बिहार के जमुई जिले के गिद्धौर प्रखंड से होकर गुजरने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-333) अब जानलेवा साबित हो रहा है। इस सड़क पर तेज रफ्तार और बेकाबू भारी वाहनों के कारण लगातार सड़क हादसे हो रहे हैं। सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि इन हादसों का शिकार मासूम बच्चे और स्थानीय लोग हो रहे हैं।

बिहार के जमुई जिले के गिद्धौर में बेकाबू रफ्तार का आतंक

गिद्धौर प्रखंड के कई गांवों से होकर गुजरने वाला यह हाइवे अब दुर्घटनाओं का अड्डा बन चुका है। आए दिन बड़े ट्रक, डंपर, और अन्य भारी वाहन तेज रफ्तार में दौड़ते हैं, जिससे सड़क पर चलने वाले आम लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ जाती है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि ड्राइवर अक्सर नियमों का उल्लंघन करते हैं, ओवरलोड गाड़ियां सड़क पर दौड़ती हैं, और कहीं भी अचानक से ब्रेक मार देते हैं। कई बार शराब के नशे में भी गाड़ी चलाने की घटनाएं सामने आई हैं। इन सबका खामियाजा निर्दोष राहगीरों को भुगतना पड़ता है।

मासूमों की मौत से मातम

मिली जानकारी के अनुसार, मृतक बच्चे की पहचान झाझा थाना क्षेत्र के करहरा भेलविंदा गांव निवासी राजेश यादव के 10 वर्षीय पुत्र शुभम कुमार के रूप में हुई है. इधर घटना के बाद उक्त घटना स्थल पर ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गयी. वहीं सड़क दुर्घटना की भनक मिलते ही गिद्धौर पुलिस मौके पर पहुंची और मौके से ट्रक और चालक को कब्जे में ले लिया. वही पुलिस मामले की छानबीन में जुट गयी है.

मृतक के पिता ने बताया…

इधर घटना के बाद गिद्धौर थाना पुलिस के अपर निरिक्षक अनुज कुमार, रंजीत कुमार, पंकज कुमार घटना स्थल पर आकर इस हादसे की जांच की है. घटना को लेकर मृतक शिवम के पिता राजेश कुमार यादव ने बताया है कि वो अपने बाइक से झाझा भेलविंदा करहरा से खैरा थाना क्षेत्र के झुंडों अपने एक रिश्तेदार के यहां जा रहे थे. और इसी दौरान अनियंत्रित ट्रक वाहन ने उनकी बाइक में ठोकर मारते हुए मेरे बच्चे शुभम को रौंद डाला जिससे उसकी घटना स्थल पर ही मौत हो गयी और वो किसी तरह से बाल-बाल बच गए हैं.

गिद्धौर

वही बीते कुछ महीनों में NH-333 पर कई दर्दनाक सड़क हादसे हो चुके हैं, जिनमें कई मासूमों की जान चली गई। स्कूल से घर लौटते समय बच्चे दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं, तो कभी सुबह-शाम सड़क पार करते वक्त लोग कुचल दिए जाते हैं।

स्थानीय लोगों में इसको लेकर भारी गुस्सा है। उनका कहना है कि प्रशासन की लापरवाही और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी के कारण यह सड़क अब मौत का जाल बन चुकी है।

प्रशासन और सरकार की चुप्पी

लोगों का आरोप है कि कई बार प्रशासन से स्पीड ब्रेकर लगाने और ट्रैफिक नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। नतीजा यह है कि हादसों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा।

स्थानीय लोगों की मांग

गिद्धौर के लोगों ने प्रशासन से कुछ जरूरी कदम उठाने की अपील की है—

स्पीड ब्रेकर लगाया जाए – खासकर स्कूलों, बाजारों और रिहायशी इलाकों के पास।

सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं – ताकि ट्रैफिक नियमों का पालन कराया जा सके।

तेज रफ्तार गाड़ियों पर सख्ती हो – ट्रैफिक पुलिस की तैनाती बढ़ाई जाए और ओवरस्पीडिंग पर भारी जुर्माना लगाया जाए।

ट्रकों और भारी वाहनों के लिए वैकल्पिक मार्ग – ताकि स्थानीय सड़कों पर इनका आवागमन कम हो।

“हमें सुरक्षित सड़क चाहिए, मौत का हाईवे नहीं!”

NH-333 अब सिर्फ एक सड़क नहीं, बल्कि एक ऐसी जगह बन चुकी है जहां हर रोज मौत मंडराती रहती है। अगर जल्द ही प्रशासन और सरकार की नींद नहीं खुली, तो यह लापरवाही और भी कई मासूमों की जान ले सकती है। गिद्धौर के लोगों की यही अपील है – “हमें सुरक्षित सड़क चाहिए, मौत का हाईवे नहीं!”

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