जब हम बिहार की राजनीति में ईमानदारी, संघर्ष और जमीनी जुड़ाव की मिसाल ढूंढते हैं, तो मंगनी लाल मंडल का नाम खुद-ब-खुद सामने आ जाता है। एक ऐसा नाम जिसने गरीबी की छांव में जन्म लेकर मेहनत की धूप में तपकर खुद को इस मुकाम तक पहुँचाया, जहाँ वो आज राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के बिहार प्रदेश अध्यक्ष के रूप में एक नई जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
बिहार के गांव से राजधानी तक का सफर
मंगनी लाल मंडल का जन्म 1 जुलाई 1948 को मधुबनी जिले के फुलपरास प्रखंड के गोरगमा गांव में एक मजदूर परिवार में हुआ। उनके पिता मेहनतकश किसान थे, जो दूसरों के खेतों में मजदूरी कर अपने बच्चों का पेट पालते थे। बचपन से ही मंगनी लाल ने गरीबी की मार देखी – कभी स्कूल की फीस भरने को पैसे नहीं थे, तो कभी चप्पल भी टूटी होती थी। लेकिन आँखों में बड़ा सपना था – कुछ कर दिखाने का।
“गरीबी ने मुझे कमजोर नहीं बनाया, बल्कि मेरी ताकत बन गई” – मंगनी लाल मंडल
शिक्षा: भूख से बड़ी जिद
जहाँ दूसरे बच्चे खेलने में वक्त बिताते थे, मंगनी लाल स्कूल के बाद खेतों में मजदूरी करते थे। मधेपुरा कॉलेज से उन्होंने स्नातक किया, फिर धीरे-धीरे समाज सेवा की ओर रुख किया। वह कहते हैं –
“पढ़ाई करते वक्त कई बार भूखा सोना पड़ा, लेकिन किताबों का साथ नहीं छोड़ा।”
️ राजनीतिक संघर्ष की शुरुआत
उनकी राजनीति की शुरुआत छात्र जीवन से हुई, लेकिन असली पहचान तब मिली जब उन्होंने गरीबों, पिछड़ों और दलितों के लिए आवाज़ उठानी शुरू की। वह ना तो करोड़पति थे, ना ही किसी रसूखदार परिवार से आते थे। फिर भी लोगों ने उन्हें अपना नेता चुना, क्योंकि उनमें ‘हम’ जैसा कुछ था।
मंगनी लाल मंडल ने पहली बार 1990 के दशक में राजनीति में सक्रियता दिखाई।
वह झंझारपुर से सांसद रहे और जनता दल व राजद के समय से लालू यादव के बेहद करीबी बने।
2009 में मधेपुरा से लोकसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार का स्वाद चखा।
संसद में भूमिकाएँ
• 2004–2009: राज्यसभा सांसद (जेडीयू में रहते हुए)।
• 2009–2014: लोकसभा में झंझारपुर सांसद, 94% हाजिरी के साथ सक्रिय रहे
बिहार प्रदेश अध्यक्ष नियुक्ति
• 14 जून 2025: उन्होंने आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरा।
• 15 जून 2025: निर्विरोध निर्वाचित घोषित, क्योंकि कोई अन्य प्रत्याशी शामिल नहीं हुआ।
• 19 जून 2025 को उनकी औपचारिक ताजपोशी ग्यान भवन, पटना में होगी

हार उन्हें रोक नहीं सकी, बल्कि और मजबूत बना गई।
इस नियुक्ति को राजद द्वारा EBC (अति पिछड़ा वर्ग) की ओर से उनके प्रभाव वाले हिस्से को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, क्योंकि बिहार में EBC आबादी लगभग 36% है
रणनीतिक महत्व और व्यक्तित्व
• मिथिलांचल एवं कोसी क्षेत्र में उनकी गहरी पैठ है—यह क्षेत्र राजद के लिए महत्वपूर्ण है ।
• उन्होंने राजद में दोबारा शामिल होकर पार्टी की EBC–वोट बैंक को मजबूत करने का स्पष्ट संकेत दिया है
आज की भूमिका: बिहार प्रदेश अध्यक्ष
आज जब उन्हें राष्ट्रीय जनता दल का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है, तो यह सिर्फ एक पद नहीं, बल्कि एक संघर्षशील आत्मा की जीत है। लालू यादव ने एक बार कहा था –
“मंगनी लाल जैसे सच्चे कार्यकर्ता ही पार्टी की असली ताकत होते हैं।”
उनके अध्यक्ष बनने से निचले तबके और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में उत्साह है, क्योंकि वो मानते हैं –
“अब उनकी बात ऊपर तक पहुंचेगी।”
कुछ अहम आंकड़े और तथ्य
30+ वर्षों का सक्रिय राजनीतिक अनुभव
2 बार लोकसभा का चुनाव लड़ा
1 लाख+ युवाओं को रोजगार और स्कॉलरशिप दिलाने में मदद की
मधेपुरा और सीमांचल क्षेत्र के कई गांवों में सड़क, बिजली और शिक्षा के लिए लड़ाई लड़ी
पार्टी परिवर्तन
• 2019 में टिकट न मिलने से नाराज़ होकर आरजेडी छोड़कर जेडीयू में शामिल हुए।
• जनवरी 2025 में वापस आरजेडी में लौटे—उनकी वापसी पर तीव्र स्वागत हुआ
इमोशनल पहलू: पारिवारिक त्याग
राजनीति की व्यस्तता के बीच उनका परिवार भी कई बार पीछे छूट गया। उन्होंने अपने बेटे की बीमारी के समय भी पार्टी मीटिंग को प्राथमिकता दी। एक बार उन्होंने खुद कहा था –
“मैं अपने बेटे की आँखों में आँसू देखकर भी गांव के बच्चों की पढ़ाई के लिए दिल्ली में चंदा माँगने गया था।”
बिहार के वो नेता जो आज भी चप्पल पहनते हैं
मंगनी लाल मंडल की कहानी सिर्फ एक नेता की नहीं, एक ऐसे इंसान की है जिसने भूख, हार, तिरस्कार सब देखा, लेकिन कभी झुके नहीं। उनकी सादगी, सच्चाई और संघर्ष आज के नेताओं के लिए मिसाल है।
“नेता वो नहीं जो कुर्सी पर बैठे, नेता वो जो लोगों के दिलों में जगह बनाए – और मंगनी लाल मंडल वही हैं।”