आजादी का मतलब भारत से बेहतर कौन समझ सकता है। कई सालों तक अंग्रेजों के गुलाम बनकर रहने के बाद जब भारत को स्वतंत्रता मिली तो ये दिन इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया। आजादी को पाना आसान नहीं था। इसके लिए भारत के कई वीर सपूतों, बेटियों ने अपनी जान तक देश के लिए न्यौछावर कर दी। आजादी के लिए सालों तक संघर्ष हुआ। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से लेकर मंगल पांडे तक और महात्मा गांधी से लेकर चंद्रशेखर आजाद व भगत सिंह जैसे हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन आजाद भारत के सपने को पूरा करने में बिता दिया।
आखिरकार 15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र हो गया।
भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले की प्राचीर से ध्वजारोहण किया। आजादी के 76 साल पूरे होने पर देश में काफी बदलाव आया लेकिन नहीं बदली तो आजादी के जश्न की परंपरा। हर साल 15 अगस्त को लाल किले से ध्वजारोहण किया जाता है। गुलाम भारत के दौर में हम नहीं थे, लेकिन उस समय का नजारा कैसा था इसकी सिर्फ कल्पना कर सकते हैं। अगर आप जानना चाहते है कि आजादी के वक्त का नजारा क्या था,
जब हमारे पूर्वजों ने पहली बार एक आजाद मुल्क में सांस ली होगी. कैसी रही होगी 14-15 अगस्त 1947 की रात. कैसा रहा होगा अपनी दिल्ली का नजारा? कैसे पूरी रात जागकर देश भर में लोगों ने एक आजाद होते हुए देश को न सिर्फ देखा होगा बल्कि जिया भी होगा. कैसे अंग्रेजी शासन के खौफ से पीछा छुड़ाकर खुद के पैरों पर खड़े होकर भारत ने एक रात में शताब्दियों के गर्द-ओ-ग़ुबार झाड़कर फेंक दिए होंगे? कैसी रही होगी वो रात और वो आजादी की पहली सुबह?
मशहूर लेखक डोमिनिक लैपीयरे और लैरी कॉलिन्स अपनी किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में 14 अगस्त 1947 के ऐतिहासिक दिन का चित्रण करते हुए लिखते हैं- ‘सैन्य छावनियों, सरकारी कार्यालयों, निजी मकानों आदि पर फहराते यूनियन जैक को उतारा जाना शुरू हो चुका था. 14 अगस्त को जब सूर्य डूबा तो देश भर में यूनियन जैक ने ध्वज-दण्ड का त्याग कर दिया, ताकि वह चुपके से भारतीय इतिहास के भूत-काल की एक चीज बन कर रह जाए. जिस कक्ष में भारत के वायसरायों की भव्य ऑयल-पेंटिंग्स लगी रहा करती थीं, वहीं अब अनेक तिरंगे झंडे शान से लहरा रहे थे.
अब हम 77 वी आज़ादी वर्ष मना रहे हैं, जिस परकार समाज मैं धर्म और जाति, मज़हब के नाम पर भाई चारे को खत्म करते जा रहे है ,क्या हमारे पूर्वजों ने इस दिन के लिए अपना बलिदान और प्राण की आहुतियां दी, जिस परकार आज कल सभिधान का निरादर कर रहे है क्या ये सही है ?
क्या हम अपने स्वतंत्रता सेनानियो के सपनों का भारत और क्या कभी हमारे पूर्वजों ने ऐसी भारत,ऐसा इंडिया, और ऐसा हिंदुस्तान की कल्पना तो कभी नहीं किया होगा ।
अब हमे उनके सपनों के भारत को भाई चारा और राजनीति स्वार्थ से उठ कर हम भारत के उनके सपनों को साकार करेंगे .जय हिंद।
AVN News परिवार की तरफ़ से 77वां स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं ।