Bhai Dooj Festival : भाई दूज, जिसे भैया दूज भी कहते हैं, भारत में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह हर साल दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है और भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित होता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।
भाई दूज का त्योहार
भाई दूज क्या है?
भाई दूज का अर्थ है ‘भाई’ और ‘दूज’ (दूसरा दिन)। यह दिन भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाने का मौका है। बहनें इस दिन अपने भाइयों को तिलक करती हैं और उनके लिए खास पकवान बनाती हैं।
भाई दूज का इतिहास
भाई दूज का इतिहास कई पौराणिक कथाओं से जुड़ा है। एक कथा में भगवान कृष्ण ने अपनी बहन सुभद्रा को तिलक किया। दूसरी कथा के अनुसार, यमराज ने अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए इस दिन को चुना और आशीर्वाद दिया कि जो भी अपनी बहन से तिलक करवाएगा, उसकी उम्र बढ़ेगी।
भाई दूज का महत्व
भाई दूज भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने का प्रतीक है। यह दिन परिवार के बंधनों को और मजबूत करता है और बुरी शक्तियों से बचाने का विश्वास दिलाता है। देशभर में इसे अलग-अलग रीति-रिवाजों से मनाया जाता है।
भाई दूज कैसे मनाते हैं?
इस दिन पूजा की थाली में रोली, चावल, मिठाई और फल सजाए जाते हैं। बहनें भाइयों की आरती करती हैं और तिलक करती हैं। भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं। घरों में विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं।
भाई दूज पर 10 खास बातें
1. भाई दूज भाई-बहन के रिश्ते का त्योहार है।
2. यह दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है।
3. भगवान कृष्ण और यमराज की कथाओं से जुड़ा है।
4. बहनें अपने भाइयों के लिए प्रार्थना करती हैं।
5. यह परिवार के बंधनों को मजबूत करता है।
6. नेपाल में इसे भाई टीका कहा जाता है।
7. हर साल बहनें अपने भाइयों के कल्याण की कामना करती हैं।
8. यह त्योहार विभिन्न नामों से मनाया जाता है।
9. भाई दूज का दिन खुशी और उल्लास से भरा होता है।
10. यह प्रेम और स्नेह का प्रतीक है।
रोचक तथ्य
– भाई दूज का नाम ‘भाई’ और ‘दूज’ के संयोजन से आया है।
– यह दिवाली उत्सव के समापन का प्रतीक है।
– मणिपुर में इसे ‘निंगोल चाकोउबा’ के नाम से मनाते हैं।
भाई दूज का त्योहार हमें एक-दूसरे के प्रति प्रेम और स्नेह को बढ़ाने की प्रेरणा देता है।