प्रयागराज, 26 फरवरी 2025 – पवित्र नगरी प्रयागराज ने महाकुंभ मेले के साथ एक बार फिर हिन्दू आस्था का वैश्विक प्रदर्शन किया था। 45 दिनों तक चले इस आयोजन में लगभग 65 करोड़ श्रद्धालु, संत-महात्मा और तीर्थयात्रियों ने हिस्सा लिया था। इस दौरान संगम तट पर बना अस्थायी नगर जनसंख्या के मामले में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा “देश” बन गया था, जो केवल भारत और चीन से पीछे रहा। यह अद्भुत समागम न केवल धार्मिक उत्साह का प्रतीक था, बल्कि हिन्दू धर्म की एकता, अनुशासन, प्रबंधन और शक्ति का जीवंत प्रमाण भी प्रस्तुत करता था।
इस आयोजन का प्रबंधन हिन्दू समाज के अनुशासन और संगठन क्षमता का प्रमाण था। लगभग 250 वर्ग किलोमीटर में फैले इस अस्थायी नगर में 10,000 से अधिक आवास, 50,000 शौचालय और 1,500 किलोमीटर सड़कें बनाई गई थीं। स्वच्छता के लिए 20,000 से अधिक कर्मचारी और स्वयंसेवकों ने दिन-रात काम किया था, जिससे यह क्षेत्र लाखों लोगों की भीड़ के बावजूद स्वच्छ रहा। स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए 100 अस्थायी अस्पताल और 500 से अधिक चिकित्सा दल तैनात थे, जिन्होंने आपात स्थितियों में त्वरित सहायता प्रदान की। यह प्रबंधन न केवल तकनीकी दक्षता का परिचय देता था, बल्कि हिन्दू समाज की सेवा भावना को भी उजागर करता था।
प्रयागराज महाकुंभ ने हिन्दू धर्म की शक्ति को विश्व पटल पर स्थापित किया। यहाँ का अनुशासन देखते ही बनता था—लाखों लोग बिना किसी अव्यवस्था के स्नान, पूजा और दर्शन के लिए कतारों में खड़े रहे। यहाँ का आतिथ्य, जिसमें स्थानीय लोगों ने तीर्थयात्रियों को भोजन और सहायता प्रदान की, हिन्दू धर्म की उदारता का प्रतीक था।
प्रयागराज में महाकुंभ, जो हर 144 साल में सबसे भव्य रूप
हर 12 साल में होने वाला महाकुंभ, जो हर 144 साल में अपने सबसे भव्य रूप में सामने आता था, हिन्दू धर्म की अडिग आस्था का प्रतीक बनकर उभरा। प्रशासन के अनुसार, प्रमुख स्नान पर्वों पर प्रतिदिन 1.5 से 2 करोड़ लोगों ने संगम में डुबकी लगाई थी। गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम पर लाखों श्रद्धालुओं का जमावड़ा हिन्दू एकता का अनुपम उदाहरण था। विभिन्न संप्रदायों, जातियों और क्षेत्रों के लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ आए, जिसने हिन्दू धर्म की विविधता में एकता को साकार किया। यहाँ संतों के प्रवचन, भक्ति संगीत और धार्मिक अनुष्ठानों ने आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया था।
प्रयागराज में महाकुंभ 2025 ने सिद्ध कर दिया कि हिन्दू धर्म केवल एक आस्था नहीं, बल्कि एक जीवन शैली है जो एकता, अनुशासन और शक्ति से परिपूर्ण है। यह आयोजन विश्व भर में अपनी अमिट छाप छोड़ गया, और यह दिखाया कि हिन्दू संस्कृति की यह विरासत न केवल पीढ़ियों से चली आ रही है, बल्कि आने वाले समय में भी अपनी प्रासंगिकता बनाए रखेगी।