Kargil Vijay diwas : भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम की अनेक कहानियाँ दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। इनमें से एक है 1999 की करगिल युद्ध की गाथा। इस युद्ध में भारतीय जवानों ने 18 हजार फीट की ऊँचाई और -10 डिग्री सेल्सियस के कड़कड़ाते ठंड में अपनी वीरता दिखाई। करगिल युद्ध लगभग दो महीने चला और इस दौरान भारतीय सेना ने अपने अदम्य साहस और बहादुरी से पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ते हुए दुर्गम चोटियों पर तिरंगा फहराया।
Kargil Vijay diwas
26 जुलाई 1999 को करगिल युद्ध का समापन हुआ था, इसलिए हर साल 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल देश करगिल विजय दिवस की 24वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस खास मौके पर हम आपको बताते हैं करगिल युद्ध से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें जो हर भारतीय को जाननी चाहिए।
Facts about Kargil Vijay Diwas
– जम्मू-कश्मीर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हर साल भारी बर्फबारी होती है, जिससे पाकिस्तान और भारतीय दोनों सेनाएं अपनी पोस्ट छोड़कर निचले स्थानों पर चली जाती हैं। 1999 में भारतीय सेना ने भी यही किया, लेकिन पाकिस्तानी सेना ने अपनी पोस्ट नहीं छोड़ी। भारतीय सेना की अनुपस्थिति का लाभ उठाकर, पाकिस्तानी सेना ने भारतीय चोटियों की ओर बढ़ना शुरू कर दिया और चुपके से LOC पार करके लद्दाख के करगिल पर कब्जा कर लिया।
– पाकिस्तानी सेना ने Kargil के कई क्षेत्रों पर कब्जा जमा लिया था, लेकिन भारतीय सेना को इस बात की खबर नहीं थी। यह सूचना भारतीय सेना तक चरवाहों के माध्यम से पहुंची। फिर भी, भारतीय सेना को इस बात का अंदाजा नहीं था कि पाकिस्तान के सैकड़ों सैनिक पहले से ही करगिल में घुसपैठ कर चुके हैं।
– भारत और पाकिस्तान के बीच यह युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला। इस युद्ध में लगभग दो लाख सैनिकों ने हिस्सा लिया। भारतीय मिग-21, मिग-27 और मिराज-2000 लड़ाकू विमानों ने युद्ध में रॉकेट और मिसाइलों की बारिश की। भारी मात्रा में रॉकेट और बमों का प्रयोग किया गया, जिससे दुश्मन के हौसले पस्त हो गए।
– इस युद्ध में करीब दो लाख पचास हजार गोले, बम और रॉकेट दागे गए थे। प्रतिदिन करीब 5 हजार तोपखाने के गोले, मोर्टार बम और रॉकेट, 300 बंदूकें, मोर्टार और MBRL से दागे जाते थे। कहा जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह एकमात्र ऐसा युद्ध था जिसमें दुश्मन सेना पर इतनी बड़ी संख्या में बमबारी की गई थी।
करगिल युद्ध के दौरान, भारतीय नौसेना ने पाकिस्तानी बंदरगाहों, विशेष रूप से कराची की नाकाबंदी करने के लिए ऑपरेशन तलवार शुरू किया। इसका उद्देश्य तेल और ईंधन की आपूर्ति को रोकना था, ताकि पाकिस्तानी सेना की गतिविधियाँ ठप हो जाएँ।
-उस समय भारत के पराक्रम को देखकर पाकिस्तान घबरा गया और उसने अमेरिका से मदद करने की अपील की। लेकिन अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने इस अनुरोध को मना कर दिया।
14 जुलाई 1999 को दोनों देशों ने करगिल पर अपनी कार्यवाही तकरीबन समाप्त कर दी फिर इसके बाद, 26 जुलाई को भारत और पाकिस्तान के बीच समझौता हुआ, जिससे करगिल युद्ध में भारत की विजय की आधिकारिक घोषणा की गई। तब से हर साल 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है।