एवीएन न्यूज डेस्क नई दिल्ली: राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए 199 सीटों पर कल वोटिंग पूरी हो गई है. भारतीय चुनाव आयोग के मुताबिक, इस बार 0.9 फीसदी अधिक वोटिंग हुई है. राज्य में कुल 74.96 प्रतिशत वोटिंग यानी मतदान हुई है. सूबे यानी राज्य में वोटिंग प्रतिशत कम होने या बढ़ने का एक ट्रेंड चलता रहा है. हर बार वोटिंग प्रतिशत बढ़ने का लाभ बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) को मिला है और घटने का लाभ हमेशा कांग्रेस को मिला है. इस बार के बढ़े प्रतिशत के क्या कुछ मायने होंगे इस बारे में चलिए हम आपको विस्तार यानी डीटेल्स से बताते हैं.
राजस्थान में बीते 5 सालों के रिकॉर्ड को देखें तो हर पांच साल में सरकार बदलने का रिवाज सा चला आ रहा है. पिछले 20 साल का वोटिंग यानी मतदान ट्रेंड यह भी कहता है कि जब भी मतदान प्रतिशत घटा है तो इसका सीधा लाभ कांग्रेस पार्टी को मिला है, जबकि वोटिंग अधिक होती है तो इसका लाभ बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) को मिलता है. 3 दिसंबर को चुनाव के नतीजे का इंतजार सभी को है. इसमें पुराने ट्रेंड के बरकरार रहने अथवा बदलने की स्थिति सब स्पष्ट हो जाएगी. हालांकि चुनाव के बाद सूबे यानी राज्य के रिवाज की चर्चा तेज हो गई है. राजनेतिक जानकार द्वारा दावा किया जा रहा है कि अधिक वोटिंग का लाभ बीजेपी को हो सकता है.
जब-जब मतदान बढ़ा तब-तब बीजेपी की ही सरकार
राजस्थान का 20 सालों का चुनावी इतिहास कहता है कि विधानसभा चुनाव में अगर मतदान प्रतिशत कम हुआ है तो कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी है. साल 1998 के चुनाव में 63.39 फीसदी वोटिंग हुई थी और कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी थी. अशोक गहलोत पहली बार मुख्यमंत्री बने थे. उसके बाद 2003 के विधान सभा चुनाव में 3.79 फीसदी वोटिंग बढ़ी थी. 67.18 फीसदी मतदान हुआ और बीजेपी यानी भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी. तब वसुंधरा राजे पहली बार सूबे यानी राज्य में मुख्यमंत्री बनीं थीं. राज्य में 2008 में 66.25 प्रतिशत वोटिंग हुई और कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी. तब राज्य में मतदान प्रतिशत 0.93 फीसदी घट गया था. अशोक गहलोत दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे.
2013 के विधान सभा चुनाव में एक बार फिर 8.79 फीसदी मतदान अधिक हुआ है और बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) की सरकार बनी. वसुंधरा राजे दूसरी बार सूबे में मुख्यमंत्री बनीं थीं. 2018 के चुनाव में 0.98 प्रतिशत कम वोटिंग यानी मतदान हुई. कुल 74.06 प्रतिशत मतदान हुआ था. सूबे में सत्ता का उलटफेर हुआ और कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी. अब एक बार फिर वोटिंग यानी मतदान प्रतिशत बढ़ गया है. तो क्या BJP (भारतीय जनता पार्टी) की सरकार बनेगी? यह तीन दिसंबर को साफ हो सकेगा.
कहां हुई कितनी वोटिंग (मतदान)
इस बार राजस्थान में सबसे ज्यादा मतदान (वोटिंग) जैसलमेर में 82.32 प्रतिशत हुआ है. उसके बाद प्रतापगढ़ में 82.07 फीसदी मतदान हुआ, बांसवाड़ा में 81.36 फीसदी और हनुमानगढ़ में 81.30 प्रतिशत मतदान हुई है. राज्य में सबसे कम मतदान पाली में 65.12 प्रतिशत ही हुआ है.
200 सीटों के बजाय 199 पर हुई है मतदान
राजस्थान में कुल 200 विधान सभा सीटें हैं, लेकिन चुनाव के बीच श्रीगंगानगर जिले की करणपुर सीट से कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार गुरमीत सिंह कूनर (75 साल) का निधन हो गया है. इसकी वजह से केवल 199 सीटों पर ही वोटिंग यानी मतदान हो पाई है. 2013 और 2018 में भी 199 सीटों पर वोटिंग मतदान हुई थी. अब चुनाव के नतीजे पर सबकी निगाहें टिक गई हैं. खासतौर पर सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया, केंद्रीय मंत्री राज्य वर्धन सिंह राठौर के चुनाव नतीजे क्या होंगे, इस पर भी सबकी नजरें बनी हुई हैं.