दिल्ली के मजनूं का टीला इलाके में दशकों से रह रहे पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. अदालत ने उन्हें हटाने पर फिलहाल रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने 30 मई को एक आदेश पारित कर शरणार्थियों को हटाने का रास्ता साफ किया था. वही हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज करते हुए डीडीए (DDA) के हटाने संबंधी आदेश को बरकरार रखा था. इसी फैसले को शरणार्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए उन्हें अस्थायी राहत दे दी है.
शरणार्थियों की दलील
इन शरणार्थियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकील विष्णु शंकर जैन ने दलील दी कि ये लोग कई वर्षों से मजनूं का टीला में रह रहे हैं और इन्हें एक झटके में उजाड़ना न्यायोचित नहीं है. उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश पर एकतरफा अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल उनकी याचिका स्वीकार कर ली.

दिल्ली में दशकों से अनिश्चितता में जीवन
पाकिस्तान से आए ये सभी हिंदू शरणार्थी परिवार मजनूं का टीला में टिन और टेंट के सहारे रह रहे हैं. वही इनके लिए यह जगह सिर्फ आश्रय ही नहीं बल्कि इनका जीवन का आधार बन चुकी है. वही ये लोग लंबे समय से भारत की नागरिकता की उम्मीद लगाए हुए हैं, लेकिन हर समय इस डर में ही जीते हैं कि कहीं इन्हें यहां से निकाल न दिया जाए.
वही,सुप्रीम कोर्ट (SC) के ताजा फैसले से यहां रह रहे लगभग 300 से अधिक परिवारों ने अब राहत की सांस ली है. वही उनका कहना है कि अब तक वे असुरक्षा में जी रहे थे, लेकिन अदालत के इस आदेश ने उन्हें थोड़ी स्थिरता दी है.
अब इस मामले पर केंद्र सरकार और डीडीए को अपना पक्ष सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखना होगा. वही कोर्ट ने साफ किया है कि जब तक अगला आदेश नहीं आता, तब तक शरणार्थियों को हटाया नहीं जा सकता.
