AVN News Desk New Delhi: किसानों का दिल्ली चलो मार्च मंगलवार (13 फरवरी) से शुरू होने जा रहा है. इस प्रदर्शन में देश के अलग-अलग हिस्सों के 200 से भी ज्यादा किसान संगठनों के शामिल होने की बात कही जा रही है. राजधानी दिल्ली में भी सुरक्षा काफी टाइट कर दी गई है. प्रशासन ने महीने भर के लिए धारा-144 भी लागू कर दिया है.

चंडीगढ़ में सोमवार को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और अर्जुन मुंडा के साथ किसान संगठनों की साढ़े पांच घंटे की बैठक बेनतीजा यानी कोई हल नहीं निकला . किसानों का कहना है कि उनका दिल्ली कूच अभी जारी रहेगा. किसान एमएसपी पर किसी भी कीमत पर समझौता करने को तैयार ही नहीं है. किसानों का कहना है कि भारत सरकार उनकी मांग पर गंभीर ही नहीं है.

किसानों
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और अर्जुन मुंडा

किसान मजदूर मोर्चा का कहना है कि भारत सरकार हमारी मांगों पर बिलकुल भी गंभीर नहीं है. भारत सरकार के मन मे खोट है, वे हमें कुछ भी नहीं देना चाहते. किसान मंगलवार (13 फरवरी) सुबह 10 बजे से आगे बढ़ेंगे. वही किसानों ने 16 फरवरी को भारत बंद भी बुलाया है.

दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक, 13 फरवरी के ‘दिल्ली चलो मार्च’ में लगभग 20 हजार किसान 2500 ट्रैक्टर्स से दिल्ली पहुंच सकते हैं. हरियाणा और पंजाब के कई बॉर्डर एरिया में प्रदर्शनकारी मौजूद हैं. ये प्रदर्शनकारी दिल्ली में दाखिल होने को तैयार हैं. किसान प्रदर्शनकारी छोटी-छोटी टुकड़ियों में ट्रैक्टर और ट्रॉली के साथ मौजूद हैं.

वहीं, दिल्ली पुलिस और हरियाणा पुलिस को सख्त निर्देश दिया गया है कि प्रदर्शनकारी दिल्ली बॉर्डर से किसी भी हाल में राजधानी दिल्ली में एंट्री न कर पाएं. दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी हर मूवमेंट पर पैनी नजर रखे हुए है. इससे पहले ऐसी खबर भी थी कि केंद्र सरकार के मंत्रियों के साथ हुई किसानों की बातचीत में कुछ मुद्दों पर सहमति भी बनी है. सरकार बिजली अधिनियम 2020 रद्द करने, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों को मुआवजा देने और किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज सभी मामले वापस लेने पर सहमति बनने का दावा भी किया गया था.
अब हम आपको बताते हैं कि सरकार और किसानों के बीच किन मांगों पर बातचीत हुई है. किसान मजदूर मोर्चा (KMM) और संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक के मांग पत्र के मुताबिक यह है कि,

1. सभी फसलों की खरीद पर MSP की गारंटी अधिनियम बनाया जाए. भारत रत्न डॉ स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश पर सभी फसलों के उत्पादन की औसत लागत से भी पचास फीसदी ज्यादा एमएसपी मिले.

1.1 गत्ते का एफआरपी और एसएपी स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के अनुसार ही दिया जाना चाहिए, जिससे यह हल्दी सहित सभी मसालों की खरीद के लिए एक राष्ट्रीय प्राधिकरण भी बन जाए.

2. किसानों और मजदूरों का सभी कर्ज माफ हो.

3. पिछले दिल्ली में आंदोलन की अधूरी मांगें जैसे कि-

3.1 लखीमपुर खीरी हत्या मामले में पुरा न्याय हो, अजय मिश्रा को कैबिनेट से बर्खास्त किया जाए और गिरफ्तार भी किया जाए, आशीष मिश्रा की जमानत को भी रद्द की जाए. सभी आरोपियों से उचित तरीके से ही निपटा जाए.

3.2 समझौते के अनुसार, सभी घायलों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए.

3.3 दिल्ली मोर्चा सहित देशभर में सभी आंदोलनों के दौरान दर्ज किया गया सभी मुकदमे रद्द किए जाएं.

3.4 आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों और मजदूरों के परिवारों को मुआवजा भी दिया जाए और सरकारी नौकरी दी जाए.

3.5 दिल्ली में सभी किसान मोर्चा के शहादत स्मारक के लिए जगह दी जाए.

3.6 बिजली क्षेत्र को निजी हाथों में देने वाले बिजली संशोधन विधेयक पर दिल्ली किसान मोर्चा के दौरान सहमति तो बनी थी कि इसे उपभोक्ता को विश्वास में लिए बिना लागू नहीं किया जाएगा, जो कि अभी अध्यादेशों के माध्यम से पिछले दरवाजे से लागू किया जा रहा है, इसे बिलकुल निरस्त किया जाना चाहिए.

3.7 कृषि क्षेत्र को किए वादे के अनुसार प्रदूषण कानून से बाहर रखा जाना चाहिए.

4. भारत को डब्ल्यूटीओ से बाहर आना चाहिए, कृषि वस्तुओं, दूध उत्पादों, फलों, सब्जियों और मांस आदि पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता भी बढ़ाना चाहिए. विदेशों से और प्राथमिकता के आधार पर ही भारतीय किसानों की फसलों की खरीद करें.

5. किसानों और 58 वर्ष से अधिक आयु के कृषि मजदूरों के लिए पेंशन योजना लागू करके 10,000 रुपये प्रति माह की पेंशन भी दी जानी चाहिए.

6. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार के लिए सरकार द्वारा स्वयं बीमा प्रीमियम का भुगतान करना, सभी फसलों को योजना का हिस्सा भी बनाना और नुकसान का आकलन करते समय खेत एकड़ को एक इकाई के रूप में मानकर ही नुकसान का आकलन करना.

7. भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को उसी तरीके से लागू किया जाना चाहिए और भूमि अधिग्रहण के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को दिए गए निर्देशों को रद्द भी किया जाना चाहिए.

8. मनरेगा के तहत प्रति वर्ष 200 दिनों के लिए रोजगार उपलब्ध कराया जाए, मजदूरी को बढ़ाकर 700 प्रति दिन की जाए और इसमें कृषि को भी शामिल किया जाए.

9. कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन करके कपास सहित सभी फसलों के बीजों की गुणवत्ता में सुधार भी करना और नकती और घटिया उत्पादों का निर्माण और बिक्री करने वाली कंपनियों पर अनुकरणीय दंड और दंड लगाकर लाइसेंस रद्द भी करना होगा.

10. संविधान की पांचवीं अनुसूची का कार्यान्वयन.
आप को बताते चलें कि किसानों के दिल्ली कूच को रोकने के लिए पुलिस ने सख्त और कड़े इंतजाम किए हुए हैं. ताकि आमजन को किसी तरह की कोई परेशानी से बचाया जा सके.

किसानों को दिल्ली आने से रोकने की पूरी तैयारी भी हो चुकी है. दिल्ली की तीनों सीमाएं- सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर को पूरी तरह से सील कर दिया गया है. ड्रोन से भी निगरानी की जा रही है.

इतना ही नहीं, राजधानी दिल्ली में धारा-144 भी लगा दी गई है. 12 फरवरी से 12 मार्च तक यह धारा-144 लागू रहेगी. दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा की और से जारी आदेश में कहा गया है कि इस दौरान लोगों के एकजुट होने पर, रैलियां करने और लोगों को लाने-ले जाने वाली ट्रैक्टर ट्रॉलियों पर भी रोक रहेगी.

किसानों
दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा

किसानों के आंदोलन पर प्रशासन ने लगाई धारा-144

अक्सर धारा-144 समाज में शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए लगाई जाती है. इस दौरान इलाके में चार या उससे ज्यादा लोग इकट्ठे बिलकुल भी नहीं हो सकते.

दिल्ली पुलिस की और से जारी आदेश में बताया गया है कि किसानों के दिल्ली चलो मार्च के कारण तनाव, उपद्रव, अशांति और हिंसा फैलने का खतरा बना है. इसलिए सार्वजनिक सुरक्षा, शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए एहतियात कदम उठाना बेहद ही जरूरी है.
दिल्ली पुलिस का ये भी कहना है कि किसानों के इस प्रदर्शन के लिए अनुमति बिलकुल भी नहीं दी गई है.

क्या-क्या पाबंदियां लगी हैं?

आदेश के मुताबिक, राजधानी दिल्ली के भीतर किसी भी रैली या जुलूस की अनुमति बिलकुल नहीं होगी और न ही सड़कों या रास्तों को ब्लॉक करने की अनुमति दी जाएगी. इसके अलावा, राजधानी दिल्ली की बॉर्डर को पार करने की कोशिश करने वालीं ट्रैक्टर रैलियों पर भी प्रतिबंध रहेगा.

आदेश में लिखा गया है कि लोगों के इकट्ठा होने, सड़कों को ब्लॉक करने, रैली या पब्लिक मीटिंग करने पर भी प्रतिबंध रहेगा. किसी भी तरह के विस्फोटक, एसिड, पेट्रोल, सोडा वॉटर बोतल या ऐसी कोई भी चीज इकट्ठा करने या ले जाने पर भी रोक रहेगी, जिसका इस्तेमाल से खतरा पैदा करने के लिए किया जा सकता है.

किसानों
किसान फाइल फोटो

उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से आने-जाने वालीं सभी गाड़ियों की भी सख्ती से चेकिंग की जाएगी. इसके अलावा बोलकर, लिखकर या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से उत्तेजित नारे या मैसेज का प्रसार करना भी गैरकानूनी ही माना जाएगा.

इन सबके अलावा, किसी भी प्राइवेट व्हीकल या बिल्डिंग या पब्लिक एरिया में किसी भी एम्प्लीफायर या लाउडस्पीकर का इस्तेमाल तब तक प्रतिबंधित रहेगा, जब तक कि इसके लिए पहले से ही अनुमति न ली गई हो.
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने 13 फरवरी मंगलवार से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसानों के प्रस्तावित मार्च के मद्देनजर ट्रैफिक एडवाइजरी भी जारी की है. इससे पहले ही सिंघू बॉर्डर के पास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है.

क्या फिर से शुरू होगा पहले जैसा किसान आंदोलन?

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को लेकर पूरे देश भर में एक साल से भी लंबा किसान आंदोलन चला था. यह आंदोलन 26 नवंबर 2020 से शुरू हुआ था. तब पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के किसान राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए थे.

तब किसान तीनों कृषि कानूनों की वापसी पर अड़े हुए थे. सालभर तक चले आंदोलन के बाद 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कानूनों की वापसी का ऐलान भी किया था. इन तीनों कानूनों को अब सरकार द्वारा वापस लिया जा चुका है.

तीनों कानूनों की वापसी के बाद किसानों ने भी आंदोलन खत्म करने का ऐलान भी कर दिया था. हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा था कि उनकी और भी मांगें हैं और अगर उन्हें भी पूरा नहीं किया गया तो फिर से आंदोलन किया जाएगा.

देश दुनिया की खबरों की अपडेट के लिए AVN News पर बने रहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *