्फैंट्री की पैदल सेना में एक सिपाही थे।
यहीं पर नए कारतूसों में गाय और सूअर की चर्बी का इस्तेमाल शुरू हुआ, जिससे सैनिकों में आक्रोश फैल गया। मंगल पांडे ने 9 फरवरी 1857 को नए कारतूस का विरोध किया। 29 मार्च 1857 को, जब अंग्रेज अफसर मेजर ह्यूसन और लेफ्टिनेन्ट बॉब ने उनकी राइफल छीनने की कोशिश की, तो उन्होंने ह्यूसन को मार डाला और बॉब को भी खत्म कर दिया। इसके बाद, 8 अप्रैल 1857 को उन्हें फांसी दी गई। मंगल पांडे की मृत्यु के बाद, 1857 का विद्रोह शुरू हुआ, जिसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा जाता है।
भगत सिंह
जन्म: 28 सितंबर 1907, लायलपुर ज़िले का बंगा, पंजाब
मृत्यु: 23 मार्च 1931, लाहौर जेल में फांसी हुई
शहीद भगत सिंह पंजाब के निवासी थे। उनके पिता का नाम किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती था। वे भारत के सबसे युवा स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने केवल 23 वर्ष की उम्र में अपने देश के लिए फांसी का सामना किया। भगत सिंह पर अराजकतावादी और मार्क्सवादी विचारधाराओं का गहरा असर था। लाला लाजपत राय की मौत ने उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने ब्रिटिश अधिकारी जॉन सॉंडर्स की हत्या करके इसका प्रतिशोध लिया।
भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त के साथ केंद्रीय विधानसभा में बम फेंकते हुए क्रांतिकारी नारे लगाए। इसके बाद, उन्हें ‘लाहौर षड़यंत्र’ के मामले में दोषी ठहराया गया और 23 मार्च 1931 की रात को फांसी पर लटका दिया गया।
महात्मा गांधी
जन्म: 2 अक्टूबर 1869, पोरबंदर, काठियावाड़ (अब गुजरात)
मृत्यु: 30 जनवरी 1948, नई दिल्ली
महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ और ‘बापू’ के नाम से भी जाना जाता है। उनके पिता का नाम करमचंद्र गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। गांधी जी को भारत के सबसे महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक माना जाता है और उन्होंने दुनिया को भी प्रभावित किया। उन्होंने सरल जीवन और उच्च सोच को महत्व दिया। उनके सिद्धांत सत्य, अहिंसा और राष्ट्रवाद थे।
गांधी जी ने सत्याग्रह का नेतृत्व किया, जो हिंसा के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन था और इसने भारत की स्वतंत्रता की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने किसानों और मजदूरों के खिलाफ भूमि कर और भेदभाव का विरोध किया और अंत तक अस्पृश्यता के खिलाफ संघर्ष किया।
30 जनवरी 1948 को, नाथूराम गोडसे ने नई दिल्ली में उनकी हत्या कर दी। महात्मा गांधी के अहिंसा और शांति के सिद्धांतों ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया, और इस प्रकार का उदाहरण विश्व इतिहास में कहीं और देखने को नहीं मिलता।