झारखंड की लाल मिट्टी… जहां की हवा में महुए की खुशबू और खेतों में मेहनत की महक घुली होती है। इसी मिट्टी में एक ऐसा बेटा पैदा हुआ, जिसने अपनी जिंदगी के हर सांस को अपने लोगों के हक की लड़ाई में लगा दिया। यह कहानी है शिबू सोरेन, यानी “दिशोम गुरु” की, और उससे भी पहले उनके पिता सोना सोरेन जी की, जिनके बलिदान ने इस कहानी की नींव रखी।

पिता का सपना और बलिदान

साल था आज़ादी के शुरुआती दिन। अंग्रेज चले गए थे, लेकिन गरीब-आदिवासी की ज़िंदगी में ज्यादा बदलाव नहीं आया था। बड़े-बड़े ज़मींदार, ठेकेदार और साहूकार गरीबों की जमीन हड़प रहे थे। इस अन्याय के खिलाफ खड़े हुए थे सोना सोरेन।

क्रांतिकारी सोना सोरेन जी न डरते थे, न झुकते थे। गांव में उनके नाम से ही जुल्म करने वालों के पसीने छूट जाते थे। लेकिन सच बोलना आसान नहीं होता… एक दिन साजिशन उन्हें जहर दे दिया गया। पिता की मौत के बाद सिर्फ 8 साल के शिबू सोरेन, मां की गोद में रोते-रोते यह कसम खा चुका था—

बाबा, आपकी लड़ाई मैं पूरी करूंगा… चाहे जान भी क्यों न चली जाए।

गरीबी, भूख और हिम्मत

पिता के जाने के बाद घर में भूख ने डेरा डाल लिया। खेत बंजर थे, घर में अनाज का दाना नहीं। दिशोम गुरु शिबू सोरेन पढ़ाई करते, लेकिन साथ में खेत में हल भी चालते और दूसरों के यहां मजदूरी भी। कई दिन ऐसे बीते जब घर में चूल्हा नहीं जला। लेकिन इन दुखों ने उसे कमजोर नहीं किया। उन्होंने गांव-गांव घूमकर अपने लोगों के दर्द सुने—कहीं कर्ज में डूबे किसान थे, कहीं मजदूरी के पैसे तक न मिलने वाले खनिक, और कहीं शराब के जाल में फंसे नौजवान। शिबू ने ठान लिया, अब बदलाव लाना ही पड़ेगा।

आंदोलन का बिगुल

यही से शुरू हुआ असली सफर। शिबू सोरेन जी ने आदिवासियों को संगठित करना शुरू किया और झारखंड मुक्ति मोर्चा का झंडा उठाया। कोयला खदानों में मजदूरों के हक, विस्थापितों को जमीन और मुआवजा, और गांवों में शराबबंदी जैसे मुद्दों पर जबरदस्त आंदोलन छेड़े। सत्ता और सिस्टम दोनों ने उन्हें दबाने की कोशिश की, लेकिन दिशोम गुरु कहते थे —

हम लड़ाई हार सकते हैं, लेकिन हार मान नहीं सकते।

 

झारखंड
दिशोम गुरु सीबू सोरेन जी की पूरानी तस्वीर

झारखंड राज्य – सपना साकार

दशकों की लड़ाई के बाद साल 2000 में झारखंड का गठन हुआ। वह दिन था, जब पिता की आत्मा को भी चैन मिला होगा। लेकिन दिशोम गुरु शिबू सोरेन की लड़ाई खत्म नहीं हुई थी—अब उनके सामने चुनौती थी अपने लोगों के सपनों का झारखंड बनाना।

