SSC Student Protests: आख़िर क्यों बेरहम हो रही है सरकार SSC के छात्रों पर? कब सुनेगी उनकी आवाज़?
SSC Student Protests: देश में शिक्षा सिर्फ़ डिग्री लेने का साधन नहीं, बल्कि करोड़ों युवाओं के सपनों की नींव है। लेकिन जब वही शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो जाए, और परीक्षा प्रणाली भ्रष्टाचार और धांधली की भेंट चढ़ जाए, तो सवाल उठता है – क्या वाक़ई सरकार युवाओं की चिंता करती है? SSC (Staff Selection Commission) परीक्षा में हो रही लगातार धांधली और बार-बार पेपर लीक की घटनाओं ने देश के करोड़ों छात्रों का सपने और भरोसा पूरी तरह तोड़ दिया है।
सरकार क्यों नहीं सुन रही छात्रों की आवाज़?
आज SSC के लाखों छात्र सड़कों पर हैं। कोई सोशल मीडिया पर न्याय की गुहार लगा रहा है, कोई आंदोलन कर रहा है, कोई आत्महत्या तक कर चुका है। लेकिन केंद्र सरकार और संबंधित एजेंसियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही।
कभी CGL, कभी CHSL तो कभी GD की परीक्षाओं में पेपर लीक, समय पर परिणाम ना आना, भर्ती प्रक्रिया में सालों की देरी, और फिर कोर्ट केसों के बहाने भर्ती रोक देना – यह सब सामान्य होता जा रहा है।
लेकिन असामान्य है छात्रों का दर्द, उनकी रातों की नींद, और परिवारों की उम्मीदें जो टूट रही हैं।
तथ्य जो चौंकाते हैं, रुलाते हैं
2023 में SSC GD परीक्षा के पेपर लीक की पुष्टि खुद आयोग ने की थी, लेकिन दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की बात करके मामला ठंडा कर दिया गया।
2022 और 2024 में भी CGL परीक्षा में अनियमितताओं की शिकायतें सामने आईं, लेकिन जांच की प्रक्रिया बेहद धीमी और अपारदर्शी रही।
हर साल करीब 2 करोड़ छात्र SSC की विभिन्न परीक्षाओं में भाग लेते हैं, लेकिन भर्ती प्रक्रिया पूरी होने में औसतन 2–3 साल का समय लगता है।
छात्रों की आत्महत्या के दर्जनों मामले दर्ज हो चुके हैं, लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से कोई मानवीय प्रतिक्रिया तक नहीं आई।
छात्रों की भावनाएं, सरकार की बेरुख़ी
इन परीक्षाओं की तैयारी में छात्र अपनी ज़िंदगी का सबसे महत्वपूर्ण समय, अपनी जवानी, यहां तक कि परिवार की पैठ काट काट जमा पूंजी तक लगा देते हैं।
“हमने अपने मां-बाप से झूठ बोलकर कोचिंग की फीस दी थी कि एक बार नौकरी मिल जाए, फिर सब लौटा देंगे। अब पेपर ही लीक हो गया। किससे शिकायत करें?“ और कहा जाए?
एक अभ्यर्थी, दिल्ली के प्रदर्शन के दौरान
लेकिन जब उनके साथ न्याय नहीं होता, तो वे टूट जाते हैं। और सबसे दुखद बात ये है कि सरकार इन छात्रों को सिर्फ एक “नंबर” की तरह देखती है – जैसे उन्हें कोई फर्क ही नहीं पड़ता।
क्या सरकार की चुप्पी एक साज़िश है?
सवाल ये भी उठता है कि सरकार आखिर इतनी चुप क्यों है? क्या वो नहीं चाहती कि भर्ती प्रक्रिया समय पर हो? क्या युवाओं को भटकाए रखना उनकी रणनीति का हिस्सा है? क्योंकि अगर नौजवान नौकरी मांगेंगे, तो सवाल पूछेंगे। और सवाल सत्ता को सबसे ज़्यादा डराते हैं।
अब क्या करें छात्र?
संविधानिक तरीके से आवाज़ उठाएं – सोशल मीडिया, याचिकाएं, और शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रखें।
एकजुट हों – अलग-अलग राज्यों, जातियों, भाषाओं से ऊपर उठकर एक मंच पर आएं।
मीडिया को मजबूर करें – मुद्दों को उठाने के लिए। क्योंकि जब दबाव बनता है, तब सरकार हरकत में आती है।
चुनाव में हिसाब मांगें – युवाओं को सिर्फ वादों से नहीं, काम से मतलब होना चाहिए।
शिक्षा सिर्फ़ डिग्री लेने का साधन नहीं
SSC परीक्षाओं में हो रही धांधली अब किसी एक साल या एक परीक्षा की बात नहीं रही – ये एक सिस्टमेटिक फेलियर है। और जब सरकार उस फेलियर पर आंख मूंद ले, तब जनता को उठना ही पड़ता है। ये सिर्फ नौकरी की लड़ाई नहीं, ये हक़ और सम्मान की लड़ाई है। और जब करोड़ों युवाओं का हक़ छीना जा रहा हो, तो चुप रहना भी गुनाह है। और शिक्षा सिर्फ़ डिग्री लेने का साधन नहीं
सरकार से सवाल है – कब जागेगी? और क्या तब, जब ये आग पूरे देश में फैल जाएगी?