Complete ban on liquor in Bihar: बिहार में शराबबंदी है ? ये सुनने में बहुत अच्छा लगता है, मगर क्या बिहार में ऐसा है, बिहार में एक बार फिर से जहरीली शराब की वजह से कई घरों में मातम पसर गया है. छपरा और सिवान में जहरीली शराब पीने से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 29 तक पहुंच गई है. वहीं, कुछ के तो आंखों की रोशनी चली गई है. सारण और सिवान जिले के इन इलाके में ये मौतें हुई हैं. यहां के हर पंचायत में मातम पसरा है. कई घरों के दरवाजे पर शव रखा है, बच्चों की चीख और महिलाओं का रुदन है. जब एवीएन न्यूज़ के रिपोर्टर ग्राउंड जीरो पर मौजूद है. ओर सिवान जिले के खैरा गांव में एक साथ 7 लोगों की मौत हुई है. गांव के हर तीसरे घर में चीखपुकार है. शव पर महिलाएं दहाड़ मार रही हैं तो बच्चे दहाड़ मार मार कर रो रहे हैं. इस रूदन-क्रंदन के बीच शराबबंदी अब समाप्त कर दिये जाने की सियासी मांग खूब होने लगी है.

बिहार में लगभग आठ साल से शराबबंदी है. लेकिन गांव-गांव में शराब धड़ल्ले से मिलती है और हर महीने किसी न किसी जिले में जहरीली शराब कहर बरपाती और किसी का बेटा, किसी का भाई किसी का सुहाग ओर किसी के घर का लाल यू ही दुनिया छोड़ देता है. वही स्थानीय प्रशासन मौतों का आंकड़ा छिपाने के लिए शव को चुपचाप जला देने की फिराक में लग जाती है और यहां भी वैसा ही प्रतीत हो रहा है.

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बिहार में शराबबंदी की जमीनी सच्चाई क्या है, यह बताने के लिय इस समय वर्तमान स्थिति ही काफी है. आज एक साथ एक बार में 6 शव जलाए गए थे. जहरीली शराब पीने से ही इन सबकी मौत हुई है. इसी इलाके में 2022 में भी जहरीली शराब पीने से 72 लोगों की मौत हो गई थी. तब खूब हंगामा बरपा, खूब छापेमारी हुई, लेकिन सबकुछ जस का तस है.

वही इलाका भी वही है. शराब माफिया भी सब वही हैं. कुछ भी नहीं बदला है. सिर्फ जहरीली शराब पीकर मरने वालों के नाम ही बदले गए हैं. वही कौडिया गांव में चार मौतें हुई हैं. गांव के एक घर के दरवाजे पर शव पड़ा हुआ है. बाहर पुरुष और अंदर महिलाएं चीत्कार लगा रही हैं. वही सारण के मशरख और सिवान के लगभग 16 गांवों की यही कहानी है. हर पंचायत के किसी न किसी गांव में दो से चार मौतें हुई हैं.

क्या हुई कार्रवाई?

मगहर, औरिया और इब्राहिमपुर क्षेत्रों के तीन चौकीदारों को निलंबित कर दिया गया है. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, स्थानीय पुलिस थाने के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी. 5 पुलिस अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है.

बिहार में शराब पर कब लगा था बैन?

नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने 5 अप्रैल 2016 को शराब की बिक्री और सेवन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, इसके बाद खुद बिहार सरकार ने भी स्वीकार किया था कि अप्रैल 2016 में राज्य में शराबबंदी लागू होने के बाद से अवैध शराब पीने से 150 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है.

सियासी बयानबाजी चरम पर

जहरीली शराब से मौत के तांडव पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संबंधित अधिकारियों को इसमें संलिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश तो दे दिया है. वहीं, विपक्षी दलों ने सरकार पर खूब सवाल उठाए हैं. गांव के लोगों ने बताया है कि मंगलवार की रात लोगों ने जहरीली शराब पी थी, जिसके बाद वे बीमार पड़ गए और फिर देखते ही देखते एक के बाद एक, लाशें मिलती चली गईं.

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बिहार सीएम नीतीश कुमार

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा, सरकार के संरक्षण में जहरीली शराब के कारण 29 लोगों की हत्या कर दी गयी है. दर्जनों की आंखों की रोशनी चली गई. बिहार में कथित शराबबंदी है लेकिन सत्ताधारी नेताओं, पुलिस और माफिया के गठजोड़ के कारण हर चौक-चौराहों पर शराब आसानी से उपलब्ध है.

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राजद नेता तेजस्वी यादव

उन्होंने कहा, अगर शराबबंदी के बावजूद हर चौक-चौराहे पर शराब आसानी से उपलब्ध है तो क्या यह गृह विभाग और मुख्यमंत्री की विफलता नहीं है? क्या मुख्यमंत्री जी होशमंद है? क्या मुख्यमंत्री ऐसी घटनाओं पर कार्रवाई करने और सोचने में सक्षम तथा समर्थ है? इन हत्याओं का दोषी आखिर कौन?

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