New India Bank Scam: न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में कथित अनियमितताओं के चलते जांच शुरू हो गई है। आज मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा यूनिट (EOW) ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व जीएम को गिरफ्तार कर लिया है। पूर्व जीएम को हितेश मेहता को EOW ने नोटिस देकर बुलाया था और आज पहुंचे हितेश से लंबी पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
ईओडब्ल्यू ने हितेश मेहता के दहिसर स्थित आवास पर भी छापा मारा और कुछ दस्तावेज जब्त किए। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा कथित वित्तीय अनियमितताओं के चलते बैंक पर प्रतिबंध लगाए जाने के दो दिन बाद मेहता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने बताया कि बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवर्षि शिशिर कुमार घोष (48) ने मेहता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
पुलिस ने दर्ज की है शिकायत न्यू इंडिया के अधिकारी पर
पुलिस ने बताया कि बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवर्षि शिशिर कुमार घोष (48) ने मेहता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में घोष ने कहा कि मेहता और उनके साथी न्यू बैंक के भरोसेमंद कर्मचारी थे और बैंक के प्रभादेवी और गोरेगांव कार्यालयों में मौजूद तिजोरियों में रखी नकदी उनकी सुरक्षा में थी लेकिन दोनों ने कथित तौर पर आपराधिक साजिश रची और करीब 122 करोड़ रुपये का गबन किया।
बता दें कि शुक्रवार को हजारों की संख्या में घबराए हुए ग्राहक न्यू बैंक की शाखाओं के सामने कतारों में खड़े हो गए थे, यह जानने के लिए कि क्या उनका पैसा सुरक्षित है और क्या वे उसे निकाल सकते हैं। आरबीआई के प्रतिबंधों के कारण बैंक को अपनी वित्तीय स्थिरता पर चिंताओं के कारण छह महीने तक नए ऋण जारी करने, निवेश करने, धन उधार लेने या निकासी की अनुमति नहीं है।
RBI ने लगाई कामकाज पर रोक
आरबीआई ने “खराब शासन मानकों” का हवाला देते हुए बैंक के निदेशक मंडल को 12 महीने के लिए भंग कर दिया। आरबीआई ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक श्रीकांत को बैंक के कामकाज के प्रबंधन के लिए प्रशासक नियुक्त किया है। आरबीआई ने कहा कि इसके अलावा उनकी सहायता के लिए सलाहकारों की एक समिति भी बनाई गई है।
आरबीआई ने घाटे में चल रहे बैंक को निर्देश दिया कि वह आरबीआई की लिखित अनुमति के बिना कोई भी ऋण या अग्रिम राशि न दे या उसका नवीनीकरण न करे, कोई भी निवेश न करे, धन उधार लेने और नई जमाराशि स्वीकार करने सहित कोई भी दायित्व न ले, अपनी देनदारियों और दायित्वों के निर्वहन के लिए कोई भी भुगतान न करे या भुगतान करने पर सहमत न हो।