Women’s Equality Day : हर साल 26 अगस्त को महिला समानता दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में महिलाओं की स्थिति को मजबूत करना और उन्हें समाज के हर क्षेत्र में पुरुषों के समान अधिकार और सम्मान दिलाना है। इस दिन को मनाने की शुरुआत अमेरिका में हुई थी, लेकिन अब भारत सहित कई देशों में इसे मनाया जाता है।
Women’s Equality Day
महिला समानता दिवस नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है और इस दिन महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाता है। भारत एक पुरुष प्रधान देश होने के बावजूद, यहां महिलाओं को कुछ अधिकार मिले हैं जो उन्हें समान दर्जा देने की दिशा में कदम बढ़ाते हैं। भारतीय महिलाओं की स्थिति कई देशों की तुलना में बेहतर है, और वे शिक्षा, ऑफिस कामकाज, और सुरक्षा जैसे कई क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं।
भारतीय संविधान और कानून ने महिलाओं को कई अधिकार दिए हैं, जो उन्हें सशक्त बनाते हैं। इन अधिकारों के माध्यम से महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक स्तर पर समान अवसर प्राप्त होते हैं।
भारत में महिला अधिकार
1- समान वेतन अधिकार ( Equal Pay Rights)
इस कानून के तहत किसी भी कामकाजी महिला को पुरुषों के समान वेतन मिलने का अधिकार है। यानी, किसी भी पद पर कार्यरत पुरुष और महिला के वेतन में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। पुरुषों और महिलाओं को समान काम के लिए समान वेतन दिया जाएगा।
2- मातृत्व लाभ कानून ( Maternity Benefits Law)
1961 में लागू हुए इस एक्ट के तहत, कामकाजी महिलाओं को मां बनने पर 6 महीने की मातृत्व छुट्टी का अधिकार मिलता है। इस दौरान, कंपनी महिला कर्मचारी के वेतन में कोई कटौती नहीं कर सकती और न ही उसे नौकरी से निकाला जा सकता है। गर्भवती महिलाओं को पूरी तरह से सुरक्षित मातृत्व लाभ प्रदान किए जाते हैं।
3- संपत्ति का अधिकार ( Property Rights)
भारत में बेटों को परिवार का वंश माना जाता है, लेकिन हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार, पिता की संपत्ति या पुस्तैनी संपत्ति पर बेटे और बेटी दोनों का समान अधिकार है। इसका मतलब है कि बेटी को भी पिता की संपत्ति पर उतना ही हक है जितना बेटे को।
4- रात में महिला की गिरफ्तारी नहीं ( No arrest of women at night)
महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून में यह प्रावधान है कि किसी महिला आरोपी को सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। हालांकि, पहले श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश से यह गिरफ्तारी संभव है। इसके अलावा, महिला से पूछताछ के दौरान महिला कांस्टेबल की मौजूदगी आवश्यक है।
5-पहचान जाहिर न करने का अधिकार ( Right to not disclose identity)
कानून महिला की निजता की सुरक्षा करता है। अगर कोई महिला यौन उत्पीड़न का शिकार होती है, तो वह अपनी पहचान छिपा सकती है और सिर्फ जिला मजिस्ट्रेट या महिला पुलिस अधिकारी के सामने अपना बयान दे सकती है।