मातृभाषा

Mother Language Day : मातृभाषा, मानव समाज की सबसे महत्वपूर्ण पहलू है जो हमें एक-दूसरे से जोड़ती है और हमारी भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने का माध्यम है। भाषा ही वह रास्ता है जिससे हम अपनी भावनाएं और अनुभूतियां के साथ एक दूसरे से बिचार साझा कर सकते हैं। अगर हम इस माध्यम के बिना सोचें, तो हमारी जिन्दगी बिना अर्थ और रूखी-सूखी रह जाए।

भाषा का महत्व सिर्फ संविदानिक ही नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं का भी व्यापक स्वरूप है। एक व्यक्ति की मातृभाषा, उसकी पहचान और सांस्कृतिक समृद्धि का स्रोत होती है। यही कारण है कि हर वर्ग, हर क्षेत्र, और हर समुदाय में भाषा को समझने और समर्थन करने का महत्व बढ़ता जा रहा है।

मातृभाषा का महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि सबसे पहले हम वह भाषा सीखते हैं जो हमारे परिवार में बोली जाती है। यह हमें समाज में मिली शिक्षा की अवस्था से पहले ही एक स्थिर और सुरक्षित भाषा में करीबन तीन वर्ष की आयु में प्रारंभ करता है। मातृभाषा हमारे मानविकी और सांस्कृतिक समर्पण का प्रतीक है, और इसका अध्ययन करने से हम अपनी विरासत को समझते हैं और उसे आगे बढ़ाते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का महत्वपूर्ण संकेत है कि हमें अपनी भाषा को सजीव रूप से बचाए रखने का आदर करना चाहिए। इस दिन को मनाने से हम अपनी मातृभाषा के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हैं और उसे बचाए रखने का संकल्प करते हैं।

भारत में विभिन्न समृद्धि और विविधता के साथ कई भाषाएं बोली जाती हैं, और इसका गर्व और सम्मान बढ़ाया जाना चाहिए। यह एक सामूहिक समृद्धि का प्रतीक है कि भारतीय सामाजिक संरचना में भाषाओं का महत्वपूर्ण स्थान है।

विश्व में 121 भाषाएं और 270 मातृभाषाएं हैं जो बोली जाती हैं इसे भाषा की विविधता विश्व को रंग-बिरंगा बनाती है और हर भाषा एक अलग सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।

भारत में मातृभाषा की स्थिति

मातृभाषा

भारतीय संविधान ने 22 भाषाओं को मान्यता दी है जो आधिकारिक रूप से समाज में उपयोग होती हैं। इनमें हिंदी, बंगाली, तेलुगु, मराठी, तमिल, उर्दू, गुजराती, कन्नड़, ओडिया, पंजाबी, मलयालम, असमिया, राजस्थानी, हरियाणवी, बोडो, डोगरी, नेपाली, कोंकणी, मैथिली, भोजपुरी, और संथाली शामिल हैं।

इन भाषाओं में से हर एक का अपना विशेष महत्व है और वे अपनी भाषा और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के माध्यम से अपनी अनूठी पहचान बनाए रखने के लिए लड़ रही हैं।

भाषा की रक्षा और उसका संरक्षण करना हम सभी की जिम्मेदारी है। विभिन्न भाषाएं हमें एक-दूसरे के साथ मेलजोल बनाए रखने में मदद करती हैं और सामाजिक समृद्धि को बढ़ावा देती हैं।

अंत में, इस अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर हमें यह याद रखना चाहिए कि हमारी भाषा हमारी पहचान का हिस्सा है और हमें इसे समृद्धि और समाज के विकास का सहारा बनाए रखना चाहिए। इसके लिए हमें अपनी मातृभाषा के प्रति सम्मान और संरक्षण का संकल्प लेना चाहिए ताकि हमारी भाषाएं हमें हमेशा एक सजीव और सकारात्मक संबंध में जोड़ती रहें।

 

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