Hariyali Teej Festival : सावन महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज मनाई जाती है। इस बार यह पर्व 7 अगस्त 2024 को पड़ रही है। ये पर्व शिव और पार्वती के पुर्नमिलन के प्रतीक स्वरूप मनाया जाता है। इसी लिए सौभाग्य से जुड़ी हर कामना की पूर्ती के लिए स्त्रियां विशेष रूप से पर्व को मनाती हैं। इस दिन वे सोलह श्रंगार करती हैं और मेंहदी आदि रचा कर शिव पार्वती का पूजन करती हैं। जहां विवाहित स्त्रियां इस त्योहार को अखंड सौभाग्य के लिए मनाती हैं वहीं कुंवारी कन्याएं योग्य वर की कामना से इस त्योहार को मनाती हैं। आइये जानें इस पर्व से जुड़ी कुछ खास बातें।
Hariyali Teej Festival
माता पार्वती से गहरा रिश्ता
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस पर्व का देवी पार्वती से विशेष संबंध हैं। शास्त्रों के अनुसार पार्वती जी ने 107 जन्म लिए थे भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए, और अंत में 108वें जन्म में कठोर तप के बाद भगवान शंकर ने उनको अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।
अखंड सौभाग्य और योग्य वर की अपेक्षा
इस व्रत के शुरू होने से ही मान्यता है कि इसे करने से मां पार्वती प्रसन्न होती हैं और हर समय सौभाग्य की कृपा देती हैं। विवाहित महिलाएं सदा सुखी रहने के लिए इस व्रत को करती हैं, जबकि विवाह योग्य कन्याएं अच्छे पति की प्राप्ति के लिए इसे अपनाती हैं।
सावन का प्रमुख पर्व
हरियाली तीज सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को रखा जाता है। यह त्यौहार नाग पंचमी के दो दिन पहले होता है। यह महिलाओं के मुख्य त्यौहारों में से एक है। इस दिन शिवपार्वती की पूजा और व्रत का विधान होता है।
उत्तर भारत में महत्व
उत्तर भारत के कई राज्यों में हरियाली तीज का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन महिलाएँ अपने मायके से आए वस्त्र और सजावट की चीजें पहनती हैं, जिसे सिंधारा कहते हैं। सिंधारे में खाने-पीने की चीजें भी होती हैं, जैसे कि सावन में खास तौर पर बनने वाली घेवर, अंदरसे, गुझिया और फेनी।