AVN News Desk New Delhi: चंडीगढ़ नगर निगम में बड़ा उलटफेर 30 जनवरी को हुए मेयर चुनाव में प्रशासन की ओर से नियुक्त पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने आठ पार्षदों के वोट को अवैध करार दिया था, जिसके बाद बीजेपी के मनोज सोनकर को मेयर बनाया गया था। लेकिन गठबंधन ने इसे चुनौती देते हुए पहले हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। चंडीगढ़ के मेयर मनोज सोनकर ने इस्तीफा तो दे दिया है। 30 जनवरी को ही उन्हें मेयर चुना गया था। उनके चयन पर बहुत विवाद हुआ था। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। सोमवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है लेकिन उससे कुछ घंटे पहले ही मेयर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जेपी मल्होत्रा ने इसकी आज पुष्टि की है।
30 जनवरी को ही हुए थे चंडीगढ़ मेयर चुनाव
आप को बता दें कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव में पीठासीन अधिकारी की एक वीडियो भी खूब वायरल हुई थी, जिसमें वह कथित रूप से अवैध करार दिए पार्षदों के वोटों पर निशान लगाते हुए दिखाई दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर चंडीगढ़ प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई थी और मामले की अगली सुनवाई 19 फरवरी को रखी गई है। जिसको लेकर चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से जवाब भी दाखिल किया जाएगा।
आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदों ने बीजेपी ज्वाइन की
आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, वहीं आप के तीन पार्षद बीजेपी में शामिल हो गए हैं। ये पहले से ही बीजेपी के संपर्क में बताए जा रहे हैं।
अनिल मसीह सुप्रीम कोर्ट में होंगे पेश
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मेयर चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर रहे अनिल मसीह को बड़ी फटकार लगाई थी. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने यहां तक कहा था कि रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने ‘लोकतंत्र की हत्या’ जैसी सख्त टिप्पणियां भी की थी. अनिल मसीह भाजपा माइनॉरिटी सेल के महासचिव भी थे और उनकी निगरानी में ही चंडीगढ़ में मेयर चुनाव हुए थे, जिसमें वह प्रिजाइडिंग ऑफिसर बनाए गए थे.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से कुछ दिन पहले ही भाजपा ने उन्हें अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के महासचिव पद से हटा दिया था. 19 फरवरी की सुनवाई में अनिल मसीह को भी सुप्रीम कोर्ट में पेश होना है. मेयर चुनाव सीसीटीवी के निगरानी में की गई थी. देखा गया था कि अनिल मसीह बैलट पेपर पर कलम चला रहे थे, जिसे देख सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ नाराज हो गए थे और कहा था, “इसे कोई बताओ कि सुप्रीम कोर्ट उसे देख रहा है.”
तीन पार्षदों के भाजपा में आने से अब बदले समीकरण
आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदों के टूटने के बाद भाजपा के पास कुल 17 पार्षद हो गए हैं. इनके अलावा एक सांसद का वोट भी है और भाजपा को शिरोमणि अकाली दल के एक पार्षद का भी समर्थन है. ऐसे में अब भाजपा के पास कुल वोटों की संख्या 19 हो गई है. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के पास अब घटकर सिर्फ 17 वोट ही रह गए हैं, जिसमें आम आदमी पार्टी के 10 और कांग्रेस पार्टी के 7 वोट शामिल हैं. चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 पार्षद की संख्या हैं, जबकि एक सांसद का वोट को मिलाकर 36 वोट डाले जाते हैं. ये ही मिलकर फिर मेयर को चुनते हैं.
अब बीजेपी के पास 14 की जगह 17 पार्षद हो गए हैं और एक वोट बीजेपी सांसद का पार्टी के खाते में होगा।
आम आदमी पार्टी की दो महिला पार्षद और एक अन्य शुक्रवार रात से ही शहर से बाहर निकल गए थे। हालांकि शनिवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की उनसे बात भी हुई थी। एक पार्षद ने शादी में जाने की बात कही थी तो एक पार्षद ने स्पष्ट तौर से कह दिया है कि वह पार्टी के अंदर खुश नहीं है। हालांकि शनिवार को इनके फोन स्विच ऑफ पाए गए थे।