मुख्यमंत्री की कुर्सी और लोगों का भरोसा

संघर्ष और जनसेवा की ताकत से दिशोम गुरु शिबू सोरेन कई बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने। सत्ता उनके लिए कुर्सी नहीं, बल्कि सेवा का साधन थी। वह जानते थे कि मुख्यमंत्री की कुर्सी सिर्फ इसलिए मिली है ताकि वह उस बच्चे की कसमें पूरी कर सकें, जिसने 8 साल की उम्र में अपने पिता की लाश के सामने बैठकर बदलाव की ठानी थी।

आज की पीढ़ी के लिए सबक

दिशोम गुरु शिबू सोरेन की जिंदगी सिखाती है कि गरीबी, दर्द और अकेलापन अगर इंसान को तोड़ते हैं, तो वही चीजें उसे नायक भी बना सकती हैं—बस इरादे मजबूत होने चाहिए।

दिशोम गुरु की कहानी सिर्फ एक नेता की कहानी नहीं, बल्कि एक बेटे की प्रतिज्ञा, एक पिता का सपना और एक मिट्टी की जिद है, जो कभी हार मानना नहीं जानती।

राजद के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलने पहुंचे उनके पैतृक गांव

आज राजद के वरिष्ठ नेता और बिहार विधानसभा के पूर्व स्पीकर माननीय उदय नारायण चौधरी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलने उनके पैतृक गांव रामगढ़ के नेमरा में स्थित आवास पहुंचे , इस दुख की घड़ी में ढांढस बंधाया।

उदय नारायण चौधरी जी ने कहा कि दिशोम गुरु सीबू सोरेन जी सिर्फ एक नेता नहीं थे, बल्कि वह संघर्ष, त्याग और जमीन से जुड़ी राजनीति के जीते-जागते प्रतीक थे। उन्होंने हमेशा आदिवासी, गरीब और वंचित समाज की आवाज़ को न सिर्फ उठाया, बल्कि उनके अधिकारों की लड़ाई को अपना जीवन बना लिया।

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उदय नारायण चौधरी जी सीएम हेमंत सोरेन से राजद नेताओं का परिचय करवाते हुए

 

उन्होंने याद करते हुए कहा—दिशोम गुरु का व्यक्तित्व ऐसा था जो हर किसी को अपना बना लेता था। उनका सादा जीवन, मजबूत विचार और न्याय के लिए अडिग रुख, आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा रहेगा।”

हेमंत सोरेन से मुलाकात के दौरान चौधरी जी ने उन्हें आश्वासन दिया कि इस कठिन समय में पूरा बिहार राजद परिवार और लालू प्रसाद यादव, पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और पूरा देश उनके साथ खड़ा है। उन्होंने दिशोम गुरु सीबू सोरेन जी के योगदान को नमन करते हुए कहा कि उनका जाना सिर्फ झारखंड ही नहीं, बल्कि पूरे देश की राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति है।

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सीएम हेमंत सोरेन को ढाढस बढ़ाते हुए पूर्व बिहार विधानसभा स्पीकर उदय नारायण चौधरी

आप को ही दिशोम गुरु सीबू सोरेन जी के अधूरे सपने को पूरा करना है और आदिवासी समाज,शोषित, वंचितों का आवाज़ उठाना है और सामंतवादियों से लड़ना है और उनके हितों की रक्षा करना है । पूर्व स्पीकर बिहार विधानसभा माननीय उदय नारायण चौधरी जी के साथ राजद के वरिष्ठ नेता जय नारायण राव, पूर्व मंत्री झारखंड सरकार सुधा चौधरी जी, राजद जिला प्रधान महासचिव अजय कुमार दांगी, जिला अध्यक्ष टेकारी संगठन सुभाष यादव, राजद नेता मुरारी यादव सहित तमाम राजद नेता पहुंचे और दिशोम गुरु सीबू सोरेन जी को श्रंद्धाजलि अर्पित किया।

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पूर्व स्पीकर बिहार विधानसभा उदय नारायण चौधरी जी और पूर्व मंत्री झारखंड सरकार सुधा चौधरी श्रद्धांजली अर्पित करते हुए

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