G-20 शिखर सम्मेलन का आगाज हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 की शुरुआत होने से पहले मोरक्को में आए भूकंप में हुई कई लोगों की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भारत हर संभव मदद करने के लिए तैयार है।
आप को बता दें कि 10 सितंबर तक चलने वाले इस समिट के लिए देश की राजधानी पूरी तरह से तैयार है। दिल्ली को दुल्हन की तरह सजाया गया है और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। मेहमानों के स्वागत और उनकी सुरक्षा के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं। इस खास सम्मेलन के दौरान दुनियाभर की नजरें भारत की ओर रहेंगी।
वहीं, G-20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते गुरुवार (8 सितंबर) को भी विभिन्न देशों के जनप्रतिनिधियों के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी। PM नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, मॉरीशस के पीएम प्रविंद कुमार जुगनाथ के साथ द्विपक्षीय वार्ता में शामिल हुए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान अपने संबोधन में कहा, “भारत की G-20 की अध्यक्षता देश के अंदर और बाहर दोनों जगह समावेशन, सबका साथ का प्रतीक बन गई है। यह भारत में लोगों का जी20 बन गया है। करोड़ों भारतीय इससे जुड़े हुए हैं। 60 से अधिक शहरों में देश की 200 से अधिक बैठकें हो चुकी हैं। सबका साथ की भावना के साथ भारत ने प्रस्ताव दिया था कि अफ्रीकी संघ को जी20 की स्थायी सदस्यता दी जाए। मेरा मानना है कि हम सभी इस प्रस्ताव से सहमत हैं।”
G -20 शिखर सम्मेलन बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 21वीं सदी दुनिया को नई दिशा दिखाने का महत्वपूर्ण समय है। यह वह समय है जब पुरानी समस्याएं हमसे नए समाधान तलाश रही हैं और इसलिए हमें मानव-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए आगे बढ़ना चाहिए… अगर हम कोविड-19 को हरा सकते हैं, तो हम युद्ध के कारण उत्पन्न विश्वास की कमी पर भी विजय पा सकते हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “आज, जी 20 के अध्यक्ष के रूप में, भारत दुनिया से वैश्विक विश्वास की कमी को विश्वास और निर्भरता में बदलने का आह्वान करता है। यह हम सभी के लिए एक साथ आगे बढ़ने का समय है।”
उन्होंने आगे कहा की, इस बार सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास का मंत्र हमारे लिए पथ प्रदर्शक बन सकता है। चाहे वह उत्तर और दक्षिण के बीच विभाजन हो, पूर्व और पश्चिम के बीच की दूरी हो, भोजन और ईंधन का प्रबंधन हो, आतंकवाद हो, साइबर सुरक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा या जल सुरक्षा, हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए इसका ठोस समाधान ढूंढना होगा।