AVN News Desk New Delhi: भारतीय कुश्ती में चल रहे संकट खत्म होने का नाम नही ले रहा है ।आज यानी बुधवार को एक और नया मोड़ ले लिया है. कारण वही, सैकड़ों जूनियर पहलवान अपने करियर के एक महत्वपूर्ण वर्ष के नुकसान के विरोध में जंतर मंतर पर पहुंचे और धरना प्रदर्शन करने लगे हैं. बसों में भरकर जूनियर पहलवान उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों से पहुंचे है, लेकिन पुलिस को इसकी कानो का भनक तक नहीं लगी. जूनियर पहलवानों ने जंतर-मंतर पर धरना देते हुए उनकी इस स्थिति के लिए सीनियर पहलवान बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट को ही दोषी ठहराया है.

जूनियर पहलवान

जंतर-मंतर पर पहुंचे जूनियर पहलवानों में से लगभग 300 छपरौली , बागपत के आर्य समाज अखाड़े से आए हैं, जबकि कई अन्य नरेला में वीरेंद्र कुश्ती अकादमी से भी पहुंचे हैं. वहीं कई लोग अलग-अलग अखाड़ों से यहां धरना प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे हैं और बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट के खिलाफ नारे भी लगाए. इस बीच पुलिसकर्मियों को इन जूनियर पहलवानों को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष भी करना पड़ा है.

जूनियर पहलवानों के प्रदर्शन के बीच एड-हॉक कमेटी ने काम करना शुरू कर भी कर दिया है. एड-हॉक कमेटी की तरफ से कहा गया है कि अगले 6 हफ्ते के भीतर लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान, ग्वालियर में अंडर-15 और अंडर-20 श्रेणियों के लिए नेशनल चैंपियनशिप को आयोजित करने की योजना बनाई जा रही है.

‘जूनियर पहलवान ने कहा हमारी कुश्ती को 3 पहलवानों से बचाएं’

आप को बता दें कि जनवरी 2023 से राष्ट्रीय शिविर और प्रतियोगिताएं रुकी हुई हैं क्योंकि WFI को दो बार निलंबित कर दिया गया है और एक एड-हॉक पैनल फिलहाल खेल का संचालन तो कर रहा है. बुधवार को विरोध करने वालों ने मांग की है कि खेल मंत्रालय द्वारा खेल को चलाने के लिए नियुक्त किए गए एड-हॉक पैनल को भंग करके निलंबित डब्ल्यूएफआई को बहाल किया जाए. प्रदर्शनकारियों के हाथ में बैनर थे, जिन पर लिखा था, ‘UWW हमारी कुश्ती को इन 3 पहलवानों से बचाएं, कर दिया देश की कुश्ती को बर्बाद.’

आखिर क्या होती है एड-हॉक कमेटी?

एड-हॉक कमेटी का मतलब है किसी खास मुद्दे को सुलझाने के लिए बनाई गई अस्थायी कमेटी है. आम तौर पर कार्यकारी नेतृत्व ही एड-हॉक कमेटी बनाता है. बात करे लैटिन भाषा में, एड-हॉक का मतलब होता है, ‘इसके लिए’. जबकि इंग्लिश भाषा में इसका मतलब ‘केवल इस मकसद के लिए’ होता है. एड-हॉक कमेटी का मुख्य काम होता है, खास सलाह और सुझाव को देना. सलाह और सुझाव, कमेटी की स्थापना के मकसद और कर्तव्यों पर ही केंद्रित होने चाहिए. एड-हॉक कमेटी में अलग-अलग पृष्ठभूमि और विषयों के लोग भी शामिल हो सकते हैं. जैसे- वकीलों को, अकाउंटेंट और व्यावसायिक सलाहकारों की टीम होती है. या फिर डॉक्टरों, नर्सों और चिकित्सा शोधकर्ताओं का ग्रुप है. एड-हॉक कमेटी सीमित समय के लिए और किसी खास मुद्दे को सुलझाने के लिए ही बनाई जाती है.
एक साल पहले इसी जगह धरने पर बैठे थे सीनियर पहलवान

गौरतलब है यह है कि लगभग एक साल पहले इसी जंतर-मंतर पर तीन सीनियर पहलवान बजंरग पुनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट तत्कालीन WFI अध्यक्ष बृजभूषण सिंह सरन के खिलाफ धरने पर बैठे थे. उन्होंने बृजभूषण सिंह पर महिला पहलवानों के यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप भी लगाए थे. इस दौरान तीनों पहलवना अपने उद्देश्य के लिए भारी समर्थन हासिल करने में कामयाब भी रहे थे. किसान संगठन, सामाजिक कार्यकर्ताओं, राजनेताओं, महिला संगठन और कुश्ती बिरादरी के सदस्यों समेत तमाम लोग इनके समर्थन में भी आ गए थे. अब आने वाले समय में ही पता चलेगा कि कब तक खेल का मैदान राजनीति का अखाड़ा बनता रहेगा और क्या खिलाड़ियों का को मिल पाएगा इंसाफ?

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